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शोषण और अनदेखी के खिलाफ वन कर्मियों का शंखनाद; प्रदेश संरक्षक त्रिवेणी प्रसाद खरवार की आंदोलन की चेतावनी

जंगलों में तैनात फील्ड कर्मचारी के भरोसे विभाग चल रहा है। वन विभाग की असली ताकत यही न्यूनतम एवं दैनिक वेतन भोगी कर्मचारी हैं।

 

प्रदेश संरक्षक त्रिवेणी प्रसाद खरवार की ललकार

फील्ड कर्मचारी जंगलों के असली संरक्षक

अपनी जान जोखिम में डालकर करते हैं काम 

वन विभाग की असली ताकत फील्ड कर्मचारी 

न्यूनतम एवं दैनिक वेतन भोगी वन कर्मचारी संघ के प्रदेश संरक्षक त्रिवेणी प्रसाद खरवार ने रविवार को नौगढ़ में दुर्गा मंदिरपोखरा पर आयोजित सम्मान समारोह के दौरान न्यूनतम दैनिक वेतनभोगी कर्मचारियों को संबोधित करते हुए ललकारा और जोरदार भाषण दिया। उनका भाषण सिर्फ संबोधन नहीं, बल्कि वर्षों से अनदेखी, शोषण और असुरक्षा झेल रहे कर्मचारियों की सामूहिक आवाज़ बनकर सामने आया।

Forest department daily wagers union  Triveni Prasad Kharwar forest guard rally
न्यूनतम एवं दैनिक वेतन भोगी वन कर्मचारी संघ के प्रदेश संरक्षक त्रिवेणी प्रसाद खरवार ने कहा कि अगर जंगल सुरक्षित हैं, वन्यजीव संरक्षित हैं और अवैध कटान पर कहीं न कहीं रोक लगी है, तो इसके पीछे कोई आदेश, कोई फाइल या कोई कार्यालय नहीं, बल्कि जंगलों में तैनात फील्ड कर्मचारी हैं। वन विभाग की असली ताकत यही न्यूनतम एवं दैनिक वेतन भोगी कर्मचारी हैं।

प्रदेश संरक्षक त्रिवेणी प्रसाद खरवार ने साफ कहा कि जब तक फील्ड कर्मचारी सुरक्षित और सम्मानित नहीं होंगे, तब तक वन संरक्षण की कोई भी नीति ज़मीनी स्तर पर सफल नहीं हो सकती। यह सम्मान समारोह नहीं, कर्मचारियों के अधिकारों का और स्वाभिमान का मंच है। कर्मचारियों ने एक स्वर में अपनी पीड़ा, आक्रोश और संकल्प को सामने रखा। कार्यक्रम में मौजूद कर्मचारियों ने स्पष्ट कर दिया कि अब वे केवल आश्वासन नहीं, ठोस निर्णय चाहते हैं।

सम्मान समारोह के मुख्य अतिथि प्रदेश संरक्षक त्रिवेणी प्रसाद खरवार ने कहा कि फील्ड कर्मचारी जंगलों में सबसे पहले पहुंचते हैं और सबसे आख़िरी लौटते हैं। उन्होंने कहा कि यही कर्मचारी भू-माफियाओं, लकड़ी तस्करों और जंगली जानवरों के बीच जान जोखिम में डालकर काम करते हैं। इसके बावजूद उन्हें न तो स्थायी नौकरी का भरोसा है और न ही पर्याप्त वेतन व सुरक्षा। उन्होंने चेतावनी भरे लहजे में कहा कि अगर अब भी सरकार ने इन कर्मचारियों की अनदेखी की, तो संगठन प्रदेशव्यापी संघर्ष के लिए बाध्य होगा।


