नौगढ़ के जंगलों में घूम रहे हैं खतरनाक भालू, सरसो काट रहे युवक के ऊपर किया हमला

डीएफओ साहब- शुरू करिए भालू भगाओ अभियान
नौगढ़ में सरसों काट रहे युवक को घसीटने लगा भालू
लहूलुहान हालत में खेत में छोड़कर भागा
ट्रॉमा सेंटर में अभी चल रहा है इलाज
चंदौली जिले में तहसील नौगढ़ के लौवारी कला गांव में भालूओं का आतंक चरम पर है, लेकिन वन विभाग अब भी हाथ पर हाथ धरे बैठा है। मंगलवार को सुबह खेत में सरसों काट रहे युवक रामभवन (32 वर्ष) पर भालू ने अचानक हमला कर दिया। युवक को जमीन पर गिराकर घसीटने लगा और उसके सिर, हाथ, पैर और जांघ को नुकीले पंजों से बुरी तरह नोच डाला।

बताया जा रहा है कि घायल युवक दर्द से चीखता रहा, लेकिन भालू तब तक उसे नोचता रहा जब तक चरवाहों ने लाठी-डंडों के साथ हमला नहीं किया। किसी तरह शोर सुनकर भालू वहां से भागा, लेकिन युवक लहूलुहान हालत में बेहोश होकर खेत में गिर पड़ा। ग्रामीणों का कहना है कि अगर चरवाहे मौके पर न पहुंचते, तो भालू उसे मार डालता।

लौवारी कला गांव और आसपास के इलाके में भालूओं के आतंक से लोग परेशान हैं। एक महीने के अंदर यह दूसरी बड़ी घटना है, लेकिन वन विभाग सिर्फ आश्वासन देकर मामले को टाल रहा है। बीते 7 फरवरी को इसी गांव के संजय कोल को एक जंगली भालू ने हमला कर आंख नोच लिया, बीएचयू ट्रामा सेंटर में आपरेशन के बाद अभी भी इलाज चल रहा है। गांव के लोगों का कहना है कि अब दिन में भी खेतों में जाना खतरे से खाली नहीं है।
"पंचायत लौवारी कला के प्रधान यशवंत सिंह यादव ने चंदौली समाचार स कहा हम कई बार वन विभाग को सूचित कर चुके हैं कि भालू और अन्य जंगली जानवर गांव में घुस रहे हैं, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। अब हालत ऐसी हो गई है कि लोग डर के कारण खेती छोड़ने को मजबूर हो रहे हैं। क्या प्रशासन किसी की मौत का इंतजार कर रहा है?"
गंभीर हालत में युवक ट्रामा सेंटर रेफर
आपको बता दें कि खेत में तड़प रहे युवक के परिजनों को चरवाहों ने सूचना दी, जिसके बाद ग्राम प्रधान यशवंत सिंह यादव मौके पर पहुंचे और 108 एंबुलेंस को बुलवाया। घायल को सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (सीएचसी) ले जाया गया, लेकिन गहरे घावों से खून लगातार बहने के कारण डॉक्टरों ने उसे वाराणसी के ट्रामा सेंटर रेफर कर दिया। घटना के बाद वन क्षेत्राधिकारी जयमोहनी रेंज के मकसूद हुसैन के निर्देश पर वन विभाग की टीम मौके पर पहुंची और भालू की गतिविधियों की जांच शुरू की। टीम ने गांव के आसपास भालू के पैरों के निशान और मल-मूत्र के नमूने लिए, जिससे यह पुष्टि हुई कि भालू जंगल से भोजन की तलाश में आया था।
वन विभाग के द्वारा गश्त बढ़ाने और भालूओं को ट्रैक करने की बात
वन क्षेत्राधिकारी मकसूद हुसैन ने कहा, "जांच में पता चला है कि भालू जंगल से भोजन की तलाश में खेतों की ओर आया था। इससे पहले भी ऐसे मामले सामने आ चुके हैं। ग्रामीणों को सतर्क रहने और समूह में खेतों में जाने की सलाह दी जा रही है।"
रामनगर के डीएफओ दिलीप श्रीवास्तव बोले
"वन विभाग ने नौगढ़ इलाके में गश्त बढ़ाने का फैसला किया है। कैमरा ट्रैप और पिंजरे लगाने की योजना बनाई जा रही है ताकि भालू की गतिविधियों पर नजर रखी जा सके। अगर भालू बार-बार गांव में प्रवेश करते हैं, तो उसे ट्रैंक्विलाइज़र (बेहोश कर) जंगल में छोड़ने की कार्रवाई की जाएगी।"
वन विभाग से सीधी मांग, सुरक्षा दो या भालू हटाओ
ग्रामीणों का कहना है कि अब सिर्फ आश्वासन नहीं, बल्कि ठोस कार्रवाई चाहिए। लोगों ने वन विभाग से गश्त बढ़ाने, कैमरा ट्रैप लगाने और भालू को जंगल में वापस भेजने की मांग की है। गांव के संतोष कोल ने कहा "हर दिन लोग डर के साए में जी रहे हैं। अगर वन विभाग अब भी नहीं जागा, तो हमें खुद अपनी सुरक्षा के लिए कदम उठाने पड़ेंगे।" भालू के हमले की घटनाएं लगातार बढ़ रही हैं, लेकिन वन विभाग की सुस्त कार्यप्रणाली ग्रामीणों की जान के लिए खतरा बन गई है। सवाल यह उठता है कि क्या प्रशासन किसी बड़ी अनहोनी का इंतजार कर रहा है? या फिर अब भी वे सिर्फ रिपोर्ट दर्ज कर खानापूर्ति करने में लगे रहेंगे?
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