बाल यीशु चर्चों में शामिल यह स्थान : क्रिसमस 2025 पर मुगलसराय में उमड़ा जनसैलाब, मसीही समाज ने मनाया जन्मोत्सव
मुगलसराय में क्रिसमस का पर्व हर्षोल्लास के साथ मनाया गया। आधी रात को प्रभु यीशु के जन्म लेते ही ईसाई समुदाय खुशियों से झूम उठा। ऐतिहासिक बाल यीशु चर्च में प्रार्थना सभा और आकर्षक झांकियों ने सबका मन मोह लिया।
प्रभु यीशु का भव्य जन्मोत्सव कार्यक्रम
बाल यीशु चर्च में लगी है आकर्षक झांकी
सामूहिक प्रार्थना और मीसा पाठ में शामिल हुए लोग
गले मिलकर लोग दे रहे क्रिसमस की बधाई
प्रभु यीशु के जन्मोत्सव पर सेंटा क्लॉज ने बांटे उपहार
इंसानों में मानवता, प्रेम और करुणा का संदेश देने वाले प्रभु यीशु का जन्मोत्सव बुधवार की आधी रात को पंडित दीनदयाल उपाध्याय नगर (मुगलसराय) में अत्यंत श्रद्धा और उल्लास के साथ मनाया गया। जैसे ही घड़ी की सुइयों ने रात के 12 बजाए, संपूर्ण ईसाई समुदाय 'हैप्पी क्रिसमस' के नारों और तालियों की गड़गड़ाहट के साथ खुशियों से झूम उठा। मसीही समाज के लोगों ने एक-दूसरे को गले लगाकर पर्व की बधाई दी और विश्व शांति व मानवता के उद्धार के लिए प्रार्थना की। नगर के विभिन्न चर्चों को आकर्षक लाइटों और क्रिसमस ट्री से सजाया गया था, जिससे चारों ओर उत्सव का माहौल बना रहा।

ऐतिहासिक बाल यीशु चर्च और आकर्षक झांकी का आकर्षण
नगर की यूरोपियन कॉलोनी स्थित 'बाल यीशु कैथोलिक चर्च' इस उत्सव का मुख्य केंद्र रहा। गौरतलब है कि पूरे भारत में बाल यीशु के केवल तीन महत्वपूर्ण चर्च हैं, जो बैंगलोर, नासिक और पीडीडीयू नगर में स्थित हैं। उत्तर प्रदेश के मसीही समुदाय के लिए इस चर्च का विशेष महत्व है, यही कारण है कि यहाँ देश के कोने-कोने से श्रद्धालु दो दिन पहले ही पहुँचने लगे थे। चर्च परिसर में प्रभु यीशु के जन्म की एक अत्यंत सुंदर और सजीव चरनी की झांकी सजाई गई थी, जिसमें मैरी, यूसुफ और बालक यीशु के जन्म के दृश्यों को दर्शाया गया था।

प्रार्थना सभा, मीसा पाठ और सेंटा क्लॉज का उपहार
उत्सव की शुरुआत रात 11 बजे फादर विजय शांतिराज द्वारा 'मीसा का बलिदान' पाठ के साथ हुई। श्रद्धालुओं ने मोमबत्तियां जलाकर प्रभु का आशीर्वाद लिया और भजनों के माध्यम से ईश्वर की महिमा का गुणगान किया। जैसे ही बालक यीशु का प्रतीकात्मक जन्म हुआ, आतिशबाजी और जिंगल बेल्स की धुन से परिसर गूंज उठा। इस दौरान सेंटा क्लॉज ने बच्चों और श्रद्धालुओं के बीच उपहार और चॉकलेट बांटे, जिससे बच्चों के चेहरे खिल उठे। फादर विजय शांतिराज ने बताया कि बृहस्पतिवार को भी विशेष आशीष सभा आयोजित की जाएगी, जहाँ श्रद्धालु अपनी प्रार्थनाएं और मन्नतें लिखकर दानपेटी में डालेंगे।
मेले जैसा दृश्य और सामुदायिक सौहार्द
चर्च के बाहर का नजारा किसी भव्य मेले जैसा प्रतीत हो रहा था। यहाँ बुधवार दोपहर से ही चाट-पकौड़े, गुब्बारे, खिलौने और झूलों की दुकानें सज गई थीं। केवल ईसाई समुदाय ही नहीं, बल्कि अन्य धर्मों के लोगों ने भी बड़ी संख्या में चर्च पहुँचकर मोमबत्तियां जलाईं और इस 'बड़े दिन' की खुशियों में शामिल हुए। सुरक्षा की दृष्टि से पुलिस प्रशासन भी मुस्तैद रहा। कई दिनों तक चलने वाले इस पर्व ने नगर में आपसी भाईचारे और सांप्रदायिक सौहार्द की एक अनुपम मिसाल पेश की है।
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