रेलवे में बिना लेन-देन के नहीं होता है प्रमोशन, न ही लगती है मनमाफिक ड्यूटी

कई साल से चल रहा था ये खेल
पहली बार इतने बड़े पैमाने पर हुई कार्रवाई
सीबीआई नहीं आती तो ऐसे ही चलता प्रमोशन का खेल
ट्रांसफर और प्रमोशन के लिए हर विभाग में है अलग-अलग रेट
चंदौली जिले में मुगलसराय में सीबीआई की कार्रवाई से हड़कंप मचा है। अब हर जगह चर्चा है कि रेलवे में विभागीय प्रमोशन में लेन-देन का खेल पुराना है। स्थिति यह है कि ड्यूटी लगाने, ट्रांसफर और प्रमोशन के लिए हर विभाग में अलग-अलग रेट है। यह विभाग के हर अधिकारी को पता है, लेकिन मुंह किसी का नहीं खुलता है। कई साल से चल रहे इस खेल में पहली बार इतने बड़े पैमाने पर कार्रवाई हुई है।

सूत्रों के अनुसार लोको पायलट से चीफ लोको इंस्पेक्टर पद पर प्रमोशन के लिए छह लाख रुपये मांगे गए थे। जिन लोको पायलटों ने पैसे दिए, उनके लिए प्रश्नपत्र तैयार करने वाले अधिकारी स्वयं हल कराने पहुंच गए। प्रमोशन के लिए तीन सदस्यीय कमेटी गठित की गई थी। इसमें सीनियर डीईई ऑपरेशन ने प्रश्नपत्र तैयार किया। सीनियर डीपीओ को पर्यवेक्षण करना था, जबकि सीनियर डीईई को कॉपी की जांच करनी थी। पैसा देने में असमर्थ एक लोको पायलट की शिकायत पर यह कार्रवाई हुई।
हालांकि यह नई बात नहीं है। पं. दीनदयाल उपाध्याय नगर की पहचान रेलवे से भी है। पूर्व मध्य रेलवे का पीडीडीयू मंडल मुख्यालय होने के साथ ही एशिया का सबसे बड़ा रेलवे यार्ड यहां है। पीडीडीयू मंडल में वर्तमान में 13 हजार से ज्यादा रेल कर्मचारी काम करते हैं। शुरू से ही पीडीडीयू मंडल भ्रष्टाचार के लिए बदनाम रहा है। रेलवे रिक्रूटमेंट बोर्ड की स्थापना के बाद रेलवे में नौकरी दिलाने का खेल कुछ कम हुआ था, लेकिन अभी भी कुछ लोग रेलवे में नौकरी दिलाने का दावा करते रहते हैं। इसी वजह से अधिकारी भी मंडल को कमाऊ जगह मानते हैं। यही कारण है कि यहां बिना पैसे का कोई काम नहीं होता है।
स्थिति यह है अनुकंपा पर भर्ती हो अथवा स्थानांतरण, हर स्थान पर पैसे लिए जाते हैं। पोर्टर से ट्रेन मैनेजर, खलासी से फीटर अथवा स्टेनो पद पर प्रमोशन हो, हर काम के लिए पैसा फिक्स है। हालांकि विभागीय मामला होने के कारण खुलकर कोई नहीं बोलता। यदि सीबीआई नहीं आती तो यहां भी प्रमोशन का खेल हो गया होता।
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