नौगढ़ में शराबी बाइक सवार ने खड़े पिकअप में मारी टक्कर, टूट गया पैर

नौगढ़ में दर्दनाक सड़क हादसा
शराबी बाइक सवार की पिकअप से भिड़ंत
राहगीरों की मदद से पहुंचा अस्पताल
चंदौली जिले के तहसील नौगढ़ में सोनभद्र के मुख्य मार्ग पर जयमोहनी पुलिया के पास रात आठ बजे का अंधेरा, सुनसान सड़क और लहूलुहान हालत में तड़पता एक युवक अगर समय पर मदद न मिलती, तो शायद यह कहानी एक दर्दनाक अंत पर खत्म हो जाती। सोनभद्र के मधुपुर निवासी सूरज गोड़ ने शराब के नशे में मोटरसाइकिल चलाई, लेकिन यह सफर सीधा मौत के दरवाजे तक पहुंचा दिया। नौगढ़-सोनभद्र मुख्य मार्ग पर जयमोहनी पुल के पास खड़े पिकअप में उसने जबरदस्त टक्कर मार दी।

आपको बता दें कि टक्कर इतनी भयानक थी कि बाइक का अगला हिस्सा पूरी तरह चकनाचूर हो गया, और सूरज उछलकर सड़क पर गिर पड़ा। सिर फट गया, खून बहने लगा, और पैर घुटने के नीचे से टूटकर अलग-सा दिखने लगा। लेकिन असली खतरा यह था कि वह सुनसान सड़क पर अकेला पड़ा था, जहां मदद मिलने की उम्मीद बेहद कम थी।
30 मिनट तक पड़ी रही जिंदगी सड़क पर!
रात होने के कारण वहां से गुजरने वाले वाहन भी कम थे। करीब 30 मिनट तक सूरज वहीं पड़ा रहा, दर्द से कराहता, लेकिन नशे में होने के कारण पूरी तरह होश में नहीं था। अगर कोई और वाहन उसकी ओर नहीं देखता, तो शायद यह हादसा जानलेवा साबित हो जाता। फिर किस्मत ने साथ दिया—कुछ राहगीरों की नजर उस पर पड़ी। उन्होंने तुरंत 108 एंबुलेंस और पुलिस को फोन किया। मझगवां चौकी पुलिस और एंबुलेंस मौके पर पहुंची और युवक को सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र नौगढ़ ले जाया गया।
खून से लथपथ युवक को देखकर चौंक गए डॉक्टर!
सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पर मौजूद डॉक्टर नीरज कुमार ने जैसे ही युवक को देखा, उनकी पहली प्रतिक्रिया थी—"ये ज्यादा देर और यहां पड़ा रहता, तो मामला हाथ से निकल जाता!" इलाज के दौरान पता चला कि पैर घुटने के नीचे से बुरी तरह टूट चुका है और सिर में गंभीर चोट आई है। खून ज्यादा बह जाने के कारण उसकी हालत बिगड़ने लगी, तो तुरंत उसे वाराणसी के बीएचयू ट्रामा सेंटर रेफर कर दिया गया।
मोबाइल बना जिंदगी का सहारा
घायल युवक के पास कोई पहचान पत्र नहीं था, लेकिन पुलिस ने उसकी जेब में पड़े मोबाइल से कॉल लॉग चेक किया। वहां पड़ोसी बलवंत मौर्य का नंबर मिला। तुरंत फोन किया गया और उसके परिजनों को सूचना दी गई। यह हादसा उन लोगों के लिए बड़ा सबक है, जो शराब के नशे में गाड़ी चलाने को मजाक समझते हैं। सूरज की जान तो बच गई, लेकिन अगर मदद देर से मिलती, तो अंजाम कुछ और हो सकता था। नशे में वाहन चलाना सिर्फ अपनी ही नहीं, बल्कि सड़क पर चल रहे अन्य लोगों की जान भी जोखिम में डाल सकता है। यह हादसा इस बात का प्रमाण है कि एक गलत कदम जिंदगीभर की तकलीफ दे सकता है, या फिर जिंदगी ही छीन सकता है!
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