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नौगढ़ में बनेगा एकलव्य वन : 6000 पौधों से सजेगा 15 हेक्टेयर का हरित क्षेत्र

9 जुलाई को इसे एक उत्सव के रूप में मनाया जाएगा, जिसमें स्थानीय ग्रामीणों, जनप्रतिनिधियों, छात्रों और वन विभाग के अधिकारियों की सक्रिय भागीदारी रहेगी।
 

9 जुलाई को वन महोत्सव का रूप लेगा पौधरोपण कार्यक्रम

गांव के सहयोग से होगा वृहद वृक्षारोपण

दो महीने से चल रही है इसके लिए तैयारी

चंदौली जिले के तहसील नौगढ़ में वन्य जीवन और जैव विविधता को समर्पित एक नई पहल के तहत नौगढ़ रेंज में  मगरही गांव के पास 'एकलव्य वन' विकसित किया जा रहा है। 15 हेक्टेयर क्षेत्रफल में फैले इस हरित परिसर को 9 जुलाई को जनसहभागिता के जरिए आकार दिया जाएगा, जहां विभिन्न प्रजातियों के करीब 6000 पौधे रोपे जाएंगे। इस अभियान का नेतृत्व  गांव के प्रधान, बीडीसी, सदस्य और सम्मानित नागरिक करेंगे। 

वन विभाग ने इस परियोजना को केवल पौधरोपण तक सीमित न रखकर उसे स्थायी वन संरचना के रूप में विकसित करने की ठोस योजना तैयार की है। बीते दो महीने से इसकी तैयारी चल रही है, जिसमें आरक्षित वन क्षेत्र की सफाई कर गड्ढों की खुदाई, जैविक खाद भराई, बीज बुवाई और सुरक्षा व्यवस्था जैसी सभी ज़रूरी प्रक्रियाएं पूरी की जा चुकी हैं।

Eklavya forest

ऐसे होगी हरियाली की नींव ........

15 हेक्टेयर खाली वन भूमि को चिह्नित कर तैयार किया गया है।

पौधरोपण के लिए गड्ढों की खुदाई पूरी कर ली गई है, उनमें जैविक खाद भरी गई है जिससे पौधों को बेहतर पोषण मिलेगा।

बोना नाली की ड्रेसिंग कर उसमें बबूल के बीज की बुवाई की जा चुकी है।

वन्य जीवों से सुरक्षा के लिए चारों ओर सुरक्षा खाई बनाई गई है और उस पर भी बबूल के बीजों का छिड़काव किया गया है। 

वन क्षेत्राधिकारी संजय श्रीवास्तव ने चंदौली समाचार को बताया कि 9 जुलाई को इसे एक उत्सव के रूप में मनाया जाएगा, जिसमें स्थानीय ग्रामीणों, जनप्रतिनिधियों, छात्रों और वन विभाग के अधिकारियों की सक्रिय भागीदारी रहेगी। “यह केवल पौधे लगाने का कार्यक्रम नहीं, बल्कि प्रकृति के प्रति हमारी दीर्घकालिक जिम्मेदारी का संकल्प है। 

Eklavya forest

 'एकलव्य वन' का उद्देश्य क्या है .......

जैव विविधता को बढ़ावा देना

पर्यावरणीय असंतुलन को संतुलित करना

ग्रामीणों को वन संरक्षण में जोड़ना

भविष्य की पीढ़ियों को स्वच्छ और हरा वातावरण देना

इस पहल से नौगढ़ क्षेत्र को एक नई पहचान मिलेगी और यह एक उदाहरण बनेगा कि कैसे प्रशासन और जनता मिलकर पर्यावरण संरक्षण की दिशा में बदलाव ला सकते हैं।

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