नौगढ़ में कच्चा मकान गिरने से मलबे में दब गया राम दुलारे तो पत्नी बनी देवदूत

चकरघट्टा थाना क्षेत्र के बजरडीहा गांव की घटना
रात 12 बजे हुआ हादसा तो चिल्लाने लगी बीवी
कोई तो आके बचा लो मेरे आदमी को
चंदौली जिले के नौगढ़ तहसील के बजरडीहा गांव में फैले घुप अंधेरे में तेज बारिश की आवाज़ गूंज रही थी, लेकिन एक पत्नी की पुकार उस तूफानी रात को चीरती हुई गांव वालों को जगा गई। अगर उस भोर की घड़ी में अमरावती की नींद न टूटी होती, तो शायद उनके पति रामदुलारे आज जीवित न होते।

बताया जा रहा है कि चंदौली जिले के नौगढ़ क्षेत्र के बजरडीहा गांव में सोमवार को आधी रात तड़के बारिश के बीच कच्चा मकान ढह गया और बुजुर्ग रामदुलारे मलबे में दब गया। मगर पत्नी की पुकार ने गांव की एकजुटता से समय रहते उसे बचा लिया गया।
आपको बता दें कि चकरघटृटा थाना क्षेत्र के बजरडीहा गांव के रामदुलारे यादव (70) रोज की तरह सोमवार की रात खाना खाकर अपने पूरब वाले कच्चे मकान में सोने चले गए। आधी रात के बाद बारिश तेज हो गई। तभी अचानक एक भारी गड़गड़ाहट के साथ पूरा मकान धराशायी हो गया। रामदुलारे गहरी नींद में था और मलबे में दब गया।

बताया जा रहा है कि दूसरे कमरे में सो रही पत्नी अमरावती की नींद मकान की दीवार गिरने की आवाज से टूटी तो, उसने देखा कि चारपाई समेत पूरा कमरा मलबे में समा गया है। आंखों के सामने सब कुछ धुंधला था, मगर हौसला मजबूत था। उसने जोर-जोर से चिल्लाना शुरू किया — "बचाओ! कोई मेरे आदमी को निकालो!"
मलबे में धंसी ज़िंदगी को खींचा गया बाहर
अमरावती के रोने -चिल्लाने पर उसके बेटे संतोष और रितेश भागे-भागे आए और मलबा हटाने में जुट गए। लेकिन दीवारों की मोटी लकड़ियां और गीली मिट्टी के भारी ढेर ने दोनों के हाथ रोक दिए। तब तक अमरावती पूरे गांव को जगा चुकी थी। ग्राम प्रधान संजय यादव भी ग्रामीणों के साथ मौके पर पहुंचे। सभी ने मिलकर हाथों से मलबा हटाया। एक-एक लकड़ी हटती गई, और आखिरकार रामदुलारे की झलक मिली — वह अचेत था, शरीर लहूलुहान था।
प्रधान संजय यादव ने तत्काल 108 एंबुलेंस को फोन किया। रामदुलारे को सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र नौगढ़ लाया गया, जहां डॉक्टर नीरज कुमार ने प्राथमिक उपचार किया। जांच में पाया गया कि उनके सिर, सीने और कमर में गंभीर चोटें आई हैं। हालत चिंताजनक देखते हुए उन्हें जिला अस्पताल रेफर कर दिया गया। ग्राम प्रधान ने एसडीएम को एक प्रार्थना पत्र देकर हादसे की जानकारी देकर पीड़ित परिवार को तत्काल आर्थिक सहायता दिए जाने का अनुरोध किया है।
पत्नी की हिम्मत और गांव की एकजुटता ने कर दिया चमत्कार
इस हादसे ने एक बार फिर दिखा दिया कि ज़िंदगी कभी भी करवट बदल सकती है। लेकिन जब घर में जागरूक पत्नी हो और गांव में मदद को दौड़ पड़ने वाले हाथ हों — तो मौत के मलबे में भी उम्मीद जिंदा रहती है।
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