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मालवीय पुल की मरम्मत का दर्द : गोद में बच्चे और सिर पर बोझ लेकर पैदल चलने को बेबस लोग, ऑटो किराया हुआ तीन गुना

वाराणसी के मालवीय पुल पर मरम्मत कार्य के चलते वाहनों का प्रवेश प्रतिबंधित कर दिया गया है। समय से पहले पुल बंद होने और कड़ाके की ठंड व कोहरे के बीच यात्रियों को 15 किलोमीटर का चक्कर लगाना पड़ रहा है।

 
 

रात 10 बजे ही लगा दी गई बैरिकेडिंग

15 किलोमीटर की तय करनी पड़ रही अतिरिक्त दूरी

महिलाओं और बच्चों को झेलनी पड़ी भारी परेशानी

ऑटो और ई-रिक्शा का बढ़ा मनमाना किराया

सीमेंट के बोल्डर लगाकर मार्ग पूरी तरह अवरुद्ध

वाराणसी और चंदौली को जोड़ने वाला ऐतिहासिक मालवीय पुल (राजघाट पुल) बुधवार से मरम्मत कार्य के लिए पूरी तरह बंद कर दिया गया है। हालांकि, प्रशासन और यातायात विभाग के बीच समन्वय की कमी का खामियाजा आम जनता को भुगतना पड़ा। चंदौली प्रशासन ने विज्ञप्ति के जरिए रात 11 बजे से पुल बंद करने की घोषणा की थी, लेकिन धरातल पर रात 10 बजे ही बैरिकेडिंग लगा दी गई। अचानक हुए इस बदलाव के कारण नमो घाट की तरफ करीब 250 वाहन फंस गए। रात के घने कोहरे और कम दृश्यता के बीच यात्रियों को समझ नहीं आया कि वे क्या करें। अंततः तीन घंटे के लंबे इंतजार के बाद उन्हें रामनगर और सामनेघाट के रास्ते 15 किलोमीटर की अतिरिक्त दूरी तय कर अपने गंतव्य तक जाना पड़ा।

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कोहरे और ठंड के बीच पैदल यात्रा की मजबूरी
बुधवार की सुबह मालवीय पुल पर एक हृदयविदारक दृश्य देखने को मिला। पुल पूरी तरह वाहनों के लिए बंद होने के कारण सबसे ज्यादा परेशानी बुजुर्गों, महिलाओं और दिव्यांगों को हुई। जानकारी के अभाव में पहुंचे यात्री अपने कंधों पर भारी बोझ लादे और गोद में छोटे बच्चों को लिए एक किलोमीटर लंबा पुल पैदल पार करने को मजबूर दिखे। घुटनों के दर्द से परेशान बुजुर्गों के लिए यह सफर किसी सजा से कम नहीं था। सीमेंट के बड़े-बड़े बोल्डर और लोहे की बैरिकेडिंग के कारण एम्बुलेंस और अन्य आपातकालीन वाहनों का रास्ता भी पूरी तरह अवरुद्ध रहा। कोहरे के कारण दृश्यता शून्य होने की स्थिति में पैदल चलना भी जोखिम भरा साबित हो रहा था।

किराए की मार: 25 का सफर अब 70 रुपये में
पुल बंद होने का सीधा असर यात्रियों की जेब पर भी पड़ा है। पड़ाव से कैंट या वाराणसी शहर के अन्य हिस्सों तक जाने वाले ऑटो और ई-रिक्शा चालकों ने मनमाना किराया वसूलना शुरू कर दिया है। पहले जिस दूरी के लिए यात्री 25 से 30 रुपये देते थे, अब उन्हें डायवर्जन रूट (रिंग रोड या रामनगर) से जाने के कारण 60 से 70 रुपये चुकाने पड़ रहे हैं। मालवीय पुल से प्रतिदिन लगभग 50 हजार लोग और 600 से ज्यादा ऑटो/ई-रिक्शा गुजरते थे। अब इन यात्रियों को समय के साथ-साथ आर्थिक नुकसान भी उठाना पड़ रहा है। यात्रियों का कहना है कि प्रशासन को पर्याप्त शटल बस सेवा या वैकल्पिक परिवहन का प्रबंध करना चाहिए था।

13 जनवरी तक जारी रहेगा प्रतिबंध 
यातायात विभाग ने स्पष्ट किया है कि मालवीय पुल पर मरम्मत का यह कार्य 13 जनवरी तक चलेगा, तब तक वाहनों का प्रवेश वर्जित रहेगा। सुरक्षा और नियंत्रण के लिए पड़ाव चौराहे से लेकर पुल की चढ़ाई तक तीन चरणों में बैरिकेडिंग की गई है। सबसे पहले पड़ाव चौराहे पर लोहे की बैरिकेडिंग है, उसके बाद सूजाबाद चौकी के पास और अंत में पुल चढ़ते ही सीमेंट के भारी-भरकम बोल्डर लगाए गए हैं। पुलिस का कहना है कि यह सख्त घेराबंदी दुर्घटनाओं को रोकने और सुचारू मरम्मत के लिए अनिवार्य है। यात्रियों को सलाह दी गई है कि वे रामनगर, सामनेघाट पुल या रिंग रोड का ही उपयोग करें।

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