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गर्मी बढ़ने ही सूखने लगे जंगल, चंद्रप्रभा में दिखना लगा पतझड़ और वीराना ​​​​​​​

चंदौली जिले में जैसे-जैसे गर्मी बढ़ रही है वैसे-वैस पतझड़ के कारण चंद्रप्रभा अभयारण्य वीरान होता जा रहा है। हरे-भरे वृक्षों की डालियां सूनी नजर आ रही
 

वीरान दिखने लगा चंद्रप्रभा अभयारण्य

96 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में फैले अभयारण्य में वन्य जीवों की भरमार

गर्मी के मौसम में पानी के लिए भटकते हैं जानवर

 

चंदौली जिले में जैसे-जैसे गर्मी बढ़ रही है वैसे-वैस पतझड़ के कारण चंद्रप्रभा अभयारण्य वीरान होता जा रहा है। हरे-भरे वृक्षों की डालियां सूनी नजर आ रही हैं, वहीं दूर तक फैले जंगल में केवल पेड़ों के गिरे पत्ते ही दिखाई दे रहे हैं। चंद्रप्रभा अभयारण्य 96 हजार हेक्टेयर क्षेत्रफल में फैला हुआ है। बारिश व शीत ऋतु में अभयारण्य की हरियाली देखते ही बनती है। वन्य जीवों की धमा चौकड़ी और ऊंची पहाड़ियों से गिरते दूधिया झरने मन पर्यटकों को आकर्षित करते हैं, लेकिन पतझड़ के दिनों में अभयारण्य सूना हो जाता है। पेड़ों से पत्ते गिरने के कारण वन क्षेत्र वीरान हो जाता है। 


पहाड़ियों से गिरने वाले झरने भी सूख जाते हैं। इससे वन्य जीवों को पानी की तलाश में भटकना पड़ता है। हालांकि इस बार तो थोड़ी गनीमत है कि चंद्रप्रभा बांध में जंगली जानवरों को पीने के लिए काफी मात्रा में पानी है। जिसमें जाकर जंगली जानवर अपना प्यास बुझा पा रहे हैं। साथ ही अप्रैल की शुरुआत तक राजदरी व देवदरी जलप्रपात से भी पानी गिरने का सिलसिला जारी है। उधर, पतझड़ के कारण राजदरी, देवदरी पहुंचने वाले सैलानियों की संख्या में भी कमी आ गई है। बीते फरवरी माह तक सैलानियों की आमद ज्यादा थी, लेकिन अब जल प्रपात से गिरने वाले पानी की कमी और पतझड़ से सैलानियों की संख्या एक दर्जन का आंकड़ा भी नहीं पार कर पा रही है।

इस सम्बंध में चंद्रप्रभा वन्यजीव अभयारण्य रेंजर योगेश कुमार सिंह ने बताया कि पतझड़ के दिनों में वन क्षेत्र की हरियाली में कमी आने से अभयारण्य सूना हो जाता है। इससे सैलानियों की आमद भी कम हो जाती है। हालांकि जंगली जानवरों के लिए पानी आदि की उचित व्यवस्था की जाती है।

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