पदाधिकारियों का सम्मान
कार्यक्रम के दौरान संगठन की मजबूती और एकजुटता का स्पष्ट संदेश दिया गया।
जिलाध्यक्ष द्वारिका मोदनवाल ने प्रदेश स्तर के पदाधिकारियों को माला पहनाकर सम्मानित किया। जिला स्तरीय पदाधिकारियों का सम्मान प्रदेश संरक्षक द्वारा किया गया, जबकि महिला पदाधिकारियों का सम्मान जिला संयुक्त मंत्री मंजू देवी ने किया। इस अवसर पर मंच से यह संदेश दिया गया कि संगठन हर स्तर पर एकजुट है और संघर्ष लंबा चला तो भी पीछे नहीं हटेगा।

नारेबाजी से गूंजा परिसर, दिखा आक्रोश
कार्यक्रम के दौरान कर्मचारियों ने “कर्मचारी एकता जिंदाबाद”, “इंकलाब जिंदाबाद”, “जोर-जुल्म की टक्कर में संघर्ष हमारा नारा है।” जैसे नारों से पूरे परिसर को गूंजा दिया। नारे केवल उत्साह नहीं, बल्कि वर्षों से दबे गुस्से और हक़ की मांग का प्रतीक बन गए। नारेबाजी से यह साफ झलक रहा था कि कर्मचारी अब अपने अधिकारों को लेकर पूरी तरह जागरूक हो चुके हैं।


जिला अध्यक्षबोले - नौगढ़ जैसे इलाकों में सेवा, लेकिन सम्मान शून्य 
जिलाध्यक्ष द्वारिका मोदनवाल ने कहा कि नौगढ़ जैसे पहाड़ी क्षेत्र में काम करना आसान नहीं है। कहा कि दैनिक कर्मचारी न केवल विभाग के लिए बल्कि पर्यावरण और समाज के लिए भी अहम भूमिका निभाते हैं। इसके बावजूद इन्हें न तो स्थायी दर्जा मिला और न ही सम्मानजनक वेतन। उन्होंने दो टूक कहा कि संगठन अब हर स्तर पर दबाव बनाकर कर्मचारियों की आवाज़ शासन तक पहुंचाएगा। प्रदेश व्यापी नीति के बिना समाधान असंभव है।

प्रदेश महामंत्री अफरोज खान ने कहा कि न्यूनतम एवं दैनिक वेतन भोगी कर्मचारियों की समस्या किसी एक जिले की नहीं है। यह समस्या पूरे प्रदेश में फैली हुई है और इसका समाधान भी प्रदेश स्तर पर ही होना चाहिए। उन्होंने कहा कि जब तक एक समान नीति नहीं बनेगी, तब तक कर्मचारी असुरक्षा में जीते रहेंगे।
उन्होंने सरकार से जल्द ठोस निर्णय लेने की मांग की।

महिला संयुक्त मंत्री मंजू देवी ने कहा कि महिला कर्मचारी भी जंगलों में पुरुषों के बराबर जिम्मेदारी निभा रही हैं। उन्होंने कहा कि महिला कर्मचारियों को दोहरी चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। संगठन उनकी सुरक्षा, सम्मान और अधिकारों के लिए पूरी मजबूती से खड़ा है। उन्होंने महिला कर्मचारियों की भागीदारी को और मजबूत करने का आह्वान किया।

विनियमितीकरण और ₹800 वेतन पर स्पष्ट चेतावनी
कार्यक्रम के अंत में संगठन ने साफ शब्दों में अपनी मांगें दोहराईं। कर्मचारियों ने कहा कि वर्ष 2025 तक सभी पात्र न्यूनतम एवं दैनिक वेतन भोगी वन कर्मचारियों का विनियमितीकरण किया जाए। इसके साथ ही ₹800 प्रतिदिन के हिसाब से वेतन/भत्ता दिए जाने की मांग की गई। संगठन ने चेताया कि नए साल में मांगें पूरी न हुईं तो आंदोलन को और व्यापक रूप दिया जाएगा।

सम्मान समारोह  महेंद्र कुमार, अजीत, वंदना देवी, मोहम्मद सौदागर, हेममंती देवी, किरण देवी, गीता देवी, जैसू, शंकर चौहान सहित बड़ी संख्या में फील्ड कर्मचारी मौजूद रहे।

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