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अभी सुन लीजिए नौगढ़ की बेटी का कविता पाठ, अंतरराष्ट्रीय स्तर के मंच पर दिखाई अपनी प्रतिभा

"जहां बेटियां होती हैं, वहां रोशनी खुद-ब-खुद होती है।" इस कहावत को सच कर दिखाया है चंदौली जिले की नौगढ़ तहसील की बेटी, डॉ. दीपशिखा मद्धेशिया ने।
 

देखिए वीडियो, दिल्ली के अंतरराष्ट्रीय मंच पर नौगढ़ की बेटी का जलवा

बुद्ध और शांति’ पर काव्य पाठ से किया चंदौली का नाम रोशन

 

"जहां बेटियां होती हैं, वहां रोशनी खुद-ब-खुद होती है।" इस कहावत को सच कर दिखाया है चंदौली जिले की नौगढ़ तहसील की बेटी, डॉ. दीपशिखा मद्धेशिया ने। साहित्य और संस्कृति के क्षेत्र में अपनी विशिष्ट पहचान बनाते हुए उन्होंने नई दिल्ली के हरगोविंद सिंह सुरजीत भवन में आयोजित नेपाल-भारत अंतरराष्ट्रीय अंतर्विषयक सांस्कृतिक कार्यक्रम में हिस्सा लिया और अपनी स्वरचित कविता के माध्यम से ‘बुद्ध और शांति’ विषय पर अपनी बात रखी। इस प्रतिष्ठित मंच से उन्होंने स्त्री स्वतंत्रता और सामाजिक चेतना का सशक्त संदेश दिया, जिसने श्रोताओं को गहराई से प्रभावित किया।


बुद्ध के दर्शन और स्त्री स्वतंत्रता का अद्भुत मेल


डॉ. दीपशिखा ने अपने काव्य पाठ के माध्यम से गौतम बुद्ध के शांति संदेश को स्त्री सशक्तिकरण के विचारों से जोड़ते हुए एक नई दृष्टि प्रस्तुत की। उनकी कविता में न केवल समाज में महिलाओं के स्वतंत्र अस्तित्व की बात थी, बल्कि उनके आत्मनिर्णय और अधिकारों की वकालत भी थी। इस प्रस्तुति को साहित्यकारों, विद्वानों, शिक्षाविदों और श्रोताओं ने खूब सराहा और इसे एक महत्वपूर्ण वैचारिक योगदान माना।

इस कार्यक्रम में नेपाल और भारत के साथ-साथ अन्य देशों के साहित्यकारों, शिक्षाविदों और सांस्कृतिक दूतों ने भी भाग लिया। इस मंच पर नौगढ़ जैसे दूरस्थ क्षेत्र से आकर अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन करना सिर्फ दीपशिखा की उपलब्धि नहीं, बल्कि पूरे चंदौली और पूर्वांचल के लिए गर्व की बात है।

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नौगढ़ से अंतरराष्ट्रीय मंच तक: संघर्ष और सफलता की कहानी


नौगढ़ जैसा इलाका, जो आज भी संसाधनों की सीमित उपलब्धता से जूझ रहा है, वहां से निकलकर दिल्ली के प्रतिष्ठित मंच तक अपनी पहचान बनाना किसी साधारण उपलब्धि से कम नहीं। यह सफलता इस बात का प्रमाण है कि सच्ची लगन और मेहनत से किसी भी चुनौती को पार किया जा सकता है। डॉ. दीपशिखा मद्धेशिया ने अपनी कड़ी मेहनत और समर्पण से यह साबित कर दिया कि गांव और छोटे शहरों की बेटियां भी बड़े मंचों तक पहुंच सकती हैं और अपनी आवाज बुलंद कर सकती हैं। उनका यह सफर हर उस लड़की के लिए प्रेरणा है जो अपने सपनों को साकार करना चाहती है।


क्षेत्र में खुशी की लहर, लोगों ने दी शुभकामनाएं

डॉ. दीपशिखा की इस उपलब्धि से न केवल उनके पिता पंकज गर्वित हैं, बल्कि पूरे नौगढ़ और चंदौली जिले में खुशी की लहर है। क्षेत्र के लोगों ने उन्हें बधाई देते हुए उनके उज्ज्वल भविष्य की कामना की। उनकी यह सफलता साहित्य और सामाजिक परिवर्तन के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण योगदान है, जिससे यह संदेश जाता है कि अगर संकल्प दृढ़ हो और मेहनत सच्ची हो, तो कोई भी मंजिल दूर नहीं। उनकी यह उपलब्धि आने वाली पीढ़ियों के लिए एक मिसाल बन गई है।

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