वृहद भेड़ प्रजनन प्रक्षेत्र भैसौड़ा की स्थिति बदहाल, 10 वर्षों से बंद पड़ा है रोजगार को बढ़ाने वाला केंद्र

एक समय में ऊन के लिए प्रसिद्ध था वृहद भेड़ प्रजनन प्रक्षेत्र
भैसौड़ा के इस केन्द्र के अधिकांश पद खाली
जमीन पर बढ़ रही है अतिक्रमण की भी समस्या
चंदौली जिले के नौगढ़में कभी पूर्वांचल में उन्नत नस्ल की भेड़ों और उच्च गुणवत्ता वाले ऊन के लिए प्रसिद्ध वृहद भेड़ प्रजनन प्रक्षेत्र भैसौड़ा आज उपेक्षा का शिकार बना हुआ है। विभागीय उदासीनता और प्रशासनिक लापरवाही के चलते यह केंद्र बीते दस वर्षों से बंद पड़ा है।

सन 1973-74 में स्थापित यह प्रक्षेत्र जरहर, रिठिया और नौगढ़ प्रखंड के इलाकों में फैला हुआ है। इसे 4798.95 एकड़ भूमि में विकसित किया गया था, जिसमें 440 एकड़ विकसित कृषि योग्य भूमि, 620 एकड़ अविकसित कृषि भूमि, 380 एकड़ जल क्षेत्र (नदी, नाला, तालाब), 560 एकड़ बंजर भूमि और 2798 एकड़ चरागाह क्षेत्र शामिल थे।

इस प्रक्षेत्र का मूल उद्देश्य भेड़ों की अविकसित नस्लों को उच्च नस्ल में बदलना, उनके ऊन और दुग्ध उत्पादन को बढ़ावा देना और क्षेत्रीय गरेड़ियों (भेड़ पालकों) को लाभ पहुंचाना था। एक समय था जब यहाँ सभी स्वीकृत पदों पर अधिकारी और कर्मचारी कार्यरत थे और केंद्र पूरी क्षमता के साथ संचालित हो रहा था।
अधिकांश पद खाली, कार्य पूरी तरह प्रभावित
वर्तमान में प्रक्षेत्र की स्थिति अत्यंत दयनीय है। अधिकांश महत्वपूर्ण पद वर्षों से खाली पड़े हैं, जिससे संचालन पूरी तरह ठप है। इसके साथ ही भेड़ों की संख्या में भी भारी गिरावट दर्ज की गई है।
जमीन पर अतिक्रमण की भी समस्या
केंद्र की हजारों एकड़ भूमि पर अतिक्रमण की समस्या भी उत्पन्न हो चुकी है। इस मुद्दे पर अधिकारियों का कहना है कि इसे लेकर संबंधित विभागों से समन्वय स्थापित किया जा रहा है।
प्रशासन की प्रतिक्रिया
प्रक्षेत्र की बदहाल स्थिति पर परियोजना निदेशक डॉ. नीरज मिश्रा ने कहा हम स्थिति पर नजर बनाए हुए हैं। जल्द ही आवश्यक कदम उठाकर सुविधाएं बहाल की जाएंगी। खाली पदों पर नियुक्ति की योजना तैयार की जा रही है और अतिक्रमण की समस्या के समाधान के लिए संबंधित विभागों से तालमेल किया जा रहा है।
पूर्वांचल के लिए एक समय गौरव का प्रतीक रहा यह केंद्र यदि पुनर्जीवित हो सके, तो न केवल भेड़ पालन को बढ़ावा मिलेगा, बल्कि क्षेत्रीय रोजगार और ऊन उद्योग को भी गति मिल सकती है।
चंदौली जिले की खबरों को सबसे पहले पढ़ने और जानने के लिए चंदौली समाचार के टेलीग्राम से जुड़े।*