नौगढ़ तहसील में साहब नहीं, सिर्फ फाइलें बोल रही हैं..जल्द होने वाला है एक आंदोलन
नौगढ़ तहसील में साहब को बुलाओ आंदोलन की तैयारी
तहसीलदार की कुर्सी है खाली
चार्ज लेने के बाद भी नौगढ़ नहीं आया करते हैं चकिया वाले साहब
चंदौली जिले की नौगढ़ तहसील इन दिनों प्रशासनिक उपेक्षा का शिकार है। यहां दफ्तर तो खुला हुआ है, लेकिन तहसीलदार साहब की कुर्सी खाली पड़ी है। 26 अक्टूबर को सतीश कुमार के तबादले के बाद अतिरिक्त प्रभार के रूप में तहसीलदार की जिम्मेदारी चकिया के तहसीलदार सुरेश चंद्र शुक्ला को सौंपी गई है। लेकिन नौगढ़ में साहब की आमद अभी तक नहीं हुई। इसका नतीजा यह है कि नौगढ़ के ग्रामीणों को अपने छोटे-छोटे कामों के लिए 40 किलोमीटर दूर चकिया जाना पड़ रहा है।
फाइलें तो हैं, पर साहब नहीं
नौगढ़ तहसील का दफ्तर चालू है, ग्रामीणों के लिए तहसील में काम करना अब किसी सजा से काम नहीं। लेकिन निर्णय लेने या दस्तावेजों पर हस्ताक्षर करने वाला कोई नहीं। दफ्तर में बस फाइलें मेजों पर घूम रही हैं। जमीन, वसीयत, या प्रमाणपत्र जैसे काम कराने के लिए आने वाले ग्रामीण बेबस होकर लौट रहे हैं। गांव वालों के लिए चकिया जाना मजबूरी बन गया है।
एक ग्रामीण ने अपनी परेशानी साझा करते हुए बताया, "दो दिन पहले तहसील में कागज लेकर गया, लेकिन साहब नहीं थे। हमें चकिया जाने की सलाह दी गई। 40 किलोमीटर का सफर और किराया किसी सजा से कम नहीं है।"
साहब VIP हैं क्या
ग्रामीणों ने प्रशासन पर तीखा सवाल दागा है। उनका कहना है कि जब जिलाधिकारी ने नौगढ़ के लिए किसी तहसीलदार को जिम्मेदारी दी है, तो वह नौगढ़ क्यों नहीं आ रहे हैं? क्या यहां की समस्याएं प्रशासन की प्राथमिकता में नहीं हैं? क्या नौगढ़ के लोग VIP नही हैं।
साहब' को बुलाओ, आंदोलन की तैयारी
नौगढ़ के लोगों का गुस्सा अब उबाल पर है। गांव के बुजुर्गों और किसानों का कहना है हमारी समस्याओं को प्रशासन ने मजाक बना दिया है। अब हम चुप बैठने वाले नहीं हैं। अब देखना यह है की फाइलों का यह शोर कब तक चलता है और साहब की गैर मौजूदगी से जूझ रहे नौगढ़ को कब राहत मिलती है। बताया जा रहा है कि अगर जल्द ही समाधान नहीं निकला, तो नौगढ़ के लोग बड़े आंदोलन की तैयारी कर सकते हैं।
अब यह देखना बाकी है कि प्रशासन कब तक उनकी समस्या पर ध्यान देता है।
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