कब और कैसे निकलेगा चौरहट नई बस्ती के इलाके का पानी, 200 मकानों में रहने वाले लोग हैं परेशान
बखरा-नींबूपुर ताल से आया बाढ़ का पानी
चौरहट नई बस्ती जलमग्न, 200 घरों में घुसा पानी
ग्रामीणों का जीवन अस्त-व्यस्त
पलायन को मजबूर हुए कई परिवार
छतों पर गुजर रही जिंदगी
ग्रामीणों ने प्रशासन से लगाई गुहार
चंदौली जिले के पड़ाव क्षेत्र में हाल ही में हुई भारी बारिश और बांधों से छोड़े गए पानी ने लोगों की मुसीबतें बढ़ा दी हैं। चौरहट नई बस्ती, जो पड़ाव-रामनगर मार्ग और चौरहट-नींबूपुर मार्ग के किनारे बसी है, इन दिनों बखरा-नींबूपुर ताल से आए पानी में पूरी तरह डूबी हुई है। बस्ती के लगभग 200 घरों में पानी घुस चुका है, जिससे लोगों का जनजीवन पूरी तरह अस्त-व्यस्त हो गया है।
लगातार एक सप्ताह से ग्रामीण जलभराव के बीच जिंदगी गुजारने को मजबूर हैं। घरों में पानी भर जाने से खाने-पीने का सामान और जरूरी वस्तुएं नष्ट हो गई हैं। लोग अब या तो रिश्तेदारों के घरों में शरण ले रहे हैं या अपने घरों की छतों पर रहने को विवश हैं। बच्चों और बुजुर्गों को सबसे अधिक परेशानी हो रही है। वहीं, कई परिवारों ने अपने पशु और घरेलू सामान सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाने की कोशिश की, लेकिन चारों ओर से घिरे पानी के कारण यह भी मुश्किल हो गया है।
ग्रामीणों का कहना है कि इस भीषण जलभराव से राहत के लिए अभी तक न तो जिला प्रशासन और न ही कोई जनप्रतिनिधि मौके पर पहुंचा है। लोगों का आरोप है कि प्रशासनिक लापरवाही के कारण यह स्थिति उत्पन्न हुई है। वर्षों से इस इलाके में जलनिकासी की कोई स्थायी व्यवस्था नहीं की गई है।
नाले के बंद होने से बढ़ी समस्या
स्थानीय निवासियों का कहना है कि वर्षों पहले साहूपुरी क्षेत्र में हरी फर्टिलाइजर खाद फैक्ट्री हुआ करती थी। उस समय फैक्ट्री का वेस्टेज पानी पीडीडीयू जंक्शन से वाराणसी रेलवे लाइन के नीचे बने दो पुलियों के रास्ते चौरहट-नींबूपुर मार्ग से होकर डांडी, बहादुरपुर और कुंडाखुर्द सिवान से गुजरता हुआ गंगा नदी में गिरता था। इससे इलाके का वर्षा जल भी उसी मार्ग से निकल जाता था।
लेकिन अब कुछ औद्योगिक उद्यमियों द्वारा रेलवे लाइन के पास इस नाले को बंद कर दिया गया है, जिसके कारण जलनिकासी पूरी तरह बाधित हो गई है। यही कारण है कि हाल की बारिश और बाढ़ का पानी अब तालाब का रूप लेकर बस्ती और खेतों में जमा हो गया है।
ग्रामीणों ने बताया कि अगर प्रशासन इस बंद पड़े नाले को तुरंत खुलवा दे, तो पानी स्वतः निकल सकता है और स्थिति सामान्य हो सकती है। लेकिन कई बार शिकायत करने और अधिकारियों को अवगत कराने के बावजूद आज तक कोई कार्रवाई नहीं की गई।
संक्रामक बीमारियों का खतरा बढ़ा
पानी कई दिनों से जमा रहने के कारण अब उसमें सड़न और दुर्गंध फैलने लगी है। मच्छरों और कीटों की संख्या तेजी से बढ़ रही है, जिससे डेंगू, मलेरिया और हैजा जैसी संक्रामक बीमारियों का खतरा मंडरा रहा है।
ग्रामीणों का कहना है कि बच्चे और बुजुर्ग बीमार पड़ रहे हैं, लेकिन रास्तों में पानी भरे होने से स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुंचना कठिन हो गया है। कई घरों में पीने के पानी की भी समस्या है, क्योंकि हैंडपंप और ट्यूबवेल जलमग्न हो चुके हैं।
ग्रामीण सुनीता देवी ने बताया, "घर में पानी घुस जाने से अब चूल्हा तक जलाना मुश्किल हो गया है। कई परिवार अपना घर छोड़कर रिश्तेदारों के घर में शरण लिए हुए हैं, लेकिन कोई अधिकारी हाल जानने नहीं आया।"
वहीं, ग्रामीण वसीम ने कहा, "रेलवे लाइन पार बंद पड़े नाले को खुलवाने के लिए हमने कई बार जिला प्रशासन को जानकारी दी, लेकिन किसी ने ध्यान नहीं दिया। अब पानी सड़ने से बदबू और बीमारी फैलने लगी है।"
किसानों की फसलें बर्बाद
इस जलभराव से न केवल आवासीय क्षेत्र प्रभावित हुआ है बल्कि कृषि कार्य भी ठप हो गया है। नींबूपुर, बखरा, चांदीतारा और आस-पास के गांवों के खेतों में पानी भर गया है। धान, अरहर, उड़द जैसी फसलें पूरी तरह जलमग्न हैं। किसानों का कहना है कि पानी निकलने की कोई व्यवस्था नहीं होने से अब फसलें सड़ने लगी हैं।
किसान तौफीक ने कहा, "पिछले कई दिनों से खेतों में पानी भरा हुआ है। अगर नाला खुलवा दिया जाता तो फसल बच सकती थी, लेकिन प्रशासन की लापरवाही से अब सब कुछ बर्बाद हो गया।"
ग्रामीणों का बढ़ता आक्रोश
ग्रामीणों का कहना है कि जब तक जलनिकासी की स्थायी व्यवस्था नहीं की जाती, तब तक हर वर्ष उन्हें इस तरह की स्थिति झेलनी पड़ेगी। लोगों ने प्रशासन से मांग की है कि तुरंत नाले की सफाई और पुनः खुलवाने का कार्य शुरू किया जाए, साथ ही चौरहट नई बस्ती में राहत कार्य प्रारंभ किए जाएं।
ग्रामीण साजिद अंसारी ने कहा, "कई दिनों से गांव तालाब की तरह हो गया है। लोग पानी में चलकर रोजमर्रा के काम पर जाते हैं। अंधेरा होने से पहले घर लौटना पड़ता है, क्योंकि रात में रास्ता दिखता नहीं और पानी में खतरा बढ़ जाता है।"
प्रशासन से तत्काल हस्तक्षेप की मांग
स्थानीय लोगों का कहना है कि जलभराव से घिरे होने के बावजूद अब तक प्रशासन की ओर से कोई राहत सामग्री, नाव या पंपिंग मशीनें नहीं भेजी गई हैं। ग्रामीणों ने चेतावनी दी है कि यदि शीघ्र ही जलनिकासी और राहत कार्य नहीं शुरू किए गए, तो वे सड़क पर उतरकर विरोध प्रदर्शन करेंगे।
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