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प्रोटोकॉल से डेढ़ घंटे लेट पहुंचे मंत्री जी, नहीं दिखे बुलाए गए सांसद और कई विधायक

वन महोत्सव का आयोजन जहां पर्यावरण के प्रति प्रतिबद्धता दिखाने का एक बड़ा मंच था, वहीं यह भी दिखा गया कि राजनीति में उपस्थिति से अधिक अनुपस्थिति बोलती है।
 

आयोजन स्थल पर लगीं थी पट्टिकाएं

कई बड़े चेहरे रहे नदारद

लोगों में बना रहा है चर्चा का विषय

हरियाली के नाम पर राजदरी जलप्रपात की गोद में बुधवार को भले ही हजारों पौधे रोपे गए हों, लेकिन उसी हरियाली के बीच भाजपा के भीतर कोई ‘राजनीतिक सूखापन’ भी साफ झांकता दिखा। बड़े कार्यक्रमों में न बुलाए जाने पर नाराज हो जाने वाले जिले के कई राजनेताओं ने कार्यक्रम से दूरी बनाए रखी, जिससे आयोजकों को नेम प्लेट छिपाने की नौबत आ गयी।

 Plantation

वन महोत्सव के इस मुख्य जिला स्तरीय आयोजन में जब आयुष राज्यमंत्री दयाशंकर मिश्र ‘दयालु’ पौधारोपण करने पहुंचे, तब तक मंच तैयार था, स्वागत की कतारें लगी थीं, जिलाधिकारी, मुख्य विकास अधिकारी, डीएफओ, सीएमओ, डीपीआरओ समेत अन्य अधिकारी उपस्थित थे। लेकिन जो बात सबसे ज्यादा लोगों की नजर में चुभी, वो थीं वो पट्टिकाएं, जो राज्यसभा सांसद और विधायकों के नाम से वृक्षारोपण स्थलों पर लगाई गई थीं, पर कार्यक्रम शुरू होने के एक घंटे बाद ही चुपचाप हटा दी गईं।

आखिर क्यों नहीं आए सांसद व विधायक

 वन महोत्सव में राज्यमंत्री दयाशंकर मिश्र ‘दयालु’ ने हरिशंकर प्रजाति के पौधे का रोपण किया और पर्यावरण संरक्षण का संदेश दिया। लेकिन उनके पहुंचने तक करीब डेढ़ घंटे की देरी हो चुकी थी, और कार्यक्रम की रौनक उतनी नहीं रही, जितनी अपेक्षित थी।

कार्यक्रम से पहले तैयार स्थलों पर राज्यसभा सांसद दर्शना सिंह, मुगलसराय विधायक रमेश जायसवाल, सैयदराजा विधायक सुशील सिंह, पूर्व विधायक शिव तपस्या पासवान, पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष छत्रबली सिंह के नाम की पट्टिकाएं लगाई गई थीं। एक घंटे बाद ही पट्टिकाएं हटा ली गईं। यह दृश्य सैकड़ों लोगों ने देखा — और फिर शुरू हुई चर्चाओं की आंधी।

 Plantation

इस पूरे आयोजन में चकिया विधायक कैलाश आचार्य पूरी तरह सक्रिय दिखे। उन्होंने मंच से लेकर वृक्षारोपण स्थलों तक अपनी उपस्थिति और नेतृत्व दर्ज कराया। लोगों के बीच यह भी सवाल उठा कि जब सभी को आमंत्रण दिया गया था और सहमति भी जताई गई थी, तो बाकी विधायक कार्यक्रम से किनारा क्यों कर गए?

हालांकि प्रशासनिक सूत्रों की मानें तो वन महोत्सव का आयोजन पूरे जिले में अलग-अलग स्थानों पर हुआ, और संभवतः अन्य जनप्रतिनिधि अपने-अपने क्षेत्रों में पौधारोपण कार्यक्रमों में शामिल थे, लेकिन जलेबिया रोपावनी पर आयोजित मुख्य कार्यक्रम में उनकी गैरहाज़िरी ने कई तरह की राजनीतिक अटकलों को जन्म दे दिया।

वन महोत्सव का आयोजन जहां पर्यावरण के प्रति प्रतिबद्धता दिखाने का एक बड़ा मंच था, वहीं यह भी दिखा गया कि राजनीति में उपस्थिति से अधिक अनुपस्थिति बोलती है।

पट्टिकाओं का हटना, मंत्री का देर से पहुंचना और मंच पर नेताओं की खाली कुर्सियों ने पूरे कार्यक्रम को हरियाली के साथ-साथ सियासी रंग भी दे दिया।  कार्यक्रम से लौटते एक वरिष्ठ भाजपा कार्यकर्ता की जुबान पर यही था। नाम मिटाए जा सकते हैं, चर्चा नहीं

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