चंदौली समाचार की तहकीकात : पंचायत भवन ताले में रहते हैं बंद, चंदौली के देवरी कला में सचिवालय बना है शो-पीस
जिलाधिकारी का निर्देश हवा में फुर्र
DPRO साहब को भी देखने जानने का समय नहीं
2 साल से बंद सचिवालय को देखने नहीं गए ADO पंचायत
फिर भी मरम्मत के नाम पर निकाले गए लाखों रुपए
गांव के विकास के नाम पर चल रहा है अनोखा का खेल
चंदौली जिले में तहसील नौगढ़ की ग्राम पंचायत देवरी कला में पंचायत सचिवालय की दुर्दशा प्रशासनिक असफलता की बड़ी मिसाल बन गई है। एक ओर नवागत जिलाधिकारी चंद्र मोहन गर्ग लगातार बैठको में पंचायती राज विभाग के अधिकारियों को पंचायत भवनों को क्रियाशील बनाने की बात कर रहे हैं, वहीं दूसरी ओर ज़मीनी हकीकत यह है कि नौगढ़ क्षेत्र में डीपीआरओ की खुली दादागिरी और वसूली संस्कृति से पंचायत सचिवालय का संचालन दो 2 वर्षों से नहीं किया जा रहा है। इसके बावजूद बीते पांच मई को मरम्मत के नाम पर लाखों रुपए निकाल लिया गया है।
आपको बता दें कि सरकार ने पंचायत सचिवालय को ग्रामीणों की समस्याओं का समाधान स्थल बनाने का सपना दिखाया था, लेकिन देवरी कला का भवन ताले में बंद है और अंदर गोबर के उपले व गंदगी बिखरी पड़ी है। ग्रामीण आक्रोशित हैं, लेकिन अफसरशाही अपनी मनमानी पर अड़ी है।
सरकार ने पंचायत भवन निर्माण पर लगभग 15-20 लाख रुपये खर्च किए। भवन में सोलर पैनल, कंप्यूटर, प्रिंटर, वाई-फाई, इन्वर्टर और फर्नीचर जैसी आधुनिक सुविधाएं उपलब्ध कराई गईं। उद्देश्य था कि आय, जाति, निवास प्रमाणपत्र, खतौनी की नकल, पेंशन और सरकारी योजनाओं की जानकारी एक ही छत के नीचे आसानी से मिल सके। लेकिन अफसोस, पिछले दो वर्षों से पंचायत सचिवालय बंद है। अंदर का हैंडपंप खराब, परिसर में गंदगी और उपलों का अंबार, और कोई कर्मचारी मौजूद नहीं है।

5 मई 2025 को सचिव अश्विनी गौतम के माध्यम से भवन मरम्मत के नाम पर ₹1,47,355 की राशि आहरित की गई, लेकिन कोई कार्य नहीं हुआ। सवाल ये है कि पैसा गया कहां?
सबसे हैरानी की बात ये है कि भवन के बाहर आज भी पूर्व सचिव महेंद्र कुमार सिंह का नाम लिखा है, जबकि वर्तमान सचिव अश्विनी गौतम हैं। वह भी गाँव आकर कार्य करने के बजाय ब्लॉक मुख्यालय से सचिवालय चला रहे हैं और गांव में ही एक अस्थायी घर में कार्यालय बनाकर खानापूर्ति कर रहे हैं। कंप्यूटर, प्रिंटर, इंटरनेट जैसी सुविधाएं सचिव के पास ही घर में हैं। पंचायत सहायक की तैनाती के बावजूद वह भवन में नहीं बैठता, पर हर महीने मानदेय ले रहा है डीपीआरओ इस खुली लापरवाही पर आंख मूंदे हुए हैं। ऐसे में जिलाधिकारी की चेतावनियां और निरीक्षण आदेशों का कोई मतलब नहीं रह जाता।
पंचायत सचिवालय का यह हाल सरकार की Digital & Transparent Panchayat योजना की सरेआम धज्जियां उड़ा रहा है। ग्रामीण अब भी प्रमाणपत्र और दस्तावेज़ों के लिए दो से चार दिन तक ब्लॉक और तहसील के चक्कर काटने को मजबूर हैं।
चंदौली समाचार से ग्रामीणों ने पूछा
- जब भवन बना है तो सचिव क्यों नहीं बैठता?
- जब सरकार ने लाखों खर्च किए तो जनता को सुविधा क्यों नहीं?
- जब मरम्मत का पैसा निकला तो मरम्मत क्यों नहीं हुई?
- पंचायत सचिव की इस लापरवाही पर डीपीआरओ कार्रवाई क्यों नहीं कर रहे?
- क्या कोई जवाब देगा? या पंचायत भवन यूं ही भ्रष्टाचार और लापरवाही का स्मारक बना रहेगा?
-

जिलाधिकारी महोदय के प्रयासों और दौरे की ज़मीनी रिपोर्ट यह दर्शाती है कि डीपीआरओ की मनमानी और सचिव की बेरुखी ने जनता को उनके अधिकारों से वंचित कर रखा है। यदि इस पूरे मामले की उच्च स्तरीय जांच नहीं कराई गई और दोषियों पर कड़ी कार्रवाई नहीं हुई, तो यह न केवल प्रशासनिक विफलता होगी बल्कि लोकतंत्र की जड़ें भी कमजोर होंगी।
Tags
चंदौली जिले की खबरों को सबसे पहले पढ़ने और जानने के लिए चंदौली समाचार के टेलीग्राम से जुड़े।*






