नौगढ़ में नक्सली घटना की बरसी आज, याद करते ही दहल उठता है लोगों का दिल
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चंदौली जिले में नक्सलियों के लिए सेफ जोन कहा जाने वाला वनांचल का इलाका आज इनकी हनक से कोसों दूर है। कम्युनिटी पुलिसिग व सीआरपीएफ के जवानों की चहलकदमी ने नक्सली वारदात पर विराम लगा दिया है। हालांकि वनांचलवासी 20 नवंबर 2004 का वह काला दिन आज भी नहीं भूल पाए हैं। जब हिनऊत घाट गांव में माइंस ब्लास्ट कर नक्सलियों ने 15 पीएसी व एक पुलिस के जवान को मौत के घाट उतार दिया था। सन 2004 के बाद क्षेत्र में कोई बड़ी वारदात नहीं हुई।
लाल गलियारे के नाम से मशहूर भौगोलिक नजरिए से दुर्गम व खतरनाक पहाड़ियों, नदी, नाला व पहाड़ों की खोहों के चलते यह क्षेत्र नक्सलियों के लिए महफूज रहा। वनांचल के नौगढ़ व वनागांव इलाके के साठ से अधिक गांवों की सीमा बिहार व झारखंड प्रांत सहित सोनभद्र व मीरजापुर जनपदों को छूती हैं। ऐसे में नक्सली वारदात कर आसानी से दूसरे प्रांत या जिले में पहुंच जाते थे।
वनांचल में पहली नक्सली वारदात 18 मई 1999 की रात मझगांवा में हुई जब कांग्रेस नेता हेमनाथ चौबे की हत्या की गई। इसके बाद नक्सलियों ने कई वारदात कर पुलिस की नींद उड़ा दी। लाल झंडा की बुलंदी के लिए नक्सलियों ने अपना टारगेट गरीबों को बनाया। गरीब वनवासियों को जंगल की जमीन पर कब्जा के लिए प्रेरित कर अपनी जनशक्ति में जबरदस्त इजाफा किया। बहरहाल अंतत: नक्सलवाद से ऊबी जनता ने प्रशासन से गुहार लगाई। इसके बाद शुरू हुई पुलिस की काबिग। आज इसी का परिणाम है कि क्षेत्र में नक्सली किसी घटना को अंजाम देने से कतराते हैं।
पुलिस अधीक्षक हेमंत कुटियाल कहते हैं कि नक्सलवाद के खात्मे में सबसे बड़ी भूमिका कम्युनिटी पुलिसिग की है। इसके माध्यम से स्थानीय नागरिकों को रोजगार उपलब्ध कराने के साथ ही गांवों में स्कूली बच्चों को कापी, किताब, ग्रामीणों में टार्च, कंबल व अन्य जरूरी घरेलू सामग्री के वितरण से लोगों में पुलिस के प्रति सद्भाव बढ़ा है। सीआरपीएफ के जवानों की ओर से ग्रामीणों की मदद नक्सलवाद के खात्मे में मील का पत्थर साबित हुई है। युवाओं को पुलिस भर्ती में की जा रही मदद से उनका रुख रोजगार की ओर बढ़ा है।
वहीं वनांचल के बाशिदे नौगढ़ महोत्सव को भी नक्सलवाद के सफाए के लिए अहम भूमिका मानते हैं। इससे पुलिस व जनता के बीच सीधा संवाद भी स्थापित हुआ।
कब-कब हुई नक्सली वारदात
18 मई 1999 मझगांवा कांग्रेस नेता हेमनाथ चौबे की हत्या
08 सितंबर 1999 नर्वदापुर दो सगे भाइयों चुलही व बबुंदर यादव की हत्या
27 जनवरी 2001 अतरवां मंदिर बलवंत यादव की हत्या
18 मार्च 2001 उदितपुर सुर्रा लल्लन यादव की हत्या
16 मार्च 2001 नरकटी जंगल वनकर्मी खुशीराम दूबे व कमलेश उपाध्याय की हत्या
14 जून 2001 जंगल में पूर्व ब्लाक प्रमुख का ट्रैक्टर फूंका
28 अगस्त 2002 तेदुआं गांव में बसपा नेता बसंतु राम की हत्या
31 अगस्त 2002 लौवारी गांव रामजी, विनोद व रामकिसुन की हत्या
01 जनवरी 2003 चंद्रप्रभा जंगल वनकर्मी अमरेश सिंह की हत्या
20 नवंबर 2004 हिनऊत घाट माइंस ब्लास्ट में 16 पुलिस कर्मियों की मौत
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