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RPF DDU ने 17 नाबालिक बच्चों का रेस्क्यू, 7 ट्रैफिकर भी हो गए गिरफ्तार

वे बच्चों के माता-पिता को पैसों का लालच देकर उन्हें गांधीधाम (गुजरात) और दिल्ली ले जा रहे थे, जहां उनसे सिलाई और नट-बोल्ट बनाने जैसी फैक्ट्रियों में 12 घंटे प्रतिदिन काम कराया जाना था।
 

असम व बिहार से बच्चों की तस्करी जारी

रेलवे स्टेशन पर चेकिंग के दौरान खुलासा

17 बच्चों व 7 तस्करों को दबोच कर शुरू की कार्रवाई

चंदौली जिले के पंडित दीनदयाल उपाध्याय (डीडीयू) रेलवे स्टेशन पर रेल सुरक्षा बल (आरपीएफ) द्वारा ऑपरेशन आहट के तहत एक बड़ी कार्रवाई की गई। प्रभारी निरीक्षक श्री प्रदीप कुमार रावत के नेतृत्व में चाइल्ड हेल्प डेस्क, बचपन बचाओ आंदोलन की सहायक परियोजना अधिकारी श्रीमती चंदा गुप्ता एवं अन्य अधिकारियों के सहयोग से यह अभियान चलाया गया।

इस अभियान में गाड़ी संख्या 15668 गांधीधाम एक्सप्रेस से 8 नाबालिक बच्चों को 4 ट्रैफिकरों के कब्जे से मुक्त कराया गया। गिरफ्तार ट्रैफिकरों में अजय कुमार, दिलखुश कुमार, प्रिंस कुमार (सभी बिहार के पूर्णिया और सुपौल जिले से) और अलीमुद्दीन (असम) शामिल हैं।

वहीं गाड़ी संख्या 12487 सीमांचल एक्सप्रेस से 9 नाबालिक बच्चों को 3 ट्रैफिकरों – मो. मुस्ताक, अजय हंसदा और मो. शाहिद (सभी बिहार के विभिन्न जिलों से) के चंगुल से रेस्क्यू किया गया।

RPF DDU rescued

पूछताछ में ट्रैफिकरों ने बताया कि वे बच्चों के माता-पिता को पैसों का लालच देकर उन्हें गांधीधाम (गुजरात) और दिल्ली ले जा रहे थे, जहां उनसे सिलाई और नट-बोल्ट बनाने जैसी फैक्ट्रियों में 12 घंटे प्रतिदिन काम कराया जाना था, और बदले में उन्हें मात्र 8-9 हजार रुपये प्रतिमाह दिया जाता।

मुक्त कराए गए 17 नाबालिक बच्चों में से 11 पूर्णिया, 3 अररिया, 1 सुपौल (बिहार), 1 रायबरेली (उ.प्र.), एवं 1 गोलपारा (असम) के निवासी पाए गए। सभी बच्चों को रेलवे चाइल्ड हेल्प डेस्क/डीडीयू को सुपुर्द कर दिया गया है। वहीं, पकड़े गए ट्रैफिकरों को प्राथमिकी के साथ कोतवाली पुलिस मुगलसराय को सौंपा गया है, जहां उनके विरुद्ध विधिक कार्यवाही की जा रही है।

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