कोरोना महामारी के समय सुरक्षित गर्भ समापन व गर्भ निरोधक साधनों की सुविधाओं की अनुपलब्धता बनी चुनौती
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चंदौली जिले में ग्राम्या संस्थान के तत्वाधान में महिला स्वास्थ्य अभियान के अंतर्गत विकासखंड नौगढ़ के सभागार कक्ष में गर्भ समापन विषय पर मीडिया के साथ परिचर्चा आयोजित की गई, जिसमें संस्थान की निदेशक बिंदु सिंह ने कहा कि कोविड -19 के प्रसार को रोकने के लिए पूरे देश में पूर्ण रूप से लॉकडाउन की घोषणा के बाद से कई सेवाओं को बंद कर दिया गया। इस लॉक डाउन के बाद मातृत्व स्वास्थ्य से जुड़ी कई आवश्यक सेवाओं जैसे टीकाकरण, VHND,परिवार नियोजन, गर्भ समापन (MTP कानून के तहत ) आदि सेवाओं के बंद होने की वजह से महिलाओं को सुरक्षित और गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवाएँ प्राप्त करने में काफी कठिनाइयां उत्त्पन्न हो रही हैं | हालांकि अनलॉक के चरण के दौरान कई मातृत्व स्वास्थ्य से जुड़ी सेवाओ को शुरू किया गया, परन्तु अभी भी सुविधाएं प्राप्त करने में बहुत सी अड़चने आ रही हैं |
लॉकडाउन के कारण गर्भनिरोधक हासिल करने और उसके प्रयोग में काफ़ी हद तक कमी देखी गई। कोविड के चलते सरकार द्वारा हेल्थ सेंटरों पर नसबंदी और आईयूसीडी की सेवाएँ भी रोकी गई। बिना डॉक्टर के पर्चे पर मेडिकल स्टोर से मिलने वाली गर्भ निरोधक दवाई, कंडोम आदि को प्राप्त करने में लोगों को काफ़ी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है।
संस्थान की नीतू सिंह ने बताया कि सामान्य दिनों में औसतन प्रतिदिन करीब 80000 महिलाएं बच्चों को जन्म देती है। प्रसव होते है, करीब 45000 महिलायें गर्भपात कराती है। फाउंडेशन फॉर रेप्रोडिक्टिव हेल्थ ऑफ़ इंडिया के अध्ययन के अनुसार इन गर्भनिरोधन सेवाओं के न हासिल करने की वजह से भारत में करीब 2.38 लाख अतिरिक्त अनचाहे गर्भधारण, 1.45 लाख अतिरिक्त गर्भपात जिसमें 834,042 असुरक्षित गर्भपात और 1,743 अतिरिक्त मातृ मृत्यु होने की संभावना है। ज्यादा समय तक ऐसा रहा तो इसका प्रभाव और भी भयानक होगा।
उत्तर प्रदेश में 11 जुलाई को विश्व जनसंख्या दिवस मानते हुए जनसंख्या स्थिरता पखवाड़े की शुरुआत की गई। निश्चित रूप से जनसंख्या स्थिरता पखवाड़े से लोगों में जागरूकता आएगी, लेकिन जागरूकता के साथ संसाधनों की उपलब्धता व उनतक लोगों की पहुँच होना जरुरी है अगर संसाधन लोगों को मुहैया नही होंगे तो केवल जागरूकता से ही काम नहीं चलने वाला है।
हेल्थ वाच फोरम उ० प्र० की ओर से जिलों से प्राप्त की गई जानकारी में पता चला कि बाराबंकी की 28 वर्षीय शबनम को गर्भपात के बाद आने जाने का कोई साधन नहीं मिला और उसे गर्भपात करवाने के मात्र 5 से 6 घंटे के अन्दर 35 किलोमीटर साइकिल से घर वापस आना पड़ा, जिससे उसकी तबियत काफी बिगड़ गई। सिद्धार्थनगर की महिला समूह की 4 महिलाएं बताती कि लॉक डाउन की वजह से उन्हें गर्भ निरोधक गोलियां नहीं मिल पायी और कंडोम भी नहीं मिल पाया। अब ये चारों महिलाएं न चाहते हुए भी गर्भवती हो गई हैं।
