नौगढ़ में शो पीस बने हैं लाखों रूपये खर्च करने के बाद भी पानी टैंकर
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चन्दौली जनपद के नक्सल प्रभावित नौगढ़ इलाके के गांवों में गर्मी में हर साल की तरह इस साल भी पानी की व्यवस्था के लिए अभी से मांग उठनी शुरू हो गयी है। लॉक डाउन में गांव -गांव में लोगों को घर से निकलना नहीं है, तो पानी जैसी मूलभूत समस्या का कैसे हल ..यह सोचा जाना चाहिए।
इलाके के परसिया, बटौवा, रिठियां, अतरवा सहित नौगढ़ कस्बे के लोग भी पानी किल्लत की सवाल उठा रहें हैं।
हर साल की तरह प्रशासन टैंकर खड़ा करके व प्रधानों को चापाकल बनाने को कह कर पानी समस्या का हल करने का दावा कर रहा है, लेकिन अभी तक दोनों काम अधूरें हैं या कुछ गाँव में यह शुरू भी नहीं हुआ है।
पिछले कुछ वर्षों पूर्व में पानी की समस्या हल करने के लिए 5 करोड़ 14लाख रुपया धन खर्च किया गया था, लेकिन वह भी धन भ्रष्टाचार का भेंट चढ़ गया। नौगढ के तमाम ग्राम सभा में पहले सैकड़ों चापाकल व नलकूप लगे होने का प्रशासन कर रहा है और अगर उसी चापाकल लगाते समय मानक का ध्यान दिया लगा होता तो जनता के टैक्स का पैसा का दुरुपयोग नहीं होता और पानी की समस्या भी हल हो जाती लेकिन नहीं हुआ।
चापाकल लगाने मानक था कि उसकी गहराई 100 मीटर होगी, उच्च क्वालिटी का पाइप का इस्तेमाल होगा, लेकिन कमीशन के चक्कर में मानक के विपरीत काम हुआ। नतीजा की गर्मी के मौसम में हर साल पीने की पानी की किल्लत होती हैं और पुनःधन की बर्बादी होती है। पानी पीने की ब्यवस्था के नाम पर होती हैं बहुत गांव मे टैंकर भेजने की ब्यवस्था प्रशासन को करना होता हैं, जो अब शुरू कर देना चाहिए।
कहते हैं कि पानी टैंकर से जाने पर वह पानी इतना गरम हो जा रहा है, जो कि वह पीने लायक नही रहता है। इस तरह से पानी पीने की व्यवस्था के नाम पर धांधली हर साल होती रही हैं।
आज स्वराज अभियान के नेता व ग्रामीण मजदूर मंच के प्रवक्ता अजय राय को नौगढ से जो सूचना मिली है उसके आधार पर प्रशासन से मांग उठायी हैं कि गांवों में चापाकल, कुआं और नलकूप की तत्काल मरम्मत करायी जाए। वही टैकंर से लॉकडाउन के समय पानी पहुचाने की ब्यवस्था हो।
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