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रेशम विभाग की लापरवाही से 50 प्रतिशत भूमि पर अतिक्रमण, कागजों में हो रहा पौधारोपण, कीट पालन की योजना दम तोड़ती, प्लांटेशन में एक भी पौधा नहीं

जब इस संबंध में जिला प्रभारी उदय भान से संपर्क किया गया तो उन्होंने बताया, "अभी नई पोस्टिंग हुई है, मामले की जानकारी नहीं थी। जांच कराई जाएगी और दोषियों पर कार्रवाई सुनिश्चित की जाएगी।
 

रेशम विभाग की जमीन पर 50% तक अतिक्रमण

पौधारोपण सिर्फ कागजों तक है सीमित

नौगढ़ के जयमोहनी पोस्ता

भरदुआ, धौठवां सहित कई स्थानों पर प्लांटेशन निष्क्रिय

रेशम कीट पालन योजना फाइलों तक सीमित

चंदौली जिले के नौगढ़ में पर्वतीय इलाके में रेशम कीट पालन को लेकर विभागीय लापरवाही और भ्रष्टाचार का मामला उजागर हुआ है। रेशम विभाग द्वारा जिन भूमि क्षेत्रों में कीट पालन और पौधारोपण की योजना दर्शाई गई है, उनमें से 40 से 50 प्रतिशत क्षेत्र अतिक्रमणकारियों के कब्जे में है। वहीं, जिन स्थानों पर लाखों पौधे लगाए जाने की रिपोर्ट विभाग भेजता है, वहां एक भी पौधा जमीन पर नजर नहीं आता।

बताते चलें कि भरदुआ, जयमोहनी, सोनवार पुरानी भूमि, जयमोहनी पोस्ता और धौठवां जैसे क्षेत्रों में वन विभाग से भूमि लेकर प्लांटेशन के लिए रेशम विभाग को सौंपी गई थी। लेकिन ये पौधारोपण केवल कागजों पर सीमित रह गया। उदाहरण के तौर पर भरदुआ में 450 हेक्टेयर, जयमोहनी नई भूमि में 350 हेक्टेयर, सोनवार पुरानी भूमि में 450 हेक्टेयर और जयमोहनी पोस्ता में 500 हेक्टेयर भूमि दी गई, जिसमें से अधिकांश भूमि अतिक्रमण की भेंट चढ़ चुकी है।

जमीनी पड़ताल में उजागर हुआ झूठ
जागरण टीम द्वारा की गई पड़ताल में सामने आया कि जिन स्थानों पर लाखों पौधे लगाए जाने की बात कही जाती है, वहां एक भी पौधा नजर नहीं आया। जयमोहनी पोस्ता स्थित प्लांटेशन में तो सिर्फ बंजर भूमि और झाड़ियाँ ही देखने को मिलीं। वहीं, कीट पालन की कोई गतिविधि भी नहीं दिखी। ऐसे में सवाल उठता है कि पौधारोपण और पालन के नाम पर आवंटित बजट आखिर कहां खर्च हो रहा है?

वन विभाग की पहल, रेशम विभाग का मौन

जयमोहनी पोस्ता भूमि पर जब अतिक्रमण बढ़ा तो वन क्षेत्राधिकारी मकसूद हुसैन ने वहां पौधारोपण कराए जाने की औपचारिकता निभाई, लेकिन नतीजा वही रहा—जमीन सूनी और पौधे गायब। कीट पालन जैसी लाभकारी योजना को विभागीय उदासीनता और भ्रष्ट तंत्र द्वारा पलीता लगाया जा रहा है।

ये रहा जिला प्रभारी का बयान

जब इस संबंध में जिला प्रभारी उदय भान से संपर्क किया गया तो उन्होंने बताया, "अभी नई पोस्टिंग हुई है, मामले की जानकारी नहीं थी। जांच कराई जाएगी और दोषियों पर कार्रवाई सुनिश्चित की जाएगी।


सरकारी योजनाओं का ऐसा भ्रष्ट और उदासीन चेहरा, जहां लाखों का पौधारोपण केवल फाइलों में हो और जमीन पर अतिक्रमण ही अतिक्रमण हो, वह विकास नहीं बल्कि व्यवस्था पर प्रश्नचिह्न है। यदि जल्द कार्रवाई नहीं हुई तो कीट पालन जैसी योजनाएं सिर्फ सरकारी रिपोर्टों तक सिमट कर रह जाएंगी।

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