यही नहीं, गर्भसमापन को लेकर बहुत सारे स्टाफ जिनको MTP कानून व कानून के तहत रजिस्टर्ड अस्पतालों के बारे में जानकारी चाही तो अधिकतर लोगों को इस कानून व पंजीकृत अस्पतालों के बारे में ही नहीं पता तो एस स्थिति में आम जन को केसे पता होगा , कैसे उनको सुविधाएँ मिल पाएंगी। चिकित्सकीय गर्भ समापन कानून (मेडिकल टर्मीनेसन आफ प्रेगनेंसी अधिनियम 1971) के तहत किशोरियों द्वारा सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र नौगढ़ के बीसीपीएम जयप्रकाश को मांग पत्र सौंपा गया।
गर्भनिरोधक साधनों के बारे में जानकारी और सेवाएं, जिसमें आपातकालीन गर्भनिरोधक भी शामिल है को समुदाय के जरूरतमंद लोगों तक पहुचाया जाए साथ ही MTP कानून के तहत जानकारी और सेवाएं दी जाये तथा गर्भपात के बाद की देखभाल को सुनिश्तित किया जाये तथा समुदाय को इस बात की जानकारी दी जानी चाहिए कि वह सुरक्षित गर्भपात की सेवा किन किन स्वास्थ्य सुविधाओं से से प्राप्त कर सकते हैं जिसको लेकर IEC/ पेपर/ TV आदि के माध्यम से विज्ञापन भी दिए जाएँ ।
जिले स्तर पर स्वास्थ्य स्टाफ में चिकित्सकीय गर्भ समापन अधिनियम, 1971 एवं संशोधित अधिनियम, 2002 के प्रावधानों के बारे में खुद ही जानकारी का अभाव है इसलिए जिले से लगाकर ब्लॉक स्तर के स्टाफ को जागरूक किया जाय , साथ ही इस कानून के तहत पंजीकृत निजी अस्पतालों व चिन्हित सरकारी अस्पतालों के बारे में लोगों को सूचित किया जाए | इन अस्पतालों की लिस्ट ऑनलाइन की जाये ।
चूँकि लॉक डाउन के समय परिवार नियोजन व सुरक्षित गर्भ समापन की सुविधाएँ नही मिल पाई है , इसलिए अनवांटेड प्रेगनेंसी दर बढ़ी है | लोगों को गर्भ समापन की सेवाओ की जरूरत है | किन्तु सरकारी सेवाओं का अभाव है लोग निजी में जा रहे है वहां उनसे मनमानी पैसा लिया जा रहा है | इसलिए निजी क्षेत्र को विनियमित करते हुए कीमतों को मानकीकृत किया जाय व सामान्य व तात्कालिक स्वास्थ्य सेवा देंने के लिए निर्देशित किया जाये और MTP कानून के तहत पंजीकृत अस्पतालों को ही गर्भ समापन के लिए मान्य किया जाये।
यह भी सुनिश्चित किया जाये कि आवश्यक प्रजनन स्वास्थ्य सेवाओं के तहत गर्भनिरोधक साधनों व गर्भ समापन हेतु संसाधनों की उपलब्धता रहे उसकी निरंतरता के लिए पर्याप्त धनराशि समय पर जिले व ब्लाक स्तर पर उपलब्ध होना सुनिश्चित करना जिससे की सेवाएं विशेष रूप से सामाजिक रूप से वंचित समूहों के लिए बाधित न हो ।
सुनिश्चित करें कि प्रजनन स्वास्थ्य सुविधाएं आवश्यक स्वास्थ्य सेवाओं के प्रावधान को संचालित करने और जारी रखने में सक्षम है तथा महिलाओं व लड़कियों को गुणवत्तापरक , सम्मानजनक स्वास्थ्य देखभाल मिले तथा किसी के साथ स्वास्थ्य सेवा में भेदभाव, जबरदस्ती या हिंसा न शामिल हो ।
परिवार नियोजन व सुरक्षित गर्भ समापन ( MTP एक्ट के तहत ) को लेकर ऑनलाइन या टोल फ्री के माध्यम से जागरूकता व शिकायत हेतु प्लेटफोर्म तैयार करना व और समय पर समाधान करना तथा स्वास्थ्य प्रणाली की निगरानी के लिए सामुदायिक भागीदारी सुनिश्चित करते हुए बढ़ावा देना व, शिकायत निवारण व्यवस्था को क्रियाशील व आम लोगों की पहुच योग्य बनाना। इस दौरान रिंकू, सुनीता, सविता, रामबली, मदन मोहन, रामविलास, उमेश, धर्मेंद्र सहित मीडिया कर्मी उपस्थित रहे।
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