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शालिनी त्रिपाठी ने शिव-पार्वती विवाह का किया ऐसा मार्मिक वर्णन, रोने लगे सारे श्रोतागण

उन्होंने बताया कि पार्वती के लिए भगवान विष्णु की ओर से भी विवाह का प्रस्ताव आया था, लेकिन वे पहले ही मन प्राण से अपने पति रूप में महादेव शिव शंकर को चुन चुकी थीं। उनके किये चयन से उन्हें कोई डिगा नहीं पाया।
 

चंदौली जिले के नियामताबाद  क्षेत्र के बौरी गांव में चल रहे नौ दिवसीय श्रीराम कथा के तीसरे दिन कथावाचिका मानस मयूरी शालिनी त्रिपाठी द्वारा शिव-पार्वती विवाह एवं शिव चरित्र का वर्णन किया गया। इस मौके पर उन्होंने कहा कि मानस में बाबा तुलसी दास ने कहा है, यह उमा संभु बिबाहु जे नर नारि कहहिं जे गावहीं। कल्यान काज बिबाह मंगल सर्बदा सुखु पावहीं । 

उन्होंने बताया कि पार्वती के लिए भगवान विष्णु की ओर से भी विवाह का प्रस्ताव आया था, लेकिन वे पहले ही मन प्राण से अपने पति रूप में महादेव शिव शंकर को चुन चुकी थीं। उनके किये चयन से उन्हें कोई डिगा नहीं पाया। भगवान विष्णु धन और ऐश्वर्य से भरपूर जीवन देने वाले और भगवान शिव बेहद साधारण जीवन जीने वाले कैलाश पर्वत पर आसीन भोलेनाथ भौतिकताओं से परे हैं। लेकिन देवी पार्वती ने इस सबके बावजूद भोलेनाथ का ही वरण  किया। वे सब जानती थीं, लेकिन उन्होंने अपने सच्चे प्रेम और विश्वास को हर सुख-सुविधा से ऊपर रखा और यही कारण है कि प्रभु भोलेनाथ ने भी उनके स्वाभिमान और प्रेम को सदैव सम्मान दिया। 

भौतिकतावादी जीवन की ओर तेजी से दौड़ रहे युग में यह बात और भी महत्वपूर्ण हो जाती है जब मात्र कुछ सुख-सुविधाओं के आगे प्रेम और विश्वास जैसी भावनाएं गौण हो जाती हैं।
                  
 वही कथावाचिका शालिनी त्रिपाठी ने कर्पूरगौरं करूणावतारं संसारसारं भुजगेन्द्रहारं। सदावसन्तं हृदयारविन्दे भवं भवानी सहितं नमामि का गुणगान करते हुए भगवान शिव की कथा को रामकथा में पिरोते हुए कहा कि जिस समय भगवान राम का विवाह हो रहा था, उस समय सभी देवता, सभी गन्धर्व इत्यादि विवाह में पधारे थे। 

भोलेनाथ जब राम जी की शादी में शामिल होने के लिए जाते हैं, तो भोले बाबा ने देखा की कुछ लोग मार्ग में बैठकर रो रहे हैं। बाबा शिव कृपा के धाम हैं और करुणा करने वाले हैं। भोले नाथ ने उनसे पूछा की तुम क्यों रो रहे हो? आज तो मेरे राम का विवाह हो रहा है। आप रो रहे हो। रामजी के विवाह में नहीं चल रहे वो बोले- हमे कौन लेकर जायेगा। हम अमंगल हैं, हम अपशगुन हैं। दुनिया के घर में कोई भी शुभ कार्य हो तो हमे कोई नहीं बुलाता है। भोले नाथ का हृदय करुणा से भर गया- तुरंत बोल पड़े की कोई बात नहीं राम विवाह में मत जाना तुम, पर मेरे विवाह में तुम्हें पूरी छूट होगी। तुम सारे अमंगल-अपशगुन आ जाना। इसलिए आज सभी मौज मस्ती से शिव विवाह में झूमते हुए जा रहे हैं। शिवजी की बारात भी सजाई एवं पार्वतीजी के साथ विवाह बंधन में बंधकर बारात की विदाई तक के भावों को अपने श्रीकंठ से हजारों की संख्या में मौजूद अपार जनमेदिनी के समक्ष बखान किया। 

इस दौरान कई महिलाएं भी रूआंसी हो गई। वही जब उन्होंने कहा कि बेटी की विदाई पर किसको वेदना नहीं होती। बेटी का पिता भी इस दौरान पसीज जाता है। कथा के दौरान भगवान शंकर की बारात, माता पार्वती के सौंदर्य, प्रेमानुभूति तथा विभिन्न प्रसंगों में आए उतार-चढ़ावों की संगीतमय प्रस्तुति और इस दौरान गाये गये। भजनों ने उपस्थित श्रद्धालुओं का मन मोह लिया। लोग पूरी कथा के दौरान भाव-विभोर होकर इसका लुत्फ उठाते रहे।

इस दौरान कथा आयोजक वीरेंद्र सिंह , मानस प्रचार सेवा समिति के अध्यक्ष हरिवंश सिंह , राज किशोर सिंह, राजाराम ,मृदुल विश्वास,  कालिदास त्रिपाठी ,अजीत जायसवाल, मनोज सेठ, रोशन सिंह सहित आदि मानस प्रेमी उपस्थित रहे।

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