नौगढ़ में तहसील दिवस पर अजीबो गरीब आ गया मामला, जानिए क्यों हंसने लगी एसडीएम दिव्या ओझा

"मेहरारू नैहर भाग गईल... साहब या विदाई करा दीजिए या छुट्टा दिला दीजिए!"
तहसील समाधान दिवस बना घरेलू ड्रामा का मंच
फरियादी की गुहार पर अफसर भी मुस्कुरा दिए
चंदौली जिले के तहसील नौगढ़ में तहसील समाधान दिवस आमतौर पर राजस्व, भूमि विवाद या सरकारी योजनाओं से जुड़ी शिकायतों से भरा रहता है, लेकिन इस बार नौगढ़ तहसील में शनिवार को एक अलग ही नज़ारा देखने को मिला। फरियादी की जुबानी जब “दिल का दर्द” बाहर आया, तो समाधान दिवस कुछ देर के लिए “संवेदनात्मक दिवस” बन गया।

"हमार दिल टूट गइल ह, साहब!"
यह आवाज़ थी अमृतपुर निवासी उस शख्स की, जो अपनी नैहर "भागी हुई" पत्नी की याद और बेवफाई का दुख लिए समाधान दिवस पहुंचा था। उसने एसडीएम दिव्या ओझा को प्रार्थना पत्र थमाते हुए कहा— “साहब, हमार मेहरारू मोबाइल पर दूसरे से बतियावेली। घर-गृहस्थी छोड़ के अपने माई के घर भाग गईल ह। हम त तीन पुलिस चौकी – मझगावां, हरियाबांध अउर अमदहां जाकर – रिपोर्ट दर्ज करवा चुके हईं, लेकिन कहीं से कुछ सुनवाई नाहीं होई रहल।”

अफसर भी मुस्कुरा दिए
एसडीएम मैडम ने पहले तो गंभीरता से प्रार्थना पत्र पढ़ा, लेकिन जब फरियादी ने पूरे अभिनय और दर्द के साथ कहा, या त मेहरारू के विदाई करा दीजिए या छुट्टी छुट्टा दिला दीजिए, हम रोजे मरत बानी!"
तो पास बैठे सीओ नागेंद्र कुमार रावत भी हंसते-हंसते बोले— "बेटा, पहले मामला समझते हैं, फिर निपटाते हैं।"
एकै साल में बच्चा हो गईल...
सीओ साहब के पूछने पर कि शादी को कितना समय हुआ और कोई संतान है या नहीं, फरियादी बोला—
"साहब, शादी के साल भी पूरा ना भइल, एकै साल में बच्चा पैदा कर देहली... बाकि अब बोले के टाइम नाहीं मिलत, मोबाइल पर दूसर से बतियावेले।"
फरियादी ने अधिकारियों से बताया कि उसकी पत्नी न सिर्फ घर छोड़कर मायके चली गई है, बल्कि रोज़ाना कॉल और चैट पर किसी अज्ञात पुरुष से बातें करती है। जब उसने विरोध किया तो पत्नी ने उस पर हाथ भी उठाया। हमहूं मरद हईं, साहब! लेकिन रोजे अपमान सहते-सहते थक गइल बानी।"
अब देखना यह है मामले की गंभीरता को समझते हुए अधिकारियों ने दोनों पक्षों को बुलाकर काउंसलिंग कराने का निर्देश दिया है। अब देखना यह दिलचस्प होगा कि पति को उसकी “बिछड़ी हुई मेहरारू” वापस मिलती है या यह प्रेम कहानी ‘कानूनी छुट्टा’ पर जाकर खत्म होती है।
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