धीरे-धीरे सैलानियों से गुलजार होने लगा है औरवाटाड़ जलप्रपात, जानिए क्या-क्या है खास
जुलाई से पर्यटकों के लिए खुला पार्क
औरवाटांड में बढञ रही है सैलानियों की भीड़
जानिए कितनी है एंट्री और पार्किंग फीस
चंदौली जिले में बीते वर्ष जनवरी माह में मौजूदा जिलाधिकारी ईशा दुहन जिले के अधिकारियों के साथ औरवाटाड़ व छानपाथर जलप्रपात पर पहुंच गई और दोनों जलप्रपातों को पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने के लिए शासन को कार्ययोजना बनाकर भेज दिया। शासन की तरफ से मार्च में ही मंजूरी मिलने के साथ दोनों पर्यटन स्थल के लिए दो-दो करोड़ रुपए अवमुक्त हो गए।
आपको बता दें कि औरवाटाड़ लगभग बनकर पूरी तरह तैयार हो चुका है और बीते जुलाई से इसे प्रारंभ भी कर दिया गया है। जिसका परिणाम है कि औरवाटांड अब सैलानियों से गुलजार होने लगा है। इसके संचालन के लिए वन विभाग द्वारा संयुक्त वन प्रबंधन समिति का गठन किया गया है। प्रति व्यक्ति प्रवेश शुल्क 20, कार व जोप का पार्किंग 20 रुपये, जबकि भारी वाहन बस, ट्रक व ट्रैक्टर का सी रुपये लिया जा रहा है। वाटरफाल पर सैलानियों की संख्या घोरे-धीरे बढ़ रही है। जिससे राजस्व व पर्यटन को बढ़ावा मिल रहा है। आने वाले दिनों में कैंटीन का भी संचालन जल्द ही प्रारंभ कर दिया जाएगा। राजस्व में भी आमदनी हो रही है। आने वाले दिनों में कैंटीन का भी संचालन जल्द ही प्रारंभ कर दिया जाएगा।
बताते चलें कि वाटर फाल पर कार्य हुए पूर्ण औरवाटाड़ वाटर फाल पर पर्यटकों के लिए बांस से एडमिन बिल्डिंग, कैंटीन व चाच टावर बनाया गया है। वहीं बच्चों की मस्ती के लिए चिल्ड्रन पार्क, झूला, चकरी, फिसल पट्टी, समर हाट तो वयस्कों के लिए एडवेंचर गेम, लो रोप कार्स, कमांडों नेटवाल व टायर वाल क्लाइंग रोमांचित करेगा। वाच टावर से सैलानी झरने व प्राकृतिक सौंदर्य का आनंद लेने के साथ सेल्फी व फोटोग्राफी भी कर रहे हैं। यहां से दूर दूर तक सिर्फ जंगल नजर आ रहा। पर्यटकों के लिए स्विमिंग पूल, पार्क, जानवरों की भित्ति चित्र, पर्यटकों के ठहरने के लिए आवास, होटल की व्यवस्था, झरने के उस पार जाने के लिए रोपवे की व्यवस्था अभी होना है। वहीं जंगलों में जंगली जानवरों की सुरक्षा व्यवस्था, जिससे जंगली जानवर सैलानियों को देखकर इधर- उधर न भागे और उन्हें किसी प्रकार का कोई खतरा न हो इसके लिए सैलानियों को अभी इंतजार भी करना पड़ेगा।
बता दें कि वेरियर में करना होगा बदलाव औरवाटाड़ वाटर फाल पर जाने के लिए एक किलोमीटर पहले ही बेरियर लगा दिया गया है और पार्किंग व अंदर जाने का शुल्क लिया जा रहा है। जबकि औरवाटाड़ वाटरफाल के मुख्य गेट के पास ही इसकी व्यवस्था होनी चाहिए और वहीं पर सैलानियों से रसीद लेकर शुल्क लिया जा सकता है। जिससे सैलानियों को काफी सुविधा होगी और उन्हें एक किमी की दूरी तय नहीं करनी पड़ेगी।
सैलानियों के लिए कैंटीन व ठहरने के की व्यवस्था में भी बदलाव करना होगा, क्योंकि घने जंगलों के बीच में जलप्रपात है। यहां पर ठहरने के लिए सुरक्षा के काफी पुख्ता इंतजाम होने चाहिए। पार्किंग के लिए घेराबंदी नहीं कराई गई है। जिसमें वाहन इधर-उधर जंगल में पेड़ों के नीचे खड़े किए जा रहे हैं। इसके लिए विभाग को बाकायदा पार्किंग स्थल बनाना होगा। ताकि जंगल में लगे हुए पौधों को कोई क्षति नहीं हो।
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