DPRO प्रधानों को दे रहे हैं आश्वासन की घुट्टी, नौगढ़ में पंचायत सचिवों के बिना ठप है 8 गांवों का काम
पंचायत सचिव की तैनाती न होने से लोग परेशान
8 ग्राम पंचायतों में विकास कार्य ठप्प
अधिकारियों की मनमानी से ग्रामीणों और प्रधानों में आक्रोश
मनरेगा और अन्य योजनाओं पड़ रहा असर
चंदौली जिले के नौगढ़ विकास खंड की आठ ग्राम पंचायतें पिछले दो महीनों से पंचायत सचिवों की तैनाती के अभाव में विकास कार्यों से वंचित हैं। हालांकि मामले को जानने के बावजूद अधिकारी केवल आश्वासन की घुट्टी दे रहे हैं। इसके लिए कोई ठोस उपाय नहीं किया जा रहा है।
आपको बता दें कि धनकुंवारी कला, बैरगाढ़, बरबसपुर, गंगापुर, चिकनी, बरवाडीह, लक्षिमनपुर सहित अन्य ग्राम पंचायतों में सचिव की अनुपस्थिति के कारण न केवल विकास कार्य बाधित हो रहे हैं, बल्कि ग्रामीणों को भी कई प्रशासनिक समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। ग्राम प्रधानों ने पंचायत सचिवों की तैनाती न होने पर गहरी नाराजगी जताई है।
प्रधानों का कहना है कि पंचायत सचिव के बिना ग्राम पंचायतों में न तो विकास कार्य सुचारू रूप से हो पा रहे हैं और न ही ग्रामीणों की समस्याओं का समाधान हो रहा है। कई महत्वपूर्ण कार्य जैसे कुटुंब रजिस्टर की नकल, आय और जाति प्रमाण पत्रों का निर्गमन, और मनरेगा के तहत मजदूरों के लिए काम की व्यवस्था ठप पड़ी है। इन समस्याओं को लेकर प्रधानों ने उच्च अधिकारियों को पत्र लिखकर शीघ्र सचिव की तैनाती की मांग की है।
वहीं बताया जा रहा है कि पिछले दो महीने से सचिव विहीन गांवों में विकास कार्य पूरी तरह से रुक गए हैं। मनरेगा जैसी महत्वपूर्ण योजना के तहत ग्रामीणों को रोजगार नहीं मिल पा रहा है। जिससे उनके आर्थिक स्थिति पर भी असर पड़ा है। पंचायत सचिव के अभाव में विभिन्न सरकारी योजनाओं का लाभ भी ग्रामीणों तक नहीं पहुंच पा रहा है।
संपूर्ण समाधान दिवस पर नौगढ़ आए जिलाधिकारी निखिल टीकाराम फुंडे से ग्राम प्रधानों और ग्रामीणों ने सचिव की तैनाती की मांग की है। लेकिन अब तक इस दिशा में कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है। जिला पंचायत राज अधिकारी ने दो दिन में सचिव की तैनाती का आश्वासन दिया था, लेकिन अभी तक इस पर भी कोई अमल नहीं हुआ है।
खंड विकास अधिकारी अमित कुमार सिंह ने पंचायत सचिवों की तैनाती के संबंध में एक प्रस्ताव तैयार कर जिला पंचायत राज अधिकारी को भेजा है। हालांकि, इस प्रस्ताव पर अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है, जिससे ग्राम पंचायतों के विकास कार्य अधर में लटके हुए हैं। गांवों में पंचायत सचिवों की अनुपस्थिति से ग्रामीणों में आक्रोश बढ़ता जा रहा है। उन्हें कुटुंब रजिस्टर की नकल, आय और जाति प्रमाण पत्र, तथा मनरेगा के तहत कार्य के लिए मजदूरों को समय पर रोजगार नहीं मिल पाने जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। ग्रामीणों का कहना है कि अगर जल्द ही सचिव की तैनाती नहीं हुई तो वे उच्च अधिकारियों से मिलकर अपनी समस्याओं का समाधान मांगेंगे।
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