चेरो ट्राइबल कब पाएंगे आवास, अधिकारी इसलिए नहीं देते आवास योजना का लाभ
सांसद जी, चुप क्यों हैं
इस सवाल को कब उठाएंगे
नौगढ़ में चेरो वनवासी परिवारों के आवास देने पर अफसरों ने लगा दी है रोक
चंदौली जिले के तहसील नौगढ़ में विकास खंड में गंगापुर, बजरडीहा, मझगावां, परसहवा व अन्य पंचायतों में चेरो समुदाय के 150 वनवासी परिवारों को आवास देने की प्रक्रिया में शासन और प्रशासन की लापरवाही और तानाशाही साफ झलक रही है। पात्रता जांच और 80 परिवारों का ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन होने के बाद भी इन्हें अचानक अपात्र घोषित कर दिया गया। यह न केवल सरकार की योजनाओं की विफलता है, बल्कि इन गरीब परिवारों के अधिकारों का भी उल्लंघन है।
आपको बता दें कि सोनभद्र के सांसद कुंवर छोटेलाल खरवार, जो विकास खंड नौगढ़ के पंचायत मगरही के मूल निवासी हैं। सांसद बनने के बाद इनका आशियाना सोनभद्र में है। सांसद जी खुद वनवासी समुदाय से आते हैं, इस मामले में पूरी तरह से चुप्पी साधे हैं। उनके क्षेत्र के वनवासी परिवार अपने अधिकारों के लिए संघर्ष कर रहे हैं, लेकिन सांसद जी इस मुद्दे पर कोई ठोस कदम उठाते नहीं दिख रहे। क्या सांसद जी की जिम्मेदारी नहीं बनती कि वह वनवासी क्षेत्र के गरीबों के हक की आवाज उठाएं?
प्रमुख सवाल जो अब उठ रहे हैं
1. अफसरशाही का तानाशाही रवैया: जब पात्रता और वेरिफिकेशन प्रक्रिया पूरी हो चुकी थी, तो अचानक इन परिवारों को अपात्र क्यों घोषित किया गया?
2. सांसद की निष्क्रियता: जब गरीब और जरूरतमंद लोग अपने अधिकारों के लिए संघर्ष कर रहे हैं, तो सांसद जी इस मामले पर चुप क्यों हैं? क्या उनकी चुप्पी अफसरशाही को बढ़ावा नहीं दे रही है?
3. शासन और योजनाओं की विफलता: गरीबों के लिए बनी योजनाएं क्या केवल कागजों तक ही सीमित रह गई हैं, और उन्हें लागू करने में कोई प्रभावी कदम नहीं उठाए जा रहे?
चेरो समुदाय के लोग जिलाधिकारी और मुख्य विकास अधिकारी को ज्ञापन सौंपकर न्याय की मांग कर रहे हैं, लेकिन प्रशासन उनके दर्द को सुनने के लिए तैयार नहीं है। क्या प्रशासन केवल कागजी कार्यवाही तक ही सीमित रहेगा, या इसे लागू करने में भी अपनी जिम्मेदारी निभाएगा?
सांसद से चंदौली समाचार कर रहा है सीधे सवाल
आप जहां जन्मे पढे और लिखें हैं, वहीं के लोग आपके क्षेत्र में आवास योजना के तहत वंचित किए जा रहे हैं हैं। क्या यह आपकी जिम्मेदारी नहीं है कि आप इस गंभीर मुद्दे पर अपनी आवाज उठाएं? अगर सांसद खुद अपने ही क्षेत्र के गरीबों के हक के लिए नहीं बोलेंगे, तो वे उम्मीदें किससे करें?
यह केवल चेरो समुदाय के परिवारों का मामला नहीं है, बल्कि यह शासन, प्रशासन और जनप्रतिनिधियों की जवाबदेही का सवाल है। जनता अब जवाब चाहती है।
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