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नाबालिग किशोरी की हत्या‌ का खुलासा करना भूल गई नौगढ़ थाना पुलिस, गठित टीमों ने क्या किया काम ​​​​​​​

नौगढ़ में विनायकपुर गांव की नाबालिग दलित किशोरी की गला घोंटकर हत्या को ढाई महीने बीत चुके हैं, लेकिन पुलिस और प्रशासन अब तक आरोपी को गिरफ्तार करने में नाकाम साबित हुए हैं।
 

ढाई महीने बाद भी पुलिस के हाथ खाली

नेताओं के दौरे सिर्फ फोटो खिंचवाने और आश्वासन तक सीमित

आखिर क्या किया गठित टीमों ने

क्यों बिना मामले को हल किए किसी और काम में लगे पुलिस वाले
 

चंदौली जिले के तहसील नौगढ़ में विनायकपुर गांव की नाबालिग दलित किशोरी की गला घोंटकर हत्या को ढाई महीने बीत चुके हैं, लेकिन पुलिस और प्रशासन अब तक आरोपी को गिरफ्तार करने में नाकाम साबित हुए हैं। इस गंभीर मामले में पुलिस की निष्क्रियता और प्रशासन की लापरवाही ने ग्रामीणों का आक्रोश और असुरक्षा को बढ़ा दिया है। हत्या के बाद से गांव के लोग लगातार न्याय की गुहार लगा रहे हैं, लेकिन प्रशासन सिर्फ आश्वासन देने तक सीमित रह गया है।

आपको बता दें कि विनायकपुर गांव में घटना तब हुई जब किशोरी अपनी सहेलियों के साथ एक शादी समारोह के दौरान आर्केस्ट्रा डांस देखने गई थी और लापता हो गई। अगले दिन उसका शव गांव के बाहर मिला, उसी की लैगी से गला दबाकर बेरहमी से हत्या की गई थी। ढाई महीने बीत जाने के बावजूद पुलिस के पास कोई ठोस सुराग नहीं है। प्रशासन के आला अधिकारी भी सिर्फ खानापूर्ति करते नजर आए हैं। इस दौरान पुलिस ने कई बार जांच में तेजी का भरोसा दिलाया, लेकिन नतीजा शून्य ही रहा। सवाल यह उठता है कि आखिर इतनी बड़ी घटना के बावजूद पुलिस और प्रशासन इसे गंभीरता से क्यों नहीं ले रहे? क्या दलित परिवार होने के कारण इस मामले को दबाने की कोशिश की जा रही है? 

नेताओं के दौरे, लेकिन सिर्फ फोटो खिंचवाने तक सीमित  


घटना के बाद कई राजनीतिक दलों के नेता गांव का दौरा कर चुके हैं, लेकिन उनके दौरे महज फोटो खिंचवाने और बयानबाजी तक सीमित रह गए। सोनभद्र के सपा सांसद कुंवर छोटेलाल खरवार, भाजपा विधायक कैलाश आचार्य और कांग्रेस के प्रतिनिधिमंडल ने पीड़ित परिवार को न्याय का आश्वासन दिया, लेकिन उनके इस आश्वासन का कोई असर पुलिस की कार्रवाई पर नहीं पड़ा। सवाल यह उठता है कि ढाई महीने बाद भी आरोपी पुलिस की गिरफ्त से बाहर कैसे हैं? क्या पुलिस और प्रशासन ने जानबूझकर इस मामले को ठंडे बस्ते में डाल दिया हैं? ग्रामीणों का आरोप है कि प्रशासन इस मामले को गंभीरता से नहीं ले रहा है, और इसका सीधा असर गांव के लोगों की सुरक्षा और विश्वास पर पड़ा है। 

भीम आर्मी और ग्रामीणों का आंदोलन 


भीम आर्मी, आजाद समाज पार्टी के नेतृत्व में ग्रामीणों के द्वारा प्रशासन के खिलाफ मोर्चा  खोलने को कहा जा रहा है। संगठन के मंडलाध्यक्ष ए.के. गौतम और जिलाध्यक्ष शैलेश कुमार ने चेतावनी दी है कि अगर पुलिस जल्द कार्रवाई नहीं करती, तो वे उग्र आंदोलन करेंगे। ग्रामीणों का कहना है कि प्रशासन की निष्क्रियता ने गांव में असुरक्षा का माहौल पैदा कर दिया है। लोग अपनी बेटियों को लेकर डरे हुए हैं, और इस मामले का जल्द से जल्द समाधान न होने पर पूरे जिले में विरोध प्रदर्शन हो सकता है।

 न्याय का इंतजार कब तक


ढाई महीने बीतने के बाद भी पुलिस का हाथ खाली होना प्रशासनिक विफलता का स्पष्ट उदाहरण है। आखिर कब तक पीड़ित परिवार और गांव के लोग न्याय के इंतजार में रहेंगे? सवाल यह भी है कि अगर यह घटना किसी प्रभावशाली परिवार के साथ हुई होती, तो क्या प्रशासन की यही सुस्ती देखने को मिलती ?

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