रेप के केस को ऐसे दबाते हैं थाने व चौकी के इंचार्ज, देख लीजिए एक और नमूना

बलात्कार के आरोपी के खिलाफ नहीं हो रही कार्रवाई
SP से शिकायत की तो थाने में पति को जूते से पीटा गया
क्या यही है यूपी की कानून व्यवस्था सुधारने का तरीका
चौकी इंचार्ज पर एक और गंभीर आरोप
चंदौली जिले के नौगढ़ तहसील क्षेत्र के औराही गांव में सामने आया एक मामला इसी ओर इशारा करता है, जहां पीड़िता के पति ने जब हिम्मत करके एसपी से गुहार लगाई, तो उसे थाने में रातभर पीटकर सबक सिखाया गया।
10 जून की रात औराही गांव की एक महिला के साथ गांव के ही दबंग युवक ने जबरन मुंह में गमछा ठूंसकर बलात्कार किया। 11 जून को सुबह पीड़िता अपने पति रामनरेश के साथ मझगांवां पुलिस चौकी पहुंची और नामजद तहरीर दी। पुलिस ने आरोपी को थोड़ी देर चौकी में बैठाया और फिर छोड़ दिया।
शाम होते ही वही आरोपी पीड़िता के घर पहुंचकर खुलेआम धमकी देने लगा। पीड़ित परिवार ने डर और निराशा के बीच 13 जून को पुलिस अधीक्षक कार्यालय जाकर न्याय की गुहार लगाई।
लेकिन एसपी से शिकायत करना रामनरेश के लिए आफत बन गया। उसका आरोप है कि उसी शाम पुलिस उनके घर पहुंची और उन्हें बिना कारण बताये उठा ले गई। चौकी में उसे रातभर जूते से पीटा गया, गालियां दी गईं, और बार-बार पूछा गया – "एसपी के पास क्यों गया?"

रामनरेश का यह बयान अब एक वीडियो में सामने आया है जो सोशल मीडिया पर वायरल है। कांपती आवाज़ में वह बताता है कि कैसे चौकी में मानसिक और शारीरिक रूप से प्रताड़ित किया गया।
यह वीडियो अब व्यवस्था पर तमाचा है। सवाल ये है कि क्या अब इंसाफ सिर्फ उस आदमी को मिलेगा जिसका वीडियो वायरल हो जाए? क्या पुलिस थाने अब कमजोरों को डराने और चुप कराने की मशीन बन चुके हैं?

आईपीसी की धारा 166 ए चौकी इंचार्ज मझगावां पर दर्ज हो मुकदमा
IPC की धारा 166A के अनुसार, यदि कोई अधिकारी बलात्कार की पीड़िता की रिपोर्ट दर्ज नहीं करता या जांच में लापरवाही करता है, तो यह खुद एक अपराध है।
तो क्या अब मझगांवां चौकी इंचार्ज पर यह धारा लागू की जाएगी..? रामनरेश की कथित पिटाई, धमकी और अवैध हिरासत पर धारा 342, 504, 506 लागू होंगी या सब कुछ “आंतरिक जांच” की चादर में ढक दिया जाएगा..?
तो सवाल साफ है —
● आरोपी अब तक क्यों नहीं गिरफ्तार हुआ?
● पीड़िता को सुरक्षा कब मिलेगी?
● चौकी इंचार्ज पर कब होगी कार्रवाई?
क्या ये चुप्पी खुद मूक समर्थन नहीं है..कानून और लोकतंत्र दोनों से अब सवाल पूछा जाना चाहिए...
* क्या FIR करवाना भी अब सत्ता से टकराने जैसा हो गया है?
* क्या थानों में सिर्फ पैसे और पहुंच की ही सुनवाई होती है?
* क्या गरीब, दलित, कमजोर नागरिकों के लिए न्याय अब एक सपना बन चुका है?
अगर आप भी कभी ऐसे अन्याय के शिकार रहे हैं, तो चुप मत रहिए। क्योंकि अगर आज आप चुप रहे, तो कल आपके लिए कोई नहीं बोलेगा।
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