नौगढ़ में रामकथा का आयोजन, सती प्रसंग और भगवान राम की परीक्षा की सुनायी कथा
नौगढ़ दुर्गा मंदिर पोखरे पर सात दिवसीय संगीतमय श्री राम कथा
योगेश्वर राधेश्याम गिरी सुना रहे हैं कथा
मानस की पंक्ति में कथा प्रसंग में सती के संशय की विस्तार से चर्चा करते हुए योगेश्वर राधेश्याम ने कहा कि जिस समय भगवान शंकर अपनी भार्या सती के साथ सत्संग के बाद अगस्त मुनि के आश्रम से लौट रहे थे उसी समय त्रेता युग में राम सीता हरण से व्याकुल हो जहां-तहां सीता की खोज में विलाप कर रहे हैं, वहीं रास्ते से भगवान राम की परीक्षा लेने सती जा रही हैं। भगवान शंकर कहते हैं कि हे सती देखो मर्यादा पुरुषोत्तम राम लीला कर रहे हैं। पार्वती को शंकर जी मना करते हैं फिर भी वे नहीं मानती। सती सीता के वेष में आकर राम के सामने खड़ी हो जाती हैं। भगवान राम ने हाथ जोड़ते हुए कहा कि माता प्रणाम आप जंगल में कहां घूम रही हैं। यह सुनकर सती के पैरों तले जमीन खिसक जाती है तथा अपने किए पर काफी पश्चाताप करती हैं।
कथा में भगवान शिव कहते हैं सती आप बार-बार झूठ बोल रही हैं तो अब इस शरीर से आप का भेंट असंभव है। उन्होंने सती का पत्नी के रूप में परित्याग करने का प्रण कर लिया। कथा को विश्राम देते हुए भजन सुनाया कि हरिनाम नहीँ तो जीना क्या, छोड़ उसे विष पीना क्या सुनाकर सबको भक्ति के सागर में डूबो दिया। कथा के अंत में आरती प्रसाद वितरण हुआ।
रामकथा के मुख्य यजमान शिवनारायण जायसवाल व सुनीति रामायणी ने भगवान की आरती करने के बाद सबको प्रसाद वितरण किया। इस मौके पर प्रमुख रूप से शांति देवी, व्यापार मंडल के अध्यक्ष सूरज केसरी, कांता जायसवाल, गुलाब केसरी, रमेश उर्फ पप्पू केशरी शंकर सोनी, राजू पांडे समेत भारी संख्या में कथा प्रेमी मौजूद रहे।
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