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नौगढ तहसील का अजीबो गरीब मामला, गायब हो गयी संपूर्ण समाधान दिवस में डीएम को दी गयी दरखास्त

परिवार का कहना है कि जमीन विवाद का हल कराने के लिए वे करीब तीन साल से कोर्ट-कचहरी और तहसील का चक्कर काट रहे हैं, लेकिन न तो सही नापी हो रही है और न ही न्याय मिल रहा है। 
 

एसडीएम ने खेती पर लगा दी रोक

औरत-बच्चों संग तहसील पहुंचा फरियादी

खेती नहीं कर पाए तो अनाज भी नहीं हुआ

अब पूरा परिवार तहसील में डटा

राम आसरे बोला - एसडीएम ने कहा  है कि यहां आकर रहो-खाओ

चंदौली जिले के तहसील नौगढ़ में अजीबोगरीब मामला लेकर एक फरियादी अपने बीवी बच्चों के साथ पहुंचा है। ‌खेती न होने से अनाज तक नहीं मिल पाया। इसी बेबसी में ठठवा गांव का परिवार औरत-बच्चों संग तहसील नौगढ़ पर आ डटा। आरोप लगाया कि अधिकारी वर्षों से मामले को लटकाए हुए हैं और उनकी जमीन पर खेती रोककर उन्हें भूखों मरने की कगार पर ला दिया है।

बताया जा रहा है कि चकरघट्टा थाना क्षेत्र के ठठवा गांव निवासी राम आसरे, शंभू और राम अवध अपने पूरे परिवार, बच्चों के साथ तहसील मुख्यालय पहुंचा। परिवार का कहना है कि जमीन विवाद का हल कराने के लिए वे करीब तीन साल से कोर्ट-कचहरी और तहसील का चक्कर काट रहे हैं, लेकिन न तो सही नापी हो रही है और न ही न्याय मिल रहा है। 

18 अगस्त को जिलाधिकारी के संपूर्ण समाधान दिवस पर भी उसने प्रार्थना पत्र दिया था, लेकिन वह तहसील स्तर से गायब कर दिया गया। “खेती बंद है तो परिवार का पेट कैसे भरेगा, साहब हमारी फसल नहीं हुई तो हम खाएंगे क्या?”—शंभू ने सवाल किया।

 sdm complain

एसडीएम का तंज, तहसील में आकर रहो   ....

तहसील में आए पीड़ित लोगों  ने कहा कि एसडीएम विकास मित्तल ने जमीन को परती घोषित कर दिया। जब फरियादी ने समस्या रखी तो एसडीएम ने टालते हुए कह दिया– “यहां आकर रहो-खाओ।” इसी से आहत होकर परिवार औरत-बच्चों के साथ तहसील पर धरने की तरह बैठ गया। आरोप है कि यहां तक कि पीने का पानी भी नसीब नहीं हुआ।

एसडीएम पर आरोप लगाया  कि नायब तहसीलदार की रिपोर्ट साफ थी कि विवाद केवल नाली का है और पैमाइश के बाद नाली बना दी जाएगी। तब तक किसान खेती करते रह सकते हैं। लेकिन एसडीएम ने इस रिपोर्ट को दरकिनार कर दिया। राम आसरे, शंभू, राम अवध पुत्रगण सरजू, महिलाओं में प्रेम देवी, फुलवंती तथा बच्चों में मनीष, अंशु, यशोदा, राधा, आकांक्षा, शिवांक, शिवा और शिवानी तहसील पर मौजूद रहे। अब  सवाल यह है कि आखिर प्रशासन क्यों समस्या का हल नहीं कर रहा है? क्या अधिकारी अपनी नाकामी छिपाने के लिए हीलाहवाली कर रहे हैं?

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