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नौगढ़ के इन गांवों में है बंदरों का आतंक, कई लोग हो चुके हैं घायल

इस संबंध में वन क्षेत्राधिकारी रिजवान खान ने कहा कि संख्या काफी बढ़ गई है। बंदरों को पकड़ने के लिए पिंजरा वगैरह उपलब्ध करा दिया जाएगा। अगर ग्रामीण सहयोग करें तो कुछ बंदर पकड़े जा सकते हैं, लेकिन पूरे बंदरों को नहीं पकड़े जा सकता है।

 
 

 सहमे ग्रामीणों ने जिलाधिकारी से लगायी है गुहार

आतंक से मुक्ति दिलाने के लिए वन विभाग नहीं करता पहल

 जबरन छीन कर भाग रहे हैं सामान

बच्चों को भी बना रहे निशाना
 

चंदौली जिले के नौगढ़ विकास क्षेत्र में बंदरों का आतंक इतना बढ़ गया है कि अब लोगों का छत पर निकलना ही मुश्किल हो गया है। बंदर खाने पीने की वस्तुएं जबरन घरों से छीन कर भाग जा रहे हैं। साथ ही बच्चों पर हमला करके घायल भी कर दे रहे हैं। इसके लिए ग्रामीणों ने कई बार वन विभाग में भी शिकायत की, लेकिन वन विभाग की तरफ से कोई कार्रवाई या पहल नहीं की जाती है। इसका नतीजा यह है कि इनके आतंक से लोग भयभीत हो गए हैं।

ताजा मामले के बारे में बताया जा रहा है कि कस्बा क्षेत्र के छत पर धूप सेक रही मंदबुद्धि मुस्कान को बंदरों ने घेर कर कई जगह काट कर जख्मी कर दिया था। वहीं कस्बे के ही मनोज केशरी की पत्नी सीमा को छत पर बंदरों ने दौड़ाया की सीढ़ियों से गिर गयीं और उसका पैर फैक्चर हो गया था। इसके साथ अनुसूचित बस्ती में काली माता के पास बच्चे खेल रहे थे कि संजय की पुत्री निशा को बंदरों ने घेर कर काट लिया था, जिसे परिवार जनों ने सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में भर्ती कराया था।

जानकारी के अनुसार नौगढ़ कस्बे के विश्वनाथ केसरी के गाय को भी बंदरों ने झुंड बनाकर बुरी तरह काट कर जख्मी कर दिया था, जिससे 1 सप्ताह के अंदर ही गाय की मृत्यु हो गई थी। जख्मी करने के साथ-साथ इनका आतंक इतना है कि सामान लेकर भागने और लोगों के साथ सब्जियों को भी बुरी तरह रौंद कर नष्ट कर दे रहे हैं।

 विकास क्षेत्र के बाघी, सेमरा कुसहीं, मलेवर, अमृतपुर, बोदलपुर, गंगापुर, नरकटी, अमदहा, चिकनी, पढ़ौती, गहिला, मगरही, जमसोत, होरिला, पथरौर, देवखत, रिठिया, डुमरिया में बंदरों का आतंक काफी बढ़ गया है। क्षेत्र के पंकज मद्धेशिया, दीपक गुप्ता, पारसनाथ खरवार ,विजय पांडे ,देवेंद्र साहनी ,रतन केशरी ने जानकारी देते हुए बताया कि जंगल विभाग में कई बार इसके बाबत शिकायत किया गया। लेकिन इस दौरान एक बार नौगढ़ के वन क्षेत्राधिकारी ने पिजड़ा लगाकर 12 बंदरों को पकड़ कर इतिश्री कर ली। लेकिन अब इलाके में बंदरों की संख्या 200 से पार हो गई है, जिससे आए दिन बंदरों के आतंक से कोई न कोई घायल हो रहा है। क्षेत्रवासियों ने जिलाधिकारी का ध्यान आकृष्ट कराया है।

इस संबंध में वन क्षेत्राधिकारी रिजवान खान ने कहा कि संख्या काफी बढ़ गई है। बंदरों को पकड़ने के लिए पिंजरा वगैरह उपलब्ध करा दिया जाएगा। अगर ग्रामीण सहयोग करें तो कुछ बंदर पकड़े जा सकते हैं, लेकिन पूरे बंदरों को नहीं पकड़े जा सकता है।


वहीं चिकित्सा अधीक्षक अवधेश पटेल ने बताया कि सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में एंटी रेबीज की सबसे ज्यादा डोज बंदर के काटने से हुए जख्मी लोगों में प्रयोग किया जा रहा है। कुत्तों के काटने से अधिक लोग बंदरों के काटने के कारण अस्पताल में आ रहे हैं।

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