भालुओं के आतंक पर 'चंदौली समाचार' की दस्तक, अब हरकत में आये वन विभाग के अधिकारी
डीएफओ खुद पहुंचेंगे लौवारी कला
चंदौली समाचार से बोले- गांव जाकर लगाएंगे चौपाल
गांव के लोगों से करेंगे सुरक्षा को लेकर सीधा संवाद
नौगढ़ के जंगल में जंगली जानवरों के हमले से फैल रहे खून, डर के माहौल में लोगों को सरकारी मदद की जरूरत है। ऐसे में भालुओं के हमलों की खबरें ‘चंदौली समाचार’ ने बेझिझक उठाईं और अब इस पत्रकारिता की आवाज़ ने प्रशासन को नींद से जगाया है। नरकटी बीट के अमदहां जंगल में सोमवार को लकड़ी लेने गई महिला पर भालू ने हमला किया तो चंदौली समाचार ने इस खबर को प्राथमिकता से उठाया। तो वन विभाग के अधिकारी हरकत में आ गए।
भालू के हमले में गंभीर रूप से घायल महिला को ग्रामीणों ने किसी तरह बचाया और अस्पताल पहुंचाया। इसके बाद चंदौली समाचार की खबर पढ़ने के बाद वन विभाग हरकत में आया है। डीएफओ दिलीप श्रीवास्तव पंचायत लौवारी कला गांव में ग्रामीणों से सीधा संवाद कर एक विशेष सुरक्षा योजना तैयार करेंगे। उन्होंने बताया कि गांव के लोगों से परामर्श करना जरूरी है।
आपको बता दें कि वन विभाग के जयमोंहनी रेंज के अन्तर्गत नरकटी बीट के अमदहां जंगल में सोमवार को लकड़ी लेने गई अनिता देवी पर मादा भालू ने अचानक हमला कर दिया। वह बुरी तरह लहूलुहान हो गईं। ग्रामीणों ने साहस दिखाते हुए किसी तरह उन्हें भालू के चंगुल से छुड़ाया और 108 एंबुलेंस से सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पहुंचाया। वहां से हालत गंभीर देख डॉक्टरों ने उन्हें वाराणसी के ट्रामा सेंटर रेफर कर दिया।
तीन महीने में तीन हमले, के बाद टूटी खामोशी
पहले 7 फरवरी फिर 4 मार्च और अब 4 मई को एक और हमला। हर महीने एक नया हमला होता देख लोगों में दहशत दिखने लगी है।
लौवारी कला और नरकटी जैसे गांवों में भालुओं का आतंक लगातार बढ़ रहा है, लेकिन अब तक कोई ठोस सुरक्षा इंतजाम नहीं हुए। न वन विभाग की ओर से गश्त, न कोई अलर्ट सिस्टम, जिससे जंगली जानवर लगातार हमले करते जा रहे हैं और इंसान बेबस दिख रहा है।
जब महिलाएं लकड़ी के लिए जाएं तो क्या करें
सरकार "महिला सशक्तिकरण" की बात करती है, लेकिन गांव की महिलाएं आज भी पेट की आग बुझाने के लिए बिना सुरक्षा जंगल जाती हैं। न कोई फॉरेस्ट गार्ड, न चेतावनी बोर्ड, न कोई ट्रेनिंग — यह न सिर्फ जंगल का मामला है, बल्कि महिला सुरक्षा, प्रशासनिक जवाबदेही और मौलिक अधिकारों का प्रश्न है।
अब सवाल नहीं, जवाब चाहिए!
1. क्यों नहीं है जंगल में नियमित गश्ती व्यवस्था?
2. क्यों नहीं ग्रामीणों को जंगल में प्रवेश से पहले प्रशिक्षण और सुरक्षा उपकरण दिए जाते?
3. क्यों नहीं भालुओं की संख्या और गतिविधियों पर निगरानी रखी जाती?
डीएफओ ने क्या कहा..
प्रभागीय वनाधिकारी दिलीप श्रीवास्तव ने ‘चंदौली समाचार’ से बातचीत में बताया कि हम ग्रामीणों की सुरक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता दे रहे हैं। लौवारी कला गांव में मैं स्वयं पहुंचकर लोगों से संवाद करूंगा। भालुओं से निपटने के लिए एक विशेष कार्ययोजना बनाई जा रही है और आवश्यक हुआ तो ग्रामीणों को सुरक्षा किट भी दिए जाएंगे। इसके अलावा गश्ती बढ़ाने, चेतावनी बोर्ड लगाने और तकनीकी निगरानी के उपाय भी अपनाए जाएंगे।
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