अलीनगर थाने के गेट में है तबादले की 'चाबी', हाथ लगाते ही हो जाता है ट्रांसफर, प्रभारी बोले-नहीं मानता हूं अंधविश्वास

अब इंस्पेक्टर ने अलीनगर के गेट की शुरू करायी सफाई
साहब के फरमान पर रंगाई पुताई कराने की पहल तेज
हटने वाले कई थानेदारों की दिमाग में घूम रही होगी कहानी
बोले-गेट में रंग रोगन कराने से नहीं होगा ट्रांसफर
चंदौली जिले के अलीनगर थाना प्रभारी अपने परिसर में लगे गेट का रंग रोगन कराने से डरते हैं, हालांकि यह डर एक खास अंधविश्वास की वजह से है। लेकिन वर्तमान थाना प्रभारी ने कहा कि कार्यालय का गेट का रंग रोगन कराऊंगा। मैं अंधविश्वास नहीं मानता हूं।
आपको बता दें कि शांति व्यवस्था बनाए रखने के लिए अपराधियों के खिलाफ निडर होकर कार्रवाई करने वाली पुलिस अपनी परिसर के कार्यालय का गेट पर रंग रोगन करने से डरती है। तत्कालीन प्रभारी निरीक्षक जब-जब परिसर का गेट में काम लगवाना चाहे तो उनके इलाके में कोई ऐसी घटनाएं हुई जिसके चलते या तो उनकी नींद हराम हुई या फिर थाने से ही हटना पड़ा। इसी चर्चा की वजह से यहां तैनात होने वाले प्रभारी गेट में काम लगाने से परहेज करते रहे।

अलीनगर थाना परिसर के गेट से जुड़ी एक दिलचस्प कहानी पिछले कई वर्षों से चर्चा का विषय बनी हुई है। बताया जाता है कि इस गेट की नींव तत्कालीन थाना प्रभारी अरुण यादव ने रखी थी, लेकिन निर्माण कार्य के बीच ही उनका ट्रांसफर हो गया। इसके बाद विभाग में यह अफवाह फैल गई कि जो भी थाना प्रभारी गेट का कार्य कराएगा, उसका स्थानांतरण हो जाएगा। इस डर के चलते अगले तीन वर्षों तक किसी ने गेट का कार्य पूरा कराने की हिम्मत नहीं की।

2018 में आए थाना प्रभारी अतुल कुमार सिंह ने जैसे ही गेट का प्लास्टर और रंग-रोगन कराने की कोशिश की, उनका भी ट्रांसफर हो गया। इस घटना के बाद यह सोच गहराने लगी कि गेट को पूरा कराना अशुभ है। फिर कई थाना प्रभारी आए, लेकिन किसी ने भी निर्माण कार्य में रुचि नहीं दिखाई।
2023 में शेषधर पांडे ने अधूरा रंग रोगन करवाया, मगर पूरी तरह कार्य संपन्न नहीं करवा सके। अब वर्तमान थाना प्रभारी विनोद मिश्रा ने हिम्मत दिखाकर गेट का कार्य शुरू कराया है।
इस संबंध में अलीनगर थाना प्रभारी विनोद मिश्रा ने बताया कि मैं अंधविश्वास नहीं मानता हूं। परिसर में रंग रोगन का कार्य चल रहा. गेट पर भी कार्य चल रहा है। उन्होंने कहा कि तबादला होना एक विभागीय प्रक्रिया है, गेट में रंग रोगन कराने से ट्रांसफर नहीं होता है।
अब यह देखना दिलचस्प होगा कि कार्यालय का गेट रंग रोगन पूर्ण होने तक विनोद मिश्रा अपने पद पर बने रहते हैं या फिर विभाग उन्हें भी अन्यत्र भेज देता है। फिलहाल स्थानीय लोगों में चर्चा का विषय यही है कि क्या इस बार परंपरा टूटेगी या फिर वही चक्र दोहराया जाएगा।
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