जरखोर गांव की प्यास 209 लाख की टंकी से भी न बुझी, छह साल बाद भी टंकी खाली

पांच हजार की आबादी गंदा पानी पीने को मजबूर
जरखोर गांव में 209 लाख से बना ओवरहेड टैंक खाली
ग्रामीणों की उम्मीदों पर फिरा पानी
जनप्रतिनिधियों की अनदेखी से ग्रामीणों में आक्रोश
चंदौली जिले के बबुरी में सांसद आदर्श योजना के तहत चयनित सदर ब्लॉक के जरखोर गांव में बुनियादी सुविधाओं का अभाव है। गांव में करीब 209.25 लाख रुपये से लगभग छह साल पहले ओवरहेड टैंक बनाया गया। पाइप लाइन क्षतिग्रस्त होने के कारण पानी ओवरहेड टैंक तक पहुंचा ही नहीं। ओवरहेड टैंक एक साल से खाली है। इससे करीब पांच हजार लोगों की उम्मीदों पर पानी फिर गया है।

आपको बता दें कि साल 2014-15 में सांसद आदर्श ग्राम योजना शुरू हुई। इस योजना के तहत चंदौली के तत्कालीन भाजपा सांसद डॉ. महेंद्रनाथ पांडेय ने जरखोर गांव को गोद लिया था। ग्रामीणों को उम्मीद थी कि गांव में बुनियादी सुविधाओं का विकास होगा।
ग्रामीणों का कहना है कि आज भी गांव में लोग गंदा पानी पीने के लिए विवश है। गंदगी की भरमार है। इस गांव को जनप्रतिनिधि ने गोद भी लिया लेकिन गांव की तस्वीर नहीं बदली। गांव में न सफाई न बिजली, न पानी और न ही अच्छी सड़क है। जरखोर गांव में लगा ट्यूबवेल भी बंद है। गांव में प्राइमरी शिक्षा के लिए पांचवी तक सरकारी स्कूल है। स्कूल के मैदान में काई और जलकुंभी से पटा है। पेयजल की समस्या के समाधान के लिए अधिकारियों से गुहार लगाई, लेकिन सुनवाई नहीं हुई। जिन सड़कों के चौड़ीकरण की बात की गई, उन रास्तों पर सिर्फ मिट्टी डाली गई।

ग्रामीणों ने बताया कि जरखोर गांव को तत्कालीन नोडल अधिकारी उपायुक्त स्वतः रोजगार ने मानकों पर गांव को कागजों में संतृप्त दिखा दिया। इससे गांव वालों में आक्रोश है। हकीकत है कि ग्रामीणों को पानी के रोज जूझना पड़ता है। गांव में पानी टंकी बनी है लेकिन पाइप लाइन की गुणवत्ता ठीक नहीं है। पानी के प्रेशर पाइप फट जाता है। कई बार मरम्मत के बाद भी समस्या से निजात नहीं मिली।
ग्रामीण बोले -
रविन्द्र प्रताप सिंह ने बताया कि पानी की टंकी चालू नहीं होने से पेयजल की दिक्कत है। सबसे अधिक दिक्कत गर्मी के दिनों में होती है। गर्मी के दिनों में हैंडपंप भी पानी छोड़ देते हैं। किसी तरह पानी का काम चलाया जाता है। कोई भी जनप्रतिनिधि समस्या के समाधान के लिए आगे नहीं आ रहा है।
अशोक कुमार ने कहा कि गांव में जब ओवरहेड टैंक बना तो उम्मीद जगी कि अब शुद्ध पानी मिलेगा, लेकिन घटिया पाइप के चलते उम्मीदों पर पानी फिर गया। पानी चालू होते ही ओवरहेड टैंक की पाइपलाइन में जगह-जगह पाइप से पानी का रिसाव होने लगा है। पानी टंकी तक पहुंचा ही नहीं। कई जगह पाइप भी फट गया है।
चंचल सिंह बोले आदर्श गांव में पानी टंकी छह साल पहले बनी थी। पानी की टंकी एक साल से खाली है। गांव की 5000 की आबादी आज भी पेयजल संकट झेल रही है। पानी की टंकी पर 209.25 लाख रुपये खर्च किए गए थे।
इस संबंध में जलनिगम ग्रामीण जेई कुनाल गौतम ने बताया कि जरखोर गांव में पानी टंकी की मरम्मत के लिए टेंडर की टेक्निकल बिड खुल गई है। अब जल्द से जल्द गांव के लोगों को पीने का पानी मिलेगा। विशेषज्ञों की टीम मरम्मत का काम जल्द से जल्द पूरा करने के लिए काम कर रही है।
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