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भाजपा की बाइक रैली है..इतना तो नियम तोड़ना तो बनता है..

मामला भारतीय जनता पार्टी व सत्ता पक्ष के नेताओं और कार्यकर्ताओं से जुड़ा था.. इसलिए पुलिस यातायात विभाग के अधिकारी इन पर कोई कार्यवाही करने की सोच भी कैसे सकते हैं..पोस्टिंग पर खतरा आ जाएगा।
 

पालिका परिषद में भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी की रैली

ट्रैफिक नियमों की जमकर होती है अनदेखी

नौकरी बचाने के चक्कर में खामोश रहते हैं पुलिस वाले

कार्यकर्ता नेता के लिए लेते हैं जान का जोखिम

 

 चंदौली जिले के पंडित दीनदयाल उपाध्याय नगर पालिका परिषद में भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी के समर्थन में सांसद और कैबिनेट मंत्री डॉक्टर महेंद्र नाथ पांडेय ने सोमवार को एक बाइक रैली जुलूस निकाला, ताकि भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी के पक्ष में माहौल बनाया जा सके।

इस दौरान भीड़ को नियंत्रित करने के लिए मुगलसराय के कोतवाल दीनदयाल पांडेय और तमाम पुलिस बल के जवान मौके पर मौजूद रहे, लेकिन इस दौरान आचार संहिता का पालन चाहे जितना हुआ हो लेकिन ट्रैफिक नियमों की जमकर अनदेखी गई।

Bike Rally

 पुलिस के जवान भारतीय जनता पार्टी का कार्यक्रम होने के नाते छोटी मोटी गलतियों को नजरअंदाज करते हुए दिखे। कई कार्यकर्ता बिना हेलमेट के बाइक पर चल रहे थे, तो कई लोगों ने 2 से अधिक लोगों को बाइक पर बैठा रखा था। कई लोग और सभासद के प्रत्याशी माला पहन कर बाइक के पीछे खड़े होकर चल रहे थे। पुलिस के लोग इनको समझाने बुझाने के बजाय उनको आगे जाने का रास्ता बना रहे थे।

Bike Rally

 मामला भारतीय जनता पार्टी व सत्ता पक्ष के नेताओं और कार्यकर्ताओं से जुड़ा था.. इसलिए पुलिस यातायात विभाग के अधिकारी इन पर कोई कार्यवाही करने की सोच भी कैसे सकते हैं..पोस्टिंग पर खतरा आ जाएगा। इसीलिए कार्रवाई करने को कौन कहे उनको समझाने बुझाने से भी बचते रहे..साथ ही मन ही मन कहते रहे कि कुछ होगा तो खुद ही भोगेंगे ये लोग..जरूरत से ज्यादा जोश दिखा कर फालतू में रिस्क लेने का काम कर रहे हैं।

Bike Rally

 लेकिन नेताओं और कार्यकर्ताओं को यह जरूर सोचना चाहिए कि राजनीतिक कार्यक्रमों में पार्टी के लोगों और प्रत्याशियों को खुश करने के लिए कहीं वह अपनी जान को जोखिम में तो नहीं डाल रहे हैं। वहीं संबंधित अधिकारियों को भी थोड़ी बहुत सत्ता की हनक से बचते हुए अपनी ड्यूटी निभानी चाहिए और बाइक पर खड़े होकर नारा लगाने वाले, बिना हेलमेट के बाइक चलाने वाले या दो से अधिक लोगों को बैठा कर रेस लगाने वाले कार्यकर्ताओं को थोड़ा बहुत चेतावनी देने की जहमत तो उठा लेनी चाहिए, नहीं तो  किसी तरह का हादसा होने के बाद उन पर ही कार्रवाई होती है और खुश होने वाले नेता जी लोग केवल खानापूर्ति और लीपापोती करने वाले बनकर मामले को देखते रहते हैं।

Bike Rally

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