नौगढ़ में श्रीराम कथा : जब महादेव का हुआ अपमान, सती ने दे दी जान
अमरा भवानी धाम पर त्रिपाठी साधना शास्त्री सुना रही है राम कथा
किसी का चित्र बनाना आसान है लेकिन चरित्र बनाना मुश्किल
उमड़ रही भक्तों की भीड़
चंदौली जिले के नौगढ़ मे श्रीराम कथा में अमृत वर्षा करते हुए कथा व्यास पीठ से कथा वाचिका त्रिपाठी साधना शास्त्री ने माता सती चरित्र का प्रसंग सुनाया है। उन्होंने कहा कि भगवान की परीक्षा नहीं ली जाती। जिसने भी भगवान की परीक्षा ली, उसका विनाश हुआ।
बुधवार को तहसील नौगढ़ के शक्तिपीठ अमरा भवानी परिसर में आयोजित श्रीराम कथा के दूसरे दिन अमृत वर्षा करते हुए कथा वाचिका त्रिपाठी साधना शास्त्री ने कहा कि भगवान शिव ने माता सती से कहा कि इनको प्रणाम करो। माता सती चूंकि शंका में थी वह उनको साधारण मनुष्य ही समझ रही थी। इसलिए सती ने प्रणाम नहीं किया, जिससे भगवान शिव नाराज हुए। सती की जिद के आगे भगवान शंकर ने मन ही मन सती जी का त्याग कर दिया। माता सती ने भगवान राम की परीक्षा लेने के लिए माता सीता का रूप धारण कर लिया और उनके सामने पहुंच गई।
राम ने मां सती को हाथ जोड़ कर प्रणाम कर लिया और कहा माता मैं राजा दशरथ पुत्र राम आपको प्रणाम करता हूं। भगवान राम की परीक्षा लेने के उपरांत माता सती भगवान शंकर के पास आती हैं। भगवान शंकर माता सती की आंखें देखकर समझ जाते हैं कि सती ने सीता का रूप धारण कर प्रभु की परीक्षा ली है। इन्होंने मेरी मां का रूप धारण किया है। अब मैं इन्हें पत्नी रूप में कैसे स्वीकार करूं।
इसलिए भगवान शंकर माता सती का त्याग कर देते हैं। कथा प्रसंग को आगे बढ़ाते हुए कहा कि सती के पिता राजा दक्ष ने हवन-यज्ञ का आयोजन किया था। इसके सभी देवों और राजाओं को आमंत्रित किया गया लेकिन भगवान भोलेनाथ को न्यौता नहीं दिया गया। इसे माता सती बर्दाश्त नहीं कर पाई और उन्होंने हवनकुंड में अपनी आहुति दे दी।
कथा में मुख्य रूप से समिति अध्यक्ष ज्ञान प्रकाश सिंह, पं अमरेश चंद्र शास्त्री, पं रवि शुक्ला, राम अलम यादव, शान्दरानन्द, सुनील यादव आदि उपस्थित रहे।
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