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विश्व मोहिनी को देख वैराग्य भूल गए नारद, नारायण को दिया श्राप

पूर्व में महर्षि के जप तप की कथा में हिमालय पर नारद तपस्या कर रहे थे। इससे भयभीत होकर इंद्र कामदेव को नारद की तपस्या भंग करने कामदेव को भेज विश्वमोहिनी को पीछे लगा दिया। कामदेव को सफलता नहीं मिलने पर क्षमा मांग कर लौट जाते हैं।
 

सुनायी गयी नारद मोह और श्रीराम जन्म की कथा

श्री राम का जन्म होते ही पुष्प वर्षा

पूजा के बाद श्रद्धालुओं को बांटी गयी मिठाई‌  

चंदौली जिले नौगढ़ के दुर्गा मंदिर पोखरा पर चल रही संगीतमय श्रीराम कथा के  चौथे दिन कथा वाचिका ने नारद मोह और श्रीराम जन्म की कथा सुनाकर श्रोताओं को पुलकित कर दिया। श्री राम का जन्म होते ही पुष्प वर्षा के साथ श्रद्धालुओं में मिठाइयां बांटी गई।

मुख्य यजमान सुनीति रामायण और शिवनारायण जायसवाल के साथ विधायक कैलाश आचार्य और भाजपा जिलाध्यक्ष काशीनाथ सिंह ने भी आरती में शिरकत की।‌ ‌व्यास पीठ से कथा वाचिका मानस मयूरी शालिनी त्रिपाठी ने कुष्मांडा का स्मरण करते हुए कहा कि शास्त्र शासन करता है, ग्रंथ मन का गांठ  खोलता है।‌ भगवान को पाने के लिए अवस्था की नहीं आस्था की जरूरत पड़ती है। विश्वमोहिनी पर मोहित देवर्षि नारद स्वयंवर में पहुंचे और उछल-कूद करने लगे।

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पूर्व में महर्षि के जप तप की कथा में हिमालय पर नारद तपस्या कर रहे थे। इससे भयभीत होकर इंद्र कामदेव को नारद की तपस्या भंग करने कामदेव को भेज विश्वमोहिनी को पीछे लगा दिया। कामदेव को सफलता नहीं मिलने पर क्षमा मांग कर लौट जाते हैं। इस पर नारद जी को घमंड हो जाता है और वह स्वयं को भगवान शंकर ब्रह्मा और स्वयं नारायण से  बढ़कर समझने लगते हैं और अपनी कथा पूरे ब्रह्मांड को सुनाने लगते हैं। नारद के घमंड को भगवान विष्णु तोड़ने का निश्चय करते हैं। विश्वमोहिनी की  हस्तरेखा देखकर नारद मोहित हो जाते हैं और श्रीहरि का रूप  मांगते हुए कहते हैं.. जेहिं विधि होइ नाथ हित मोरा, करहुं सो वेगि दास मैं तोरा। भगवान विष्णु ने अपना बंदर का रूप नारद जी को दे देते हैं।

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इससे अनजान नारद विश्वमोहिनी के स्वयंवर में बंदर का रूप लेकर घूमते हैं। इधर विश्वमोहिनी भगवान विष्णु को वरमाला पहनाती है। पूरा पडाल श्री हरि के जयघोष से गुंजायमान हो जाता है। बंदर का रूप दिए जाने पर नारद ने नारायण को श्राप दे दिया। जैसे मैं नारी विरह में रो रहा हूं, आपका भी वही हाल होगा। तुम्हारी पत्नी को ढूंढने में बंदर ही मदद करेगा। उधर अयोध्या में राजा दशरथ के यहां राम जन्म होने से अयोध्यावासी चहक उठते है । पूरा पंडाल जय श्री राम के उद्घोष से गूंज उठा।

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इस मौके पर दुर्गा पूजा समिति अध्यक्ष सूरज केसरी, भगवान दास अग्रहरि, पंकज जायसवाल, दधिबल यादव, सांद्रानंद, राजू पांडे, महावीर केशरी, संदीप जायसवाल, मौलाना यादव, आशीष गोस्वामी समेत व अन्य मौजूद रहे।

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