कैसे गांव में आएं-जाएं : जिले के चर्चित आवाजापुर गांव का ऐसा है हाल, जलभराव से आवागमन में होती है परेशानी
गांव के मुख्य मार्ग पर आधे वर्ष तक भरा रहता है पानी
जलनिकासी का माध्यम ही अतिक्रमण का शिकार
ग्रामीणों ने जनप्रतिनिधियों व अधिकारियों से समस्या के समाधान की गुहार लगाई
कभी गांव का दौरा कर लीजिए बीडीओ साहब
मौजूदा तस्वीर किसी नहर या रजवाहा की नहीं वरन धानापुर ब्लाक के बड़े गांवों में शुमार आवाजापुर गांव के संपर्क मार्ग की है। जो आधे वर्ष तक जलभराव की समस्या से जूझता रहता है। इससे ग्रामीणों को आवागमन में दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। प्रधान व ग्रामीणों ने कई बार जलनिकासी को दुरुस्त करने का प्रयास किया। लेकिन, हर बार असफलता ही हाथ लगी है। अब यह समाधान ग्राम पंचायत के वश की बात नहीं दिखती। ग्रामीणों ने जनप्रतिनिधियों व अधिकारियों से समस्या के समाधान की गुहार लगाई है।
आपको बता दें तीन वर्षों में गांव में जलभराव की समस्या सुरसा की तरह मुंह बाए खड़ी है। गांव में जाने के मुख्य मार्ग पर घुटने भर पानी लगा रहता है। इसकी मुख्य वजह अतिक्रमण है। वर्षों पूर्व जिन पुलिया व नालियों से होकर बारिश का पानी गांव से बाहर निकल जाता था। वह सभी जलनिकासी के रास्ते वर्तमान में अतिक्रमण की जद में आ गए हैं। गांव का तालाब व दक्षिण में बनी नाली पर पूरी तरह अतिक्रमण कर लिया गया है। अतिक्रमण को लेकर ही तत्कालीन तहसीलदार ने दो लोगों के विरुद्ध पांच पांच लाख का जुर्माना लगा चुके हैं। लेकिन, स्थिति आज भी जस की तस बनी हुई है।
बताते चलें कि ग्रामीणों की माने तो तीन वर्ष पूर्व तक जलनिकासी को बनी पुलिया से बारिश का पानी नहर में चला जाता था। लेकिन, अतिक्रमण की जद में आने से गांव की यह दुर्गति हुई है। आलम यह है कि पुलिया के अतिक्रमित होने के कारण किसानों के खेत भी जलमग्न रहते हैं। ग्राम प्रधान व ग्रामीणों ने जलनिकासी के सारे प्रबंधन को सुदृढ़ करने का प्रयास किया। लेकिन, हमेशा असफलता ही हाथ लगी। ग्राम प्रधान बुल्लू यादव ने बताया कि गांव में जलनिकासी के सभी रास्ते अतिक्रमण का शिकार हैं। समस्या इतनी विकट है कि इसका समाधान उच्चस्तर पर ही निकलेगा।
कीड़े व दुर्गध से ग्रामीण परेशान
बारिश के दिनों में तालाब व रास्ते पर घरों के नावदान का पानी जमा रहता है। लंबे समय तक जलभराव के चलते गंदे पानी में कीड़े व दुर्गंध से ग्रामीण परेशान रहते हैं। संक्रमित रोगों की आशंका से ग्रामीण हमेशा भयभीत रहते हैं। घुटने घुटने तक गंदे पानी में आवगमन को वाध्य ग्रामीणों को अब किसी तारणहार की जरूरत है।
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