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नौगढ़ में सुदामा चरित्र कथा सुनकर भक्त हुए भावविभोर

श्रीमद् भागवत कथा ज्ञान यज्ञ के अंतिम दिन भागवताचार्य गौरीश पांडे ने सुदामा चरित्र की कथा सुनाई। इस दौरान 'अरे द्वारपालों कन्हैया से कह दो' गीत पर झांकी देख दर्शक भाव विह्वल हो गए।
 
कृष्ण सुदामा मिलन की झांकी देख भर आई आंखें

चंदौली जिले के नौगढ़ में  श्रीमद् भागवत कथा ज्ञान यज्ञ के अंतिम दिन भागवताचार्य गौरीश पांडे ने सुदामा चरित्र की कथा सुनाई। इस दौरान 'अरे द्वारपालों कन्हैया से कह दो' गीत पर झांकी देख दर्शक भाव विह्वल हो गए। कृष्ण सुदामा मिलन की झांकी देख कर श्रद्धालुओं की आंखें भर आई।

Character story of Sudama

 कथा व्यास ने भगवान द्वारिकाधीश के विवाहों का वर्णन कर श्रोताओं को भावविभोर कर दिया। उन्होंने रुक्मिणी हरण भगवान द्वारिकाधीश के सत्यभामा, कालिंद्री, जाम्बबंती आदि से भी विवाहों की कथा विस्तार से सुनाते हुये कहा कि इस प्रकार उन्होंने सोलह हजार एक सौ आठ विवाह किए। उन्होंने सुदामा चरित्र का मार्मिक चित्रण करते हुए  श्रद्धालुओं को बताया कि गुरु के साथ कपट और मित्र से चोरी करने वाला व्यक्ति दरिद्र होता है।

Character story of Sudama

सुदामा ने जब पत्नी को कृष्ण की दोस्ती के बारे में बताया तो उन्होंने जीवन निर्वाह के लिए कृष्ण से धन लाने को कहा। द्वारिका पुरी में भगवान कृष्ण ने आंसुओं से उनके पैर धो डालें और अलौकिक वरदान देकर घर भेजा। भगवान द्वारिकाधीश और सुदामा की मित्रता हमें मैत्री संबंधों के साथ आदर्श मित्रधर्म की भी शिक्षा देती है। उन्होंने कहा कि परमात्मा का नाम स्मरण ही कलिकाल में प्राणिमात्र को भवसागर से पार कर देता है। परमात्मा किसी न किसी रूप में इस धरा पर अवतार धारण करते हैं।

कथा व्यास बताते हैं कि परमात्मा का वास सब जगह है, बस जरूरत है उसे पहचानने की। जो भी उसे सच्चे मन से याद करता है उसे वे अवश्य ही दर्शन देते हैं। मुख्य यजमान शिव नारायण जायसवाल सपत्नीक सुनीति रामायणी ने भागवत जी की आरती उतारी और अंत में प्रसाद वितरित किया गया। कथा में समाजसेवी प्रभु नारायण जायसवाल, द्वारिका नाथ जायसवाल, मौलाना यादव, प्रेम नारायण, गुलाब केसरी, विनोद यादव समेत काफी संख्या में श्रद्धालु उपस्थित थे।

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