गुरुवार को मन चेतना दिवस पर कराएं सही उपचार, मानसिक रोगों से मिलेगी मुक्ति
एक माह में देख जा चुके 300 से अधिक मरीज देख चुके डॉ. नितेश, मन चेतना दिवस से मिल रहा लोगों को लाभ
चंदौली जिले के नौगढ़ के गौरव केशरी 24 वर्षीय के मन में ऐसे बुरे विचार बार-बार आते थे जिसके कारण उन्हें घबराहट और बेचैनी होने लगती थी। वह अक्सर ही मृत व्यक्तियों के बारे में सोचते थे। चाह कर भी वह इन बुरे विचारों को आने से रोक नहीं पाते थे। जिसके कारण उनकी तबीयत खराब होने लगी। तभी उन्हें ‘मनकक्ष’ के बारे में का चला। यहां आने पर चिकित्सकों ने उन्हें बताया कि उन्हें (ओसीडी) ऑब्सेसिव कंपल्सिव डिस-ऑर्डरयह की बीमारी है। साथ ही उनका निःशुल्क उपचार शुरू किया। मनकक्ष से मिले परामर्श व दवाइयों का असर है कि अब वह पूरी तरह स्वस्थ हैं।
सदर निवासी 55 वर्षीय सारनाथ मौर्या को नशे की लत थी। जिसके कारण उनका घर बर्बादी के कगार पर था। मन कक्ष में हुए उपचार से उन्होंने अब नशा करना छोड़ दिया है।
जिला मानसिक स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. हेमंत कुमार बताते हैं कि मानसिक रोगों को लेकर समाज में आज भी तरह-तरह की भ्रांतियां है। इसके कारण कई जिंदगियां खराब हो चुकी है,कई परिवार या तो टूट चुके है या टूटने के कगार पर है। वजह मानसिक रोग को एक रोग न समझ, आज भी लोग झाड़ फूंक से इसका समाधान ढूढ़ने का प्रयास करते हैं। जबकि मेडिकल साइंस में इसका इलाज संभव है। यही कारण है कि अब ग्रामीण क्षेत्रों में भी मानसिक रोगियों के इलाज हेतु प्रत्येक बृहस्पतिवार को समुदायिक स्वास्थ्य केंद्र भोगवारा, सकलडीहा, नौगढ़ एवं जिला संयुक्त चिकित्सालय चकिया पर ‘मन चेतना दिवस’ मनाए जाने का निर्देश दिया गया है। इसके सार्थक परिणाम भी आ रहे हैं। यहाँ महज एक महीने में लगभग 300 मरीज देखे जा चुके है।
जिला मानसिक स्वास्थ्य प्रकोष्ठ के मनोचिकित्सक डॉ. नितेश कुमार सिंह ने बताया कि मानसिक रोगों की जद से बाहर निकालने के लिए कुछ दिन तक यदि डॉक्टर कि निगरानी में इलाज कराया जाए तो इस रोग से आजीवन मुक्ति मिल सकती है। इसके लिए मरीज को नियमित इलाज और दृढ़ इच्छाशक्ति की जरूरत भी होती है। जिसके लिए मरीज के परिवार वालों के भावनात्मक सहयोग कि भी जरूरत होती है।
डॉ. नितेश कुमार कहते है कि शरीर की सभी सरंचनाओं में दिमाग सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा होता है। जिसका संचालन हार्मोन के जरिये होता है। ये हार्मोन हमारे शरीर के सभी गतिविधियों का संचालन करते है,यदि इसमें असंतुलन हो जाता है तो शरीर को दिमाग अनावश्यक संदेश देता हैं। जिसके कारण शारीरिक गतिविधियों में संतुलन बिगड़ जाता है। ऐसी ही स्थिति को अवसाद, आब्सेसिव कंपल्सिव डिसआर्डर, बाइपोलर डिसऑर्डर, डिमेंशिया, चिंता, स्किजोफ्रेनिया, नशे की लत, मिर्गी के लक्षण के रूप में देखा जा सकता है।
मानसिक समस्याओं के लक्षण :
तनाव,हाथों में कंपन्न, हड़बड़ी में रहना,अत्यधिक डरावने सपनों का आना, बार-बार हाथ पैर धुलना, अत्यधिक सफाई करना, बार-बार तलवे को देखना, नकरात्मक विचारों का बार-बार आना,डर की आशंका बने रहना,एक ही समय में हँसने और रोने का मन करना, यादाश्त की कमी, चीजों को रखकर भूलना,मन उदास होना,घबराहट, काम मे मन न लगना,निराशा, आत्महत्या के विचार आना,रोने की इच्छा होना,मन मे उत्साह की कमी होना, लोगों पर शक करना की मेरे बारे में लोग क्या बात करते है, बुदबुदाना, कानों में तरह-तरह की आवाजें सुनाई देना, एकांतमें रहना पसंद करना, शरीर की साफ-सफाई न रखना,शराब,गांजा,सिगरेट,तंबाकू,अफीम,स्मैक की लत,अनिद्रा,चिड़चिड़ापन, गुस्सा गाली गलौच करना ,शरीर मे अकड़न होना,झटके के समय होठ या जुबान का कट जाना, मल-मूत्र निकल जाना।
क्लीनिकल साइकोजिस्ट अजय कुमार बताते हैं कि ऐसे लक्षण वाले लोग, मानसिक रोगों के इलाज हेतु प्रत्येक सोमवार, बुधवार एवं शुक्रवार को जिला चिकित्सालय, चंदौली के मन कक्ष कमरा नम्बर 40 में इलाज करा सकते है। और क्षेत्रीय इलाज हेतु मन चेतना दिवस प्रत्येक बृहस्पतिवार को सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र भोगवारा, सकलडीहा, नौगढ़, एवं चकिया में दिखा सकते है। साथ ही अन्य विवण के लिए मन कक्ष के हेल्पलाइन नम्बर 7565802028 पर सुबह 8 बजे से 2 बजे तक संपर्क कर सकते है।
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