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21 जून को ही है योगिनी एकादशी, इस दिन भूलकर भी न करें ये 5 कार्य

21 जून को प्रातः स्नान कर व्रत का संकल्प लें। भगवान विष्णु की प्रतिमा या चित्र के समक्ष दीपक जलाएं, तुलसी, पीले फूल और फल अर्पित करें। विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करें और दिनभर फलाहार या जल उपवास रखें।
 

जानिए एकादशी के पूजन की विधि और व्रत का महत्त्व

ये है व्रत के पारण का सही समय

इस व्रत का है खास महत्व मिलता है बड़ा पुण्य

हमारे देश में हिंदू पंचांग के अनुसार, आषाढ़ मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी को योगिनी एकादशी कहा जाता है। इस वर्ष यह पावन तिथि 21 जून 2025, शनिवार को पड़ रही है। योगिनी एकादशी का व्रत सभी पापों को नाश करने वाला और मोक्ष प्रदान करने वाला माना गया है। यह एकादशी भगवान विष्णु की आराधना के लिए अत्यंत फलदायी होती है।

योगिनी एकादशी व्रत का महत्त्व:
धार्मिक मान्यता है कि योगिनी एकादशी का व्रत करने से पूर्व जन्मों के पापों का नाश होता है और रोगों से मुक्ति मिलती है। यह व्रत विशेष रूप से उन लोगों के लिए लाभकारी है जो जीवन में आर्थिक, मानसिक या शारीरिक कष्टों से परेशान हैं। पौराणिक ग्रंथों में कहा गया है कि यह व्रत 88 हजार ब्राह्मणों को भोजन कराने के समान पुण्य देता है।

पूजन विधि और व्रत पारण का समय:
21 जून को प्रातः स्नान कर व्रत का संकल्प लें। भगवान विष्णु की प्रतिमा या चित्र के समक्ष दीपक जलाएं, तुलसी, पीले फूल और फल अर्पित करें। विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करें और दिनभर फलाहार या जल उपवास रखें। व्रत पारण अगले दिन यानी 22 जून को प्रातः 5:28 बजे से 8:39 बजे के बीच करना श्रेष्ठ रहेगा।

इन 5 कामों से रहें दूर:
योगिनी एकादशी के दिन कुछ कार्य वर्जित माने जाते हैं, जिनसे बचना जरूरी होता है, जैसे—

* चावल का सेवन: इस दिन चावल खाना वर्जित है, ऐसा करने से व्रत का पुण्य नष्ट हो सकता है।

* झूठ बोलना या किसी का अपमान करना: यह व्रत शुद्ध आचरण और सत्य की साधना है।

* क्रोध करना: मन को शांत और नियंत्रित रखना आवश्यक है।

* शारीरिक संबंध बनाना: ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए।

* कटु वचन बोलना: मधुर वाणी ही पुण्य का माध्यम बनती है।


योगिनी एकादशी का व्रत जीवन में पवित्रता, शांति और समृद्धि लाने वाला होता है। यदि इसे श्रद्धा और नियम से किया जाए, तो यह व्रत भक्त को सांसारिक कष्टों से मुक्ति दिलाकर मोक्ष के मार्ग पर अग्रसर करता है।

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