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नौगढ़ तहसील में फर्जी अध्यक्ष प्रकरण पर आ गया आदेश, वकालतनामा के लिए जरूरी होगा COP नम्बर

बताया जा रहा है कि तहसील नौगढ़ में आए दिन कार्य बहिष्कार होने से  न्यायिक माहौल पूरी तरह बिगड़ा हुआ था।
 

 डीएम की पहल पर जारी हुआ कड़ा फरमान

अब बिना COP नम्बर का वकालतनामा फर्जी

नौगढ़ के अधिवक्ता कमला यादव ने की थी शिकायत

चंदौली जिले के नौगढ़ तहसील में वकालत की साख को धूमिल करने वाले गोरखधंधे पर आखिरकार प्रशासन ने बड़ा वार किया है। अधिवक्ता कमला प्रसाद यादव की लिखित शिकायत पर गंभीर संज्ञान लेते हुए जिलाधिकारी चंद्र मोहन गर्ग और अपर जिलाधिकारी (वि./रा.) राजेश कुमार ने संयुक्त रूप से आदेश जारी किया है कि अब से किसी भी अधिवक्ता का वकालतनामा तभी मान्य होगा, जब उस पर उसकी पंजीकरण संख्या और COP नम्बर स्पष्ट रूप से दर्ज होगा।

फर्जी अध्यक्ष और अधिवक्ताओं पर गंभीर आरोप

आपको बता दें कि नौगढ़ थाना क्षेत्र के बोदलपुर गांव निवासी कमला प्रसाद यादव ने आरोप लगाया था कि तहसील नौगढ़ में खुद को बार एसोसिएशन का अध्यक्ष बताने वाले सत्यानंद तिवारी और उनके साथियों—रणविजय यादव, विनोद कुमार यादव, शक्तिमान यादव, बाबूलाल शर्मा और अंगद यादव—ने बिना परीक्षा पास किए और बिना COP प्रमाणपत्र हासिल किए तहसील न्यायालय में खुलेआम वकालत शुरू कर दी। यही नहीं, यह समूह फर्जी लेटर पैड छपवाकर मनमाने ढंग से हड़ताल घोषित करता रहा, जिससे न्यायिक कार्य पूरी तरह ठप हो जाता और फरियादी दर-दर भटकते रहे।

एसडीएम की रिपोर्ट के बाद कार्रवाई 

एसडीएम नौगढ़ विकास मित्तल ने मामले की गंभीरता को देखते हुए मौके पर जांच की और जिलाधिकारी को विस्तृत रिपोर्ट भेजी। रिपोर्ट में साफ उल्लेख है कि “बार काउंसिल ऑफ इंडिया के आदेश (12 जून 2010) की खुलेआम अवमानना हो रही है। बिना COP के वकालत करना सीधे-सीधे गंभीर अपराध की श्रेणी में आता है।”

जिलाधिकारी का सख्त रुख

जिलाधिकारी चंद्र मोहन गर्ग और अपर जिलाधिकारी राजेश कुमार ने जिले के सभी उप जिलाधिकारियों और न्यायालयों को कड़े शब्दों में निर्देश दिया है कि “कोई भी वकालतनामा पंजीकरण संख्या और COP नम्बर के बिना स्वीकार न किया जाए। नियम तोड़ने वालों पर तत्काल कार्रवाई सुनिश्चित की जाए।” यह आदेश जिलेभर में प्रभावी रहेगा और अवैध प्रैक्टिस करने वाले अधिवक्ताओं की अब एक-एक गतिविधि पर पैनी नजर रखी जाएगी।

न्याय व्यवस्था पर असर 

बताया जा रहा है कि तहसील नौगढ़ में आए दिन कार्य बहिष्कार होने से  न्यायिक माहौल पूरी तरह बिगड़ा हुआ था। आए दिन गाली-गलौज और हड़ताल के कारण दूर-दराज़ से आने वाले फरियादी मायूस होकर लौट जाते थे। जिलाधिकारी के आदेश के बाद अब पीड़ित वादकारी पक्ष ने राहत की सांस ली है। उनका कहना है कि अगर यह आदेश जमीन पर सही ढंग से लागू हुआ तो न्याय व्यवस्था में पारदर्शिता और अनुशासन वापस लौटेगा।

पालन नहीं हुआ तो और भी कठोर कदम

जिलाधिकारी ने संकेत दिए हैं कि अगर अधिवक्ताओं ने आदेश की अवहेलना की तो दोषियों पर फौजदारी धाराओं में मुकदमा दर्ज कर कठोर कार्रवाई की जाएगी। साथ ही तहसील परिसर में कानून व्यवस्था को भंग करने वालों को किसी भी कीमत पर बख्शा नहीं जाएगा।

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