पुलिस ने 24 घंटे में दिखाई सख्ती, 150 लोगों पर ठोका मुकदमा
नौगढ़ तहसील में जाति प्रमाणपत्र विवाद का असर
भीड़ ने खींच ली थीं सरकारी फाइलें
नष्ट करने का किया था प्रयास
पुलिस ने 24 घंटे में दिखाई सख्ती
150 लोगों पर ठोका मुकदमा
चंदौली जिले के तहसील नौगढ़ में जाति SC /ST प्रमाणपत्र विवाद को लेकर हुए बवाल के बाद पुलिस ने सख्त कार्रवाई तेज कर दी है। थाना पुलिस ने भरदुआ और विशेषरपुर गांव के 13 नामजद और 137 अज्ञात लोगों पर मुकदमा दर्ज कर लिया। पुलिस-प्रशासन ने साफ संदेश दिया है कि कानून व्यवस्था से खिलवाड़ बर्दाश्त नहीं किया जाएगा और दोषियों को हर हाल में जेल भेजा जाएगा।

तहसील में पहुंची थी 150 की संख्या में भीड़
आपको बता दें कि तहसील नौगढ़ में शुक्रवार की सुबह करीब 11 बजे गोंडवाना समुदाय के करीब 250 लोग नौगढ़ तहसील में घुस गए, बवाल के समय तहसीलदार अनुराग सिंह और लेखपाल मनीष सिंह कार्यालय में मौजूद थे, और शासकीय कार्य कर रहे थे। तभी विशेषण पुर गांव निवासी कृष्ण कुमार पहुंचा। उसकी मांग थी कि उन्हें अनुसूचित जनजाति (गोंड) का प्रमाणपत्र तत्काल उपलब्ध कराया जाए। मांग पूरी न होने पर प्रदर्शनकारी भड़क गए और कर्मचारियों से नोकझोंक शुरू हो गई। थोड़ी ही देर में हालात इतने बिगड़े कि तहसील परिसर में धक्का-मुक्की, हंगामा और तोड़फोड़ तक शुरू हो गई। एसडीएम विकास मित्तल ने बताया कि भीड़ ने न सिर्फ कामकाज को ठप कर दिया बल्कि सरकारी फाइलें तक खींच लीं और कर्मचारियों को अपशब्द कहे। प्रशासन का मानना है कि यह विरोध अचानक नहीं बल्कि सुनियोजित तरीके से भड़काया गया था।
नौगढ़ थानाध्यक्ष सुरेंद्र कुमार यादव ने बताया कि लेखपाल विक्रम पासवान की तहरीर पर गंभीर धाराओं में मुकदमा दर्ज किया गया है। पुलिस ने धारा 191(2), 121(1), 115(2), 351(2), 324(4), 132, 352 के तहत केस दर्ज किया है और नामजद आरोपियों की गिरफ्तारी के लिए दबिश दी जा रही है। अधिकारियों का कहना है कि जिन्होंने कानून को हाथ में लिया है, उन्हें जेल जाना ही पड़ेगा। पुलिस अब सीसीटीवी फुटेज और वीडियो क्लिप खंगाल रही है, ताकि और भी उपद्रवियों की पहचान की जा सके।

कैसे भड़का विवाद
मामले की शुरुआत 28 अगस्त को हुई थी, जब विशेषरपुर निवासी कृष्ण कुमार गोंड ने अनुसूचित जनजाति का प्रमाणपत्र पाने के लिए तहसील में आवेदन किया। दस्तावेज अधूरे पाए जाने पर आवेदन निरस्त कर दिया गया। इसी को लेकर गांव में असंतोष पनपने लगा और अगले ही दिन ग्रामीणों का गुस्सा भड़क उठा। सैकड़ों की संख्या में महिला बच्चों के साथ लोग तहसील पहुंचे और अधिकारियों पर पक्षपात का आरोप लगाते हुए कहा कि एक ही परिवार में चाचा का जाति प्रमाणपत्र बना है तो भतीजे का क्यों रोका जा रहा है। इसी बात को लेकर मामला तूल पकड़ गया और देखते ही देखते माहौल बेकाबू हो गया।
महिलाओं की रही सक्रिय भूमिका, आक्रामक रुख
भीड़ में पुरुषों के साथ महिलाएं भी बड़ी संख्या में शामिल थीं। उन्होंने तहसील परिसर में जमकर नारेबाजी की और प्रशासन पर पक्षपात करने का आरोप लगाया। महिलाओं का कहना था कि यह समुदाय लंबे समय से हाशिये पर है और उनकी पीढ़ियों को सरकारी योजनाओं का लाभ नहीं मिल रहा है। गुस्साई महिलाओं ने तहसील परिसर में हाथ में झाड़ू और बर्तन तक लेकर प्रदर्शन किया। अधिकारियों को खरी-खोटी सुनाई। इससे माहौल और तनावपूर्ण हो गया।

जिलाधिकारी को करना पड़ा हस्तक्षेप
जैसे-जैसे स्थिति बिगड़ती गई, बवाल की सूचना मिलने पर जिलाधिकारी चंद्र मोहन गर्ग को खुद हस्तक्षेप करना पड़ा। उन्होंने चकिया एसडीएम विनय कुमार मिश्रा को मौके पर भेजा और तीन थानों की पुलिस के साथ पीएसी की कंपनियां तैनात कर दी गईं। जिलाधिकारी ने अधिकारियों को सख्त निर्देश दिया कि किसी भी उपद्रवकारी को बख्शा न जाए और कानून-व्यवस्था पूरी तरह सामान्य रखी जाए। तीन घंटे बाद पुलिस-प्रशासन ने मोर्चा संभालकर हालात पर काबू पाया। जिलाधिकारी ने कहा कि जाति प्रमाणपत्र का मुद्दा कानूनी प्रक्रिया से ही सुलझेगा, दबाव और उपद्रव से कुछ हासिल नहीं होगा।
तहसीलदार अनुराग सिंह ने चंदौली समाचार को बताया कि आवश्यक अभिलेख ना होने की वजह से आवेदन निरस्त किया गया था। इसके बाद जानबूझकर दबाव बनाया गया और शासकीय कार्य में बाधा पहुंचाई गई। लेखपालों को बेइज्जत किया गया।
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