नौगढ़ में राम कथा का पांचवा दिन.....जिस घर में बेटी पिता से डरती है, उसके पिता को समाज से नहीं डरना पड़ता है!
कथा वाचिका मानस मयूरी शालिनी त्रिपाठी ने कहा कि हर घर में बैठा जनक रुपी पिता दहेज रूपी धनुष के कारण विलाप कर रहा है।
नौगढ़ में राम कथा का पांचवा दिन.....
जिस घर में बेटी पिता से डरती है, उसके पिता को समाज से नहीं डरना पड़ता है!
चंदौली जिले में तहसील नौगढ़ के नर्वदापुर गांव में मां अमरा भवानी के दरबार में चल रही संगीतमय रामकथा के पांचवें दिन मंगलवार को कथा वाचिका मानस मयूरी शालिनी त्रिपाठी ने फुलवारी तथा सीता राम विवाह की कथा सुनाई। उन्होंने जब राम विवाह का प्रसंग सुनाया तो मानो सभी श्रोताओं को लगा कि वह भगवान राम के विवाह में ही शामिल हो गए हैं।
बताते चलें कि जय श्री राम के उद्घोष के बीच जैसे- जैसे समय गुजरता गया कथा का रसपान कराते हुए कथा वाचिका ने कहा कि जहां भक्ति विलाप करती है, वहां विनाश होता है और जहां भक्ति प्रसन्न होती है वहां प्रकाश होता है। आज हर घर में बैठा जनक रुपी पिता दहेज रूपी धनुष के कारण विलाप कर रहा है।
कथा को आगे बढ़ाते हुए शालिनी ने कहा कि सीता जी मां गौरी पूजन के लिए फुलवारी से फूल तोड़ने के लिए जाती हैं। उसी फुलवारी में भगवान राम का दर्शन होता है। सीता की नजर राम पर पड़ती है तो वह मोहित हो जाती है। दूसरी तरफ भगवान राम को सीता के नुपुर की आवाज मोहित करती हैं। गौरी की पूजा करते समय सीता जी अपने वर के रूप में राम को मांगती हैं।
राम विवाह के दृश्य का रसपान कराते हुए श्रोताओं को बताया कि राजा जनक गुरु विश्वामित्र के साथ राम व लक्ष्मण को धनुष यज्ञ शाला ले गए। यहां पर देश विदेश के राजा सुंदर सिंहासन पर विराजमान थे। राजा जनक ने अपनी प्रतिज्ञा के बारे में सभी को अवगत कराया कि जो इस धनुष को तोड़ेगा उसके साथ सीता का विवाह होगा। सभी राजाओं ने बारी बारी से धनुष तोड़ने का प्रयास किया लेकिन सभी असफल रहे। लंका का राजा रावण भी धनुष तोड़ने का प्रयास करता है लेकिन एक भविष्यवाणी ने उसे विचलित कर दिया। राजागण के धनुष न तोड़ पाने के कारण निराश राजा जनक को देखकर गुरु विश्वामित्र का इशारा पाकर राम धनुष की प्रत्यंचा चढ़ाते हैं तो अन्य राजा आश्चर्यचकित हो जाते हैं। धनुष टूटने के बाद राम व सीता एक-दूसरे के गले में जयमाल डाल देते हैं। धनुष टूटते ही फूलों की वर्षा शुरू होती है।
कथा वाचिका शालिनी ने राम विवाह प्रसंग से संबंधित कई मधुर भजनों को बेहतरीन प्रस्तुति देकर श्रद्धालुओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। मौके पर यज्ञाचार्य पंडित अमरेश चंद्र, आचार्य पंडित रवि शुक्ला, ज्ञान प्रकाश सिंह, राम नरेश उर्फ बच्चा यादव,अचल सिंह यादव, विवेक यदुवंशी, अनिल यदुवंशी सहित बड़ी संख्या में महिला एवं पुरुष श्रद्धालु उपस्थित थे ।
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