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कौन नहीं बनने दे रहा है धपरी गांव का शिव मंदिर, शिवलिंग मिलने के बाद शुरू हुआ था विवाद

यह फैसला दोनों समुदायों के बीच शांति और भाईचारे का प्रतीक माना गया। इतना ही नहीं, मुस्लिम पक्ष ने दो बिस्वा जमीन मंदिर निर्माण हेतु दान कर दी और एक रास्ता भी उपलब्ध कराने की घोषणा की।
 

कुछ नेताओं के चक्कर में गवई राजनीति में उलझा प्रशासन

शांति स्थापना करना आज भी बनी हुयी है चुनौती

DM साहब धपरी गांव में कैसे होगा शिव मंदिर का निर्माण और विवाद का हल 

चंदौली जिले के अलीनगर थाना क्षेत्र के धपरी गांव में पिछले एक महीने से प्राचीन शिवलिंग मिलने के बाद शुरू हुआ विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है। प्रशासन और पुलिस की लगातार कोशिशों के बावजूद कुछ गवई राजनीति करने वाले लोग मामले को तूल दे रहे हैं, जिससे समस्या का समाधान जटिल होता जा रहा है।

दरअसल, 26 जुलाई को नियामताबाद ब्लाक अंतर्गत धपरी गांव में एक मुस्लिम के निजी आरजी में खुदाई के दौरान प्राचीन शिवलिंग मिला था। अचानक शिवलिंग मिलने की खबर से गांव और आसपास के क्षेत्र में माहौल गर्म हो गया। प्रशासन ने तत्काल शिवलिंग को नजदीकी मंदिर में स्थापित करा दिया। अगले दिन ग्रामीणों ने मांग उठाई कि जिस स्थान से शिवलिंग मिला है, वहीं पर मंदिर का निर्माण होना चाहिए।

मामला संवेदनशील होते देख भाजपा विधायक रमेश जायसवाल, उपजिलाधिकारी अनुपम मिश्रा और क्षेत्राधिकारी कृष्ण मुरारी शर्मा मौके पर पहुंचे। बातचीत के बाद मुस्लिम पक्ष ने सौहार्द और आपसी सहमति से शिव मंदिर निर्माण की अनुमति दे दी। यह फैसला दोनों समुदायों के बीच शांति और भाईचारे का प्रतीक माना गया। इतना ही नहीं, मुस्लिम पक्ष ने दो बिस्वा जमीन मंदिर निर्माण हेतु दान कर दी और एक रास्ता भी उपलब्ध कराने की घोषणा की।

लेकिन समस्या यहीं खत्म नहीं हुई। सूत्रों की माने तो कुछ गवही राजनीति के लोग आगामी प्रधानी और बीडीसी चुनाव को देखते हुए इस मुद्दे को हवा देने लगे। उनकी कोशिश रही कि दोनों समुदायों के बीच खाई पैदा हो और चुनावी लाभ लिया जा सके। 16 अगस्त को एक पक्ष ने प्रशासन को बिना सूचना दिए जन्माष्टमी का पंडाल लगाने का प्रयास किया। सूचना मिलते ही एडिशनल एसपी मौके पर पहुंचे और समझाकर विवाद को टाल दिया। इसके बाद से गांव में लगातार पुलिस बल की तैनाती की गई है।

प्रशासन और पुलिस ने बीते 20–25 दिनों में कई बार ग्रामीणों से मीटिंग कर समाधान निकालने का प्रयास किया, लेकिन राजनीतिक स्वार्थ रखने वाले लोग माहौल बिगाड़ने से बाज नहीं आ रहे। बरसात के मौसम में भी 50 से अधिक पुलिसकर्मी लगातार ड्यूटी पर तैनात हैं। बारिश के दौरान छत तक नसीब न होने के बावजूद पुलिसकर्मी शांति बनाए रखने के लिए अपनी ड्यूटी निभा रहे हैं।

गांव के अधिकांश लोग, दोनों समुदाय और सभी प्रमुख संगठन सौहार्द की अपील कर रहे हैं। मुस्लिम पक्ष भी स्पष्ट कर चुका है कि वह किसी विवाद में नहीं पड़ना चाहता और विधायक के सम्मान व गांव की शांति को ध्यान में रखते हुए मंदिर निर्माण का समर्थन करता है। लेकिन राजनीतिक स्वार्थ की वजह से मामला बार-बार उलझ रहा है।

ऐसे हालात में यह आवश्यक है कि जिलाधिकारी और प्रशासन गवही राजनीति करने वाले तत्वों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करें। जब तक ऐसे लोगों को चिन्हित कर नियंत्रित नहीं किया जाएगा, तब तक धपरी गांव का विवाद शांतिपूर्ण ढंग से हल नहीं हो पाएगा। प्रशासन को चाहिए कि जो समुदाय और ग्रामीण आपसी भाईचारा बनाए रखना चाहते हैं, उनकी बातों को प्राथमिकता दी जाए और उपद्रव फैलाने वाले तत्वों को कानून के दायरे में लाया जाए।

धपरी गांव की यह स्थिति साफ संकेत देती है कि यदि गवई राजनीति को समय रहते नियंत्रित नहीं किया गया तो यह छोटा सा विवाद बड़े टकराव का रूप ले सकता है। अब प्रशासन और जिला स्तर के अधिकारियों के सामने सबसे बड़ी चुनौती है कि वे शांति बनाए रखने के साथ-साथ समाधान की दिशा में निर्णायक कदम उठाएं।

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