2 जुलाई को रखा जाएगा योगिनी एकादशी का व्रत, जानें महत्व और पूजा की विधि
योगिनी एकादशी व्रत आषाढ़ माह के कृष्ण पक्ष में रखा जाता है। इस दिन व्रत और भगवान विष्णु की पूजा करने से घर में सुख, समृद्धि और समृद्धि आती है। योगिनी एकदशी निर्जला एकदशी के बाद और देवशयनी एकदशी से पहले की जाती है।
पूरे साल में 24 एकादशी और अधिकमास होने पर 26 एकादशी व्रत रखे जाते हैं। एकादशी व्रत और आषाढ़ का महीना दोनों भगवान विष्णु को अतिप्रिय है। इसीलिए आषाढ़ माह की एकादशी का विशेष महत्व हो जाता है। योगिनी एकादशी व्रत आषाढ़ माह के कृष्ण पक्ष में रखा जाता है। इस दिन व्रत और भगवान विष्णु की पूजा करने से घर में सुख, समृद्धि और समृद्धि आती है।
योगिनी एकदशी निर्जला एकदशी के बाद और देवशयनी एकदशी से पहले की जाती है। तो आइए जानते हैं कि इस साल योगिनी एकादशी का व्रत किस दिन रखा जाएगा और पूजा और पारण का शुभ समय कब होगा।
योगिनी एकादशी व्रत तिथि, शुभ समय और पारण समय
हिंदू पंचांग के अनुसार, आषाढ़ माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि 1 जुलाई को प्रातः 10:26 बजे से आरंभ हो रही है और एकादशी तिथि 2 जुलाई को सुबह 8 बजकर 34 मिनट पर समाप्त हो रही है।
उदयातिथि के अनुसार योगिनी एकादशी व्रत 2 जुलाई 2024 को रखा जाएगा। वहीं, योगिनी एकादशी व्रत का पारण 3 जुलाई को सुबह 5:28 बजे से सुबह 7:10 बजे तक किया जाएगा। द्वादशी तिथि 3 जुलाई को सुबह 7 बजकर 10 मिनट पर समाप्त होगी।
2 शुभ योग में रखा जाएगा योगिनी एकादशी व्रत
योगिनी एकादशी का व्रत 2 शुभ योग में पड़ रहा है। योगिनी एकादशी के दिन त्रिपुष्कर योग और सर्वार्थ सिद्धि योग का निर्माण हो रहा है। सर्वार्थ सिद्धि योग 2 जुलाई को प्रातः 5:27 बजे से अगले दिन 3 जुलाई को सुबह 4:40 बजे तक रहेगा। वहीं त्रिपुष्कर योग 2 जुलाई को सुबह 8:42 से 3 जुलाई को 4:40 तक मान्य है।
ज्योतिष मान्यता के अनुसार सर्वार्थ सिद्धि योग में किया गया कोई भी कार्य सफल होता है। इसके साथ ही त्रिपुष्कर योग में पूजा-पाठ, दान, यज्ञ या कोई और शुभ कार्य करने से उसका तीन गुना फल मिलता है। त्रिपुष्कर योग में योगिनी एकादशी व्रत की पूजा करना बेहद फलदायी रहेगा।
योगिनी एकादशी की पूजा विधि
योगिनी एकादशी के दिन सुबह उठकर स्नान पश्चात स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
श्री हरि विष्णु को पीला रंग प्रिय होता है, इसीलिए इस दिन पीला रंग धारण करें।
भगवान विष्णु की पूजा करने के लिए चौकी सजाएं और विष्णु भगवान की प्रतिमा रखें।
इसके अतिरिक्त, भगवान विष्णु पर पीले फूलों की माला अर्पित की जाती है।
भगवान विष्णु को तिलक लगाएं।
पूजा सामग्री में तुलसी दल, फल, मिठाइयां और फूल आदि सम्मिलित किए जाते हैं।
इस दिन योगिनी एकादशी की कथा सुनें और अगले दिन व्रत का पारण करें।
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