नौगढ़ में बाप-बेटे को पेड़ से बांधकर बेरहमी से पीटा, पुलिस कर रही है जांच में लीपापोती

औरवाटांड बांध पर मछली ठेकेदार की दबंगई जारी
शौच करने बंधे के पास गया था नोनवट गांव का मकसूदन
मछली चोरी के शक में पकड़कर पीटा,
चंदौली जिले के तहसील नौगढ़ में शासन-प्रशासन की नाक के नीचे नौगढ़ थाना क्षेत्र के औरवाटांड बांध पर मछली ठेकेदार की दबंगई इस कदर हावी है कि आम आदमी का बांध के पास जाना भी अब जानलेवा साबित हो रहा है। ताजा घटना नोनवट गांव की है, जहां मात्र शौच करने गए एक बुजुर्ग को ठेकेदार के लठैतों ने पहले बेरहमी से पीटा, फिर बेटे को भी पीटने के लिए बुलाकर बाप-बेटे दोनों को पेड़ में बांध दिया गया और बारी-बारी से लाठी-डंडों से पीटा गया। पुलिस महज़ "जांच जारी है" की रट लगाए बैठी है।

आपको बता दें कि नोनवट गांव निवासी मकसूदन बांध के पास शौच के लिए गया हुआ था। वहां ठेकेदार के लठैत स्टीमर से गश्त कर रहे थे। मकसूदन को अकेला देखकर वे वहां पहुंचे और बिना किसी कारण उस पर मछली चोरी का इल्जाम लगाकर बेरहमी से पीटना शुरू कर दिया।
चीख-पुकार सुनकर उनका बेटा सुनील कुमार वहां पहुंचा, लेकिन बचाने की बजाय ठेकेदार के लठैतों ने उसे भी पकड़ लिया। पहले बाप को, फिर बेटे को पेड़ से बांधकर लाठियों से पीटा गया — जैसे जंगलराज में इंसाफ चलता हो।

बताया जा रहा है कि घायल हालत में किसी तरह दोनों घर पहुंचे। घरवालों ने 108 एंबुलेंस बुलाकर सीएचसी नौगढ़ में भर्ती कराया। चिकित्सक डॉ. नागेंद्र पटेल ने दोनों का इलाज किया और हालत गंभीर बताते हुए निगरानी में रखा है।
सात लठैतों ने मिलकर पीटा, लेकिन कार्रवाई जीरो
बदहवास पीड़ित सुनील कुमार ने नौगढ़ थाने में तहरीर देकर न्याय की गुहार लगाई है। सुनील सुनील कुमार के अनुसार सात लोगों ने मिलकर दोनों को पीटा। लेकिन हैरत की बात यह है कि अब तक पुलिस ने एक भी व्यक्ति को गिरफ्तार नहीं किया, उल्टे जांच के नाम पर मामला दबाने की कोशिश की जा रही है।
गांव वालों का कहना है कि मछली ठेकेदार और उसके गुर्गे बांध के आसपास के लोगों को आये दिन धमकाते रहते हैं। सरकारी संपत्ति को अपनी जागीर समझ कर चलते हैं और पुलिस भी इनके खिलाफ कोई कार्रवाई करने से बचती रही है।
प्रशासन से पूछना है सवाल
क्या ठेकेदार के लठैतों को खुलेआम इंसाफ देने का लाइसेंस मिल चुका है..इलाके की पुलिस आखिर किस दबाव में काम कर रही है, जो अब तक कोई गिरफ्तारी नहीं हुई.. क्या आम ग्रामीणों को शौच के लिए भी जान हथेली पर लेकर जाना होगा.. अगर जल्द सख्त कार्रवाई नहीं हुई तो ग्रामीण आंदोलन की राह पकड़ सकते हैं और इसकी पूरी जिम्मेदारी शासन-प्रशासन की होगी।
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