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LBS पीजी कालेज में पुनराविष्कार गोष्ठी का समापन, IG साहब ने की शिरकत

कार्यक्रम का आरंभ में प्रो. उमापति के पौराणिक मंगलाचरण से हुआ।  उसके बाद समाजशास्त्र की छात्राओं ने स्वागत गीत प्रस्तुत किया।
 

कई विद्वानों ने रखे अपने अपने विचार

छात्र-छात्राओं को किया गया पुरस्कृत

प्रो. इशरत जहां की पुस्तक का लोकार्पण


चन्दौली जिले के नियमताबाद में सोमवार को लाल बहादुर शास्त्री स्नातकोत्तर महाविद्यालय में उत्तर प्रदेश  हिन्दी संस्थान, साहित्य अकादमी मध्यकालीन कविता अवधारणाओं का पुनराविष्कार गोष्ठी का हुआ समापन। मुख्य अतिथि के रूप में वाराणसी के अपर पुलिस महानिदेशक के. सत्यनारायण भी शामिल हुए।

 इस दौरान के. सत्यनारायण ने कहा कि हम सभी को ये ध्यान रखना चाहिए कि हम सभी इस वसुधा के पात्र हैं। तभी हम लोक कल्याण कर पायेंगे। इस मौके पर तेलुगु कवि लेमन की तुलना उन्होंने कबीर से करते हुए कहा कि  वे भी कबीर की भाँति मूर्ति पूजा और अंधविश्वास के विरोधी थे। उन्होंने कहा कि आज जिस भी साहित्य की रचना हो रही है, वो वर्तमान युग के अनुसार रची जा रही है। मध्यकाल की रचनाओं में लिखा गया सूफ़ी कंपोज़िट कल्चर का स्वरूप था।  मध्यकाल की कविताएं उस समय के आक्रांताओं के विरोध में उठने वाला जनता का स्वर था। मध्यकाल के कवियों ने लोकभाषा में रचना की, जिससे उनकी बात जन-जन तक आसानी से पहुंच सके। 

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के. सत्यनारायण ने कहा कि मध्यकालीन साहित्य  का मुख्य उद्देश्य समाज को सुधारना था। मध्यकाल में लिखी गई रचनाएं यथार्थवादी थीं, जिसका प्रमुख उद्देश्य समाज को सुधारने का था। मध्यकालीन कवियों ने अपनी रचनाओं में उपमाओं का बहुत प्रयोग किया। 

इस मौके पर अपर पुलिस महानिदेशक ने छात्र छात्राओं से सवाल करते हुए पढ़ायी और तैयारी के जरूरी टिप्स दिए। साथ ही  कहा कि.... 
1.पढ़ाई दिल से करो, दिमाग़ से नहीं
2. आप सभी को निरंतर प्रयास करते रहना चाहिए, इसके लिए उन्होंने महान वैज्ञानिक आंइस्टीन का उदाहरण देते हुए कहा कि हमें उनकी इस बात से प्रेरणा लेनी चाहिए कि द वर्ल्ड इस सो बिग
3. सिविल सर्विस परीक्षा में आप तभ सफल हो पायेंगे जब आप मौलिकता के साथ अध्ययन करेंगे।

 विशिष्ट अतिथि प्रो उदय प्रताप सिंह ने कहा कि कर्मठता के साथ संवेदना जब आती है। तभी साहित्य का सृजन होता है। उन्होंने कहा कि भारत की मूलधारा अध्यात्म की है। मध्य काल में संतों ने लोक धारा के रूप में साहित्य की रचना की है। मध्यकाल के कवियों ने जातिवाद, छूआछूत से जनमानस को बचाने के लिए रचना रची थी। उन्होंने कहा कि भक्ति से समरस समाज का निर्माण होता है।

मौके पर विशिष्ट अतिथि प्रो. वशिष्ठ अनूप ने कहा कि बिहारी और देव को लेकर ही मध्य काल में तुलनात्मक आलोचना की शुरुआत हुई थी। देव की रचनाओं में लोक और सौन्दर्य का भाव था। प्रो. सुमन जैन  ने कहा कि कबीर अपनी रचनाओं के माध्यम से प्रश्न खड़े करते थे और स्वयं ही उसका उत्तर देते थे। कबीर की रचनाओं में सांस्कृतिक तत्व प्रेम है, जो ऐसे मानवीय समाज का निर्माण करता है। जिसके कारण हम उन्हें समाज सुधारक मान लेते हैं।

 डा भारती गोरे ने शास्त्र के समक्ष लोक की चिंता को मध्य क़ालीन कवियों ने प्रस्तुत किया। अध्यक्षीय संबोधन देते हुए प्रो. श्रद्धानंद ने कहा कि पं पारसनाथ तिवारी में हम सभी पं विद्यानिवास मिश्र को याद कर रहे हैं। ये हम सभी के लिए अनुकरणीय है। पं विद्यानिवास जी नवोदित लेखकों को प्रेरित करते हुए उनमें सृजन के बीज बोते थे। आज ऐसे लेखकों की आवश्यकता है, जो जनमानस में सकारात्मकता का संचार करे। प्रो. श्रद्धानंद ने कहा कि सबसे विचारणीय यह तथ्य है कि संतोष की संस्कृति विलुप्त हो रही है, जिससे हमारी सभ्यता का क्षरणों रहा है । 

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कार्यक्रम का आरंभ में प्रो. उमापति के पौराणिक मंगलाचरण से हुआ।  उसके बाद समाजशास्त्र की छात्राओं ने स्वागत गीत प्रस्तुत किया। तत्पश्चात् असम की बीजोमोनी बोरा ने असम के लोकनृत्य बीहू की प्रस्तुति की। कार्यक्रम के आरंभ में अतिथियों का स्वागत प्रो. उदयन मिश्र ने किया। संचालन प्रो. इशरत जहां ने किया । धन्यवाद ज्ञापन करते हुए प्रबंधक राजेश कुमार तिवारी जी ने कहा कि ज्ञान और कर्मयोग से एक नया सृजन होता है। आज कार्यक्रम में प्रो. इशरत जहां की पुस्तक नादानियाँ का लोकार्पण भी किया गया। कार्यक्रम के अंत में कविता हेतु डा फ़िरोज़ खान (बीएचयू), आलेख में उदयप्रताप पाल, निबंध में स्नेह द्विवेदी (सभी वाराणसी), कहानी में जीतू कुमार गुप्ता (असम), सभी विद्याओं में विशेष पुरस्कार बीजोमोनी बोरा (असम) और सुनीता राम (अरुणाचल प्रदेश) को मुख्य अतिथि द्वारा पुरस्कृत किया गया।

 कार्यक्रम के दौरान प्रो गिरीश्वर मिश्र, प्रो सतीश, डा शशिकला, प्रो प्रकाश उदय, प्रो दयानिधि यादव, प्रो अरविंद पाण्डेय, डा वाचस्पति, डा भावना, डा गुलजबी, प्रो संजय, प्रो अमित, डा विजयलक्ष्मी, डा ब्रजेश, डा धर्मेन्द्र , राहुल, सुनील, सुरेंद्र, अतुल , विनीत आदि के साथ महाविद्यालय के छात्र छात्राएं उपस्थित रहे।
 

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