नौगढ़ में राम कथा का सातवां दिन, त्रिपाठी साधना शास्त्री सुना रही हैं राम कथा
श्रीराम वन गमन की कथा सुन भावुक हुए श्रद्धालु
राम के वनगमन की कथा से भर गई आंखें
मंथरा ने कैकेई के कई प्रसंग भी सुने
चंदौली जिले के नौगढ़ के नर्वदापुर गांव स्थित शक्तिपीठ मां अमरा भवानी थाम में चल रही नौ दिवसीय रामकथा के सातवें दिन रविवार को श्रीराम वनगमन का भाव पूर्ण चित्रण सुनकर लोगों की आंखें भर आईं। कथा सुनकर श्रोता भावुक हो गए।
कथा वाचिका त्रिपाठी साधना शास्त्री ने प्रसंग को सुनाते बताया कि अयोध्या के राजा दशरथ गुरु वशिष्ट के परामर्श से प्रभु राम के तिलक की तैयारी में जुटे थे। वहां की जनता खुशी में पटाखे फोड़ कर दिए जला रही थी। इधर मंथरा ने कैकेई के मन में विद्वेष पैदा कर दिया। जिस समय राम महारानी कैकेई के कक्ष में जाते हैं, तो वहां महाराज दशरथ को मुर्छित हुए देख वे माता कैकेई से मूर्छित होने का कारण पूछते हैं। कैकेयी बताती है कि हे राम महाराज से उनके द्वारा दिये गए वरदान को मैंने मांगा, पहला वरदान यह कि अयोध्या का राज भरत को, दूसरे वरदान में तुम्हें तपस्वी के वेश में वनवास का वर मांगा। महराज इस बात को बर्दाश्त नहीं कर सके और मूर्छित होकर जमीन पर गिर पड़े।
राम पिता के पास गए और उन्हें जगाया, कहा कि पिता जी आपके आदेशानुसार मैं आपके पास आया हूं। मुझे क्या आज्ञा है। इतना सुनते ही महाराज पुन: मूर्छित हो गए। गुरू वशिष्ठ के आश्रम में जाकर उनसे वन जाने की आज्ञा लेकर रथ पर बैठकर वन जाने लगे। राम के वन जाने का समाचार सुनकर पूरे अयोध्यावासी राजमहल की ओर दौड़ पडे़, रास्ते में श्रीराम लक्ष्मण सीता का रथ आते देखकर सभी नर नारी रथ के सामने खडे़ होकर आंखों में आंसू लिए अपने प्रिय राजा से वन न जाने के लिए आग्रह करने लगे।
राम ने सबको समझाबुझा कर शांत किया और सारथी से रथ हांकने का आदेश दिया। थोड़े समय बाद श्रीराम अपने भ्राता लक्ष्मण और भार्या सीता के साथ तमसा नदी के तट पर पहुंचकर अयोध्यावासियों से वापस जाने के लिए आग्रह किया। बहुत समझाने के बाद अयोध्यावासी मायूस होकर वापस चले गए।
श्रीराम कथा के दौरान राम कथा समिति के अध्यक्ष ज्ञान प्रकाश सिंह, यज्ञाचार्य पं रवि शुक्ला, इंजीनियर गोविंद सिंह, राम अलम, शिवअवलम्ब, अजय त्रिपाठी, शान्दरानन्द यादव, अभिमन्यु प्रजापति समेत मौजूद रहे।
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