मुनि महाराज ने सुनाई प्रभु के वामन और नरसिंह अवतार की कथा
चंदौली जिले कई नौगढ़ क्षेत्र के कोइलरवा हनुमान मंदिर पर श्रीमद्भागवत कथा के चौथे दिन सोमवार को मुनि जी महाराज ने प्रभु के वामन अवतार की कथा सुनाई।
कथा के बीच उन्होंने भक्त प्रहलाद चरित्र, पृथु चरित्र व हिरण कश्यप वध, नरसिंह अवतार व समुद्र मंथन का वर्णन करते हुए कहा कि भागवत कथा एक ऐसा अमृत है कि इसका जितना भी पान किया जाए मन तृप्त नहीं होता है।
हिरण कश्यप नमक दैत्य ने घोर तप किया। तप से प्रसन्न होकर ब्रह्मा जी प्रकट हुए। ब्रह्मा जी को अपने समक्ष खड़ा देखकर कहा प्रभु मुझे केवल यही वर चाहिए कि मैं ना दिन में मरूं, न रात को, न अंदर, न बाहर, न कोई हथियार काट सके, न आग जला सके, न ही मैं पानी में डूबकर मरूं, सदैव जीवित रहूं। उन्होंने उसे वरदान दिया। हिरण कश्यप के पुत्र प्रहलाद भगवान विष्णु के परम भक्त थे। हिरण कश्यप नारायण को शत्रु मानता था। उसने अपने पुत्र को मारने के लिए तलवार उठाया था कि खंभा फट गया, उसे खंभे में से नारायण भगवान नरसिंह का रूप धारण करके जिसका मुख शेर व धड़ मनुष्य का था प्रकट हुए। भगवान नरसिंह अत्याचारी दैत्य हिरण्याक्ष को पकड़कर उदर चीरकर वध किया। सुख के सब है साथी, दुख में ना कोई, मधुर संगीत के बीच कथा व्यास ने कहा कि नर्क से बचने का एकमात्र सरल तरीका है कि भागवत भजन। जो जीव भगवत भजन करेगा, जो भगवान के नाम में विश्वास रखता है वो आसानी से भव सागर से तर जाता है। भगवान पर जितना विश्वास करोगे उतना ही अच्छा है।
कथा के दौरान मुनि जी महाराज ने कहा कि सदा अपने नेत्र, श्रवण और वाणी पर नियंत्रण रखना चाहिए। क्योंकि जैसा हम सुनते हैं, देखते हैं, ठीक वैसा ही आचरण करते हैं।भगवान के नाम का आश्रय लो, सत्संग करो, वहीं हमारे साथ जाएगा।
इस मौके पर महंत श्री श्री 108 स्वामी रामदास त्यागी, यशवंत सिंह यादव (प्रधान), अंबिका सोनी, श्यामजी धर, नगीना केशरी, चिरौंजी जायसवाल व बड़ी संख्या में श्रद्धालु सपरिवार उपस्थित थे।
चंदौली जिले की खबरों को सबसे पहले पढ़ने और जानने के लिए चंदौली समाचार के टेलीग्राम से जुड़े।*