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साल 2018 की मरम्मत के बाद से है बदहाल, कटान से हो रही परेशानी

चंदौली जिले के नियामताबाद विकासखंड के हसनपुर कम्हरिया में स्थित कोटवा ताल ड्रेन और पचोखर ड्रेन पर बने बंधी प्रखंड के रेगुलेटर क्षतिग्रस्त होने और प्रोटेक्शन वॉल न होने कारण क्षेत्रीय किसानों की चिंता बढ़ गई है।
 

 कई सालों से किसानों को हो रही परेशानी

नहीं सुन रहे सिंचाई और बंधी विभाग के अधिकारी

क्षतिग्रस्त रेगुलेटर और प्रोटेक्शन वॉल न होने से किसान हो रहे बेहाल 

 

चंदौली जिले के नियामताबाद विकासखंड के हसनपुर कम्हरिया में स्थित कोटवा ताल ड्रेन और पचोखर ड्रेन पर बने बंधी प्रखंड के रेगुलेटर क्षतिग्रस्त होने और प्रोटेक्शन वॉल न होने कारण क्षेत्रीय किसानों की चिंता बढ़ गई है। इसके लिए हर साल उन्हें क्षेत्रीय जनप्रतिनिधियों और विभागीय अधिकारियों की ओर से सिर्फ आश्वासन की घु‌ट्टी ही पिलाई जाती हैं। इससे अब किसानों के सब्र का बांध भी टूटता नजर आ रहा है। कारण कि आश्वासनों से किसान अब आजिज आ गए हैं। किसानों की मांग है कि जल्द से जल्द उनकी समस्याओं का समुचित निराकरण होना चाहिए। 


हसनपुर कम्हरिया में कोटवा ताल ड्रेन और पचोखर ड्रेन पर बने बंधी प्रखंड के रेगुलेटर के पास आयोजित हिन्दुस्तान संवाद में किसानों ने कहा कि नियामताबाद विकासखंड के हसनपुर, कम्हरिया, मछरिया, महदेऊर, रोहणा, नरैना आदि गांवों के किसानों की सिचाई सम्बंधी समस्या के बाबत मुगलसराय के पूर्व विधायक रामकिशुन ने विधायक निधि से उक्त रेगुलर का निर्माण कराया था। इससे सिचाई की समस्या का समाधान भी हुआ। लेकिन धीरे धीरे बिना किसी उचित रखरखाव के रेगुलेटर क्षतिग्रस्त होने लगे। इससे किसानों की समस्याएं भी बढ़ने लगी। 


स्थिति यह हो गई कि जो रेगुलेटर ऊपर थे वह ऊपर रह गए और जो नीचे थे वह नीचे ही रह गए। ऐसी स्थिति में किसानों को सिंचाई के लिए उचित पानी की मात्रा नहीं मिल पा रही थी। इससे किसानों को काफी परेशानी उठानी पड़ती है। आलम यह हो गया कि या तो खेतों में पानी नहीं मिलता था या अधिक पानी हो जाने के कारण खेत जलमग्न हो जाते थे। इससे फसलों के खराब होने का खतरा बना रहता है। उसके बाद किसानों ने अपनी समस्याओं को साझा करते हुए पूर्व विधायक और वर्तमान में राज्यसभा सांसद साधना सिंह से इसके मरम्मत की गुहार लगाई। जिन्होंने उक्त रेगुलेटर पर मरम्मत कार्य कराया। जिसका उद्घाटन भी 25 जुलाई 2018 को किया गया। उसके बाद से मरम्मत के अभाव में रेगुलेटर क्षतिग्रस्त होता रहा। किसी ने इस इस ओर ध्यान नहीं दिया। 


वर्तमान समय में स्थिति यह है कि प्रोटेक्शन वाल न होने से हर वर्ष किसानों के खेतों की कटान भी हो रही है। इससे किसान काफी चिंतित रहते हैं। इसके साथ ही रेगुलेटर बेड टूट जाने के कारण खेती करने में किसानों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है। धान की फसल के समय रेगुलेटर की मरम्मत न होने के कारण किसान तिरपाल लगाकर किसी तरह पानी को खेतों तक रोक कर खेती करते हैं। इन सब समस्या के कारण अन्नदाता को खेती करने में अतिरिक्त मशक्कत करनी पड़ती है। सबसे बड़ी बात यह है कि पचोखर ड्रेन और कोटवा ताल ट्रेन बंधी डिविजन के बीच में रेगुलेटर के पास प्रोटक्शन वॉल न होने से लोगों के आस्था से जुड़ा वर्षों पुराना वट वृक्ष भी कटान की जद में है, जहां लोग पूजा करते हैं। वह भी कटान का शिकार होता जा रहा है। 


किसानों का यह भी कहना है कि 2024 में किसी तरह हम लोगों ने अपनी फसल को पैदा किया। लेकिन आने वाले फसल को पैदा करने के लिए यदि रेगुलेटर की सही मरम्मत नहीं हुई तो किसानों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ेगा। रेगुलेटर प्रोटक्शन वाल के लिए पूर्व में जिलाधिकारी को भी किसानों ने पत्र के माध्यम से अवगत कराया था। लेकिन न ही रेगुलेटर की मरम्मत हुई न ही प्रोटेक्शन वाल का कार्य हुआ। अब किसान काफी निराश हैं। किसानो ने बताया कि अगर समस्या का समाधान नहीं किया गया तो उनकी सारी मेहनत पर पानी फिर जाएगा।